कोविड-19 महामारी के नियंत्रण को लेकर कई बार अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना झेल चुके विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) ने चीन के संबंध में बड़ा बयान दिया है। उसने कहा है कि नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से फैले संकट के पीछे चीन के वुहान शहर स्थित थोक (मीट) बाजार का हाथ है, लेकिन उसकी भूमिका को लेकर अध्ययन करने की जरूरत है।

डब्ल्यूएचओ ने जिस बाजार का जिक्र किया है, उसे चीन ने जनवरी में बंद कर दिया था ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके। साथ ही, वन्य जीवों के व्यापार और उन्हें खाने पर अस्थायी रोक लगा दी थी। अब इस मीट बाजार को लेकर डब्ल्यूएचओ के खाद्य सुरक्षा और जूनोटिक वायरसों (जानवरों से इन्सानों में फैलने वाले विषाणु) के विशेषज्ञ डॉ. पीटर बेन एम्बारेक ने कहा है, 'यह साफ है कि इस संकट में इस बाजार की भूमिका है। लेकिन वह क्या है, यह हम नहीं जानते। क्या वायरस का सोर्स वहीं था या उसके बारे ज्यादा बढ़ा-चढ़ा कर कहा गया या फिर वहां (कोरोना के) मामले सामने आना केवल एक इत्तिफाक था।'

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जिनेवा स्थित डब्ल्यूएचओ मुख्यालय में प्रेस ब्रीफिंग देते हुए डॉ. पीटर ने कहा, 'यह साफ नहीं हो पाया है कि बाजार में वायरस कोई जिंदा जानवर लेकर आया या संक्रमित दुकानदारों या विक्रेताओं ने इसे वहां फैलाया।' वहीं, सार्स-सीओवी-2 के लैब में बनने के आरोपों पर डॉ. पीटर ने कुछ नहीं कहा। उन्होंने बताया कि शोधकर्ताओं को यह पता लगाने में एक साल का वक्त लग गया था कि 2012 में जिस कोरोना वायरस से मेर्स (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) बीमारी फैली थी, उसका सोर्स ऊंट है। पीटर ने यह भी कहा कि सोर्स का पता लगाने में इतना वक्त लगना देरी नहीं है।

डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञ के मुताबिक, ज्यादा जरूरी और महत्वपूर्ण यह है कि वायरस को इन्सानों के अनुकूल बनने से पहले ही उसे समझ लिया जाए। उन्होंने कहा, 'तभी हम समझ सकते हैं कि यह अपनेआप को इन्सानों के अनुकूल कैसे बनाता है और विकसित होता है।' इसके अलावा, दुनियाभर में चलने वाले खुले मांस बाजारों पर बोलते हुए डॉ. पीटर ने कहा कि इस तरह के बाजारों को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जाना चाहिए, वहां की साफ-सफाई में सुधार लाया जाना चाहिए और कुछ को बंद ही कर देना चाहिए।

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