दुनिया भर में कोविड-19 संक्रमितों की संख्या हर दिन बढ़ती जा रही है। 3 अप्रैल तक दुनियाभर में 10 लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं वहीं मरने वालों की संख्या 58 हजार के आंकड़े को पार कर चुकी है। भारत में भी अब संक्रमितों की संख्या 3 हजार के करीब पहुंचने वाली है जबकि 68 लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण के बढ़ते स्तर को देखते हुए सुरक्षा के तौर पर भारत सरकार ने 25 मार्च 2020 से देशभर में 21 दिनों का संपूर्ण लॉकडाउन कर दिया है।

देश में बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन एक आवश्यक कदम था, लेकिन इस घोषणा ने उन लोगों के लिए समस्या पैदा कर दी है, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का इलाज करवा रहे हैं। सुरक्षा की दृष्टि से बार-बार डॉक्टरों ने वरिष्ठ नागरिकों और पहले से ही किसी बीमारी से प्रभावित लोगों को घर पर ही रहने की सलाह दी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे लोगों को संक्रमण का सबसे अधिक खतरा रहता है।

कैंसर जैसी बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए लॉकडाउन का यह समय काफी मुश्किलों वाला है क्योंकि कैंसर से पीड़ित ज्यादातर मरीज एक ऐसी ऐक्टिव बीमारी से लड़ रह हैं जो उनके शरीर में हर दिन तेजी से फैल रही है। इतना ही नहीं कोविड-19 को लेकर कई तरह की अफवाहें और गलत बातें भी फैलायी जा रही हैं जिससे कैैंसर मरीजों की चिंता और बढ़ रही है।

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि कोविड-19 का वास्तव में कैंसर रोगियों पर किस तरह से असर होता है।

  1. कैंसर रोगियों को कैसे प्रभावित करता है कोविड-19?
  2. कोविड-19 संक्रमण के दौरान कैंसर रोगियों को बचाने के लिए क्या करें?
  3. कैंसर के मरीजों पर कोविड-19 का कैसा असर होता है, जानें के डॉक्टर

डॉक्टरों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि जो लोग पहले से ही किसी गंभीर बीमारी जैसे उच्च-रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, फेफड़ों के रोगों और कैंसर आदि से पीड़ित हैं, उनमें कोविड-19 संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। चिकित्सकों के अनुसार, कैंसर रोगियों में प्रतिरक्षा प्रणाली पहले से ही कमजोर हो चुकी होती है यही कारण है कि उनके इस संक्रामक बीमारी की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है।

डॉक्टरों का मानना है कि जो लोग कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी करवा रहे हैं उनमें कोविड-19 का संक्रमण होने पर बीमारी के गंभीर होने का अधिक खतरा है। इतना ही नहीं जो लोग ब्लड कैंसर या बोन मैरो कैंसर से पीड़ित हैं, उन्हें भी कोविड-19 बीमारी का सबसे ज्यादा खतरा है। हालांकि इसके पीछे कारण क्या है, इस बारे में अब तक कोई जानकारी सामने नहीं आयी है। 

स्टेम सेल थेरेपी कैंसर के इलाज का अहम हिस्सा है। जर्मनी की एक गैर-सरकारी संगठन डीकेएमएस, ब्लड कैंसर वाले रोगियों को बोन मैरो प्रदान कराती है। ब्रिटेन में डीकेएमएस के सीईओ ने बताया कि उन्हें लॉकडाउन और यात्राओं पर लगे प्रतिबंधों के कारण विभिन्न देशों में स्टेम सेल पहुंचाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

चूंकि दान के बाद स्टेम सेल सिर्फ 72 घंटों तक ही स्वस्थ और उपयोग के लायक रहता है और इसी दौरान उन्हें दूसरे स्थानों पर पहुंचाना होता है। ऐसे में इस वक्त सभी देशों में लॉकडाउन की वजह से काफी मुश्किल हो रही हैं। जिन लोगों ने हाल ही में कीमोथेरपी या रेडियोथेरेपी कराई है या वह करवा रहे हैं उनकी देखभाल में भी ऑन्कोलॉजिस्टों को काफी समस्या हो रही है। इसके अलावा, लॉकडाउन के कारण दवा की आपूर्ति भी बाधित हुई है।

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डॉक्टरों के पास फिलहाल ऐसे पर्याप्त शोध नहीं हैं जिससे यह साबित हो कि कैंसर रोगियों को कोविड-19 का संक्रमण हो जाने पर कितना खतरा बढ़ जाता है? ऐसे में कैंसर रोगियों को संक्रमण से बचाने और उनके इलाज के लिए निम्न सुझाव दिए गए हैं:

  • पहले की तरह ही कैंसर के इलाज को जारी रखा जाना चाहिए। उपचार में किसी भी तरह की देरी से ट्यूमर बन सकता है जो खतरनाक है।
  • मरीजों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करते हुए डॉक्टरों को कैंसर मरीजों का इलाज करना चाहिए। मरीजों और स्वयं को कोविड-19 संक्रमण से बचाने के लिए डॉक्टरों को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) पहनकर रखना चाहिए।
  • कैंसर डिपार्टमेंट को जरूरत के हिसाब से कैंसर से जुड़ी सुविधाएं जारी रखनी चाहिए। जिन मरीजों का इलाज चल रहा है उन्हें प्राथमिकता सूची में रखना चाहिए। कोविड-19 इंफेक्शन को देखते हुए मरीजोे के फॉलो-अप विजिट को कुछ समय के लिए टाला जा सकता है।
  • दवाओं और अन्य जरूरी सामानों को उच्च प्राथमिकता वाले दायरे में रखना चाहिए। गंदे कपड़े धोने, बाल्टी (उल्टी के लिए) और साफ सफाई वाले लोगों को पीपीई पहनने से पहले हाथों को अच्छे से सैनिटाइज करना चाहिए।
  • संबंधित अस्पतालों के ऑन्कोलॉजी विभाग को स्थानीय प्रशासकों से बात करनी चाहिए ताकि गंभीर स्थितियों में कैंसर पीड़ितों के देखभाल की व्यवस्था बनाई जा सके।
  • चूंकि मरीजों को अस्पताल नहीं आने की सलाह दी गई है, इसलिए डॉक्टरों को अपने मरीज से टेलीफोन और वीडियो कॉल के माध्यम से संपर्क में रहकर परामर्श देते रहना चाहिए।
  • जो मरीज ओरल थेरेपी उन्हें टेलीकॉन्सेलेशन के माध्यम से सलाह और सुझाव दिए जा सकते हैं।
  • यदि संभव हो तो डॉक्टर कुछ दिनों की बजाय दो या तीन सप्ताह की दवाई लिखें जिससे मरीजों को बार बार अस्पताल आने की जरूरत न पड़े।
  • कैंसर के जिन रोगियों में कोविड-19 के लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं उन्हे जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इससे चिकित्सा कर्मियों को बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए उचित उपाय करने में मदद मिलेगी।

Dr Rahul Gam

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