कोविड-19 महामारी के लगातार बढ़ते प्रकोप का पूरा विश्व शिकार हो चुका है। यह नई बीमारी जितना हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है, उतना ही इससे उपजी चिंता और भय हमारी मानसिक स्थिति को। कोरोनो वायरस (सार्स सीओवी-2) संक्रमण के इस प्रसार को रोकने और इसपर नियंत्रण पाने के लिए तमाम चिकित्सकों और वैज्ञानिकों का समूह पूरी जी जान से लगा हुआ है। लेकिन यह लड़ाई इतनी भी आसान नहीं है। वास्तविकता यह है कि चूंकि यह एक नया वायरस है, जिसके इलाज और रोकथाम के लिए गहराई से शोध करने की आवश्यकता है। इसके बाद ही इससे बचने के लिए वैक्सीन या अन्य त्वरित उपचारों के बारे में सोचा जा सकता है।

इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि इसके शोध में कुछ समय लग सकता है। जब तक शोध पूरा होकर किसी अंजाम तक नहीं पहुंच जाता पूरी दुनिया को सर्तकता बरतने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों और स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा सुझाए गए सभी जरूरी उपायों को आवश्यक रूप से अपनाने की जरूरत है ताकि कोविड-19 के प्रसार को रोका जा सके।

इस बीच चीन और जापान की कुछ खबरों ने लोगों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। असल में इन देशों से कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां कोविड-19 से ठीक होने वाले रोगियों में दोबारा इसके लक्षण देखने को मिले हैं। इन मामलों ने आम लोगों के साथ स्वास्थ्य सेवा में लगे कर्मचारियों की भी चिंताओं को बढ़ा दिया है, क्योंकि अब इन्हे जांच, क्वारंटाइन जैसी प्रक्रियाओं को फिर से दोहराना पड़ेगा। साथ ही एक सवाल भी पैदा हो गया है कि क्या इससे ठीक हो जाने के बाद भी रोगी के शरीर में वायरस पूरी तरह से खत्म नहीं होता और यह दोबारा अपना प्रभाव दिखा सकता है?

कई मरीजों में कोविड-19 के दोहराव को देखकर चिंतित होना स्वाभाविक है। हालांकि, मार्च 2020 तक ऐसे मामलों की संख्या बहुत कम है। वैज्ञानिकों का मानना है कि एक बार कोविड-19 संक्रमण से उबरने के बाद शरीर ऐसे एंटीबॉडी बना लेता होगा जो आपको दोबारा संक्रमण होने से बचाते हैं। इस बीमारी के दोबारा प्रभाव दिखाने के मामले उन्हीं स्थितियों में देखने को मिलते हैं जब आपका शरीर स्वत: एंटीबॉडी बनाने में सक्षम न हो। यह दो स्थितियों में संभव है एक या तो रोगी की उम्र बहुत अधिक हो, दूसरी उसकी रोगों से लड़ने की शक्ति बहुत कमजोर हो यानि प्रतिरक्षा प्रणाली साथ न दे रही हो।

  1. कैसे पता चलेगा कि कोविड-19 संक्रमण ठीक हो गया है?
  2. कोविड-19 का दोबारा संक्रमण होने का कारण
  3. कोविड-19 का दोबारा संक्रमण हो जाए तो क्या करें?
  4. कोविड-19: ठीक होने के बाद दोबारा रहता है संक्रमण का खतरा, जानिए क्या हैं कारण? के डॉक्टर

मौजदूा हालात की बात करें तो जिन रोगियों का कोविड-19 का परीक्षण पॉजिटिव  पाया जाता है उन्हें सेल्फ क्वारंटाइन की सलाह दी जाती है। इस दौरान यह भी ध्यान रखा जाता है कि रोगी पहले से ही किसी गंभीर बीमारी जैसे हृदय रोग, उच्च रक्तचापफेफड़े की बीमारी और मधुमेह आदि से पीड़ित तो नहीं है। ऐसे मरीजों का क्वारंटाइन और इलाज पूरा हो जाने के बाद दोबारा इनकी जांच की जाती है। इस दौरान इस बात की पुष्टि की जाती है कि कहीं रोगी में संक्रमण के कुछ अंश शेष तो नहीं हैं।

आरटी-पीसीआर के दो जांचों में परिणाम नकारात्मक आने की ही स्थिति में रोगियों को छुट्टी दी जाती है। दो परीक्षण करने के पीछे कारण यह है कि इस बात की पुष्टि की जा सके कि रोगी के शरीर ने वास्तव में कोविड-19 बीमारी के वायरस और संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित कर ली है।

चीन और जापान में रोगी में कोविड-19 के दोबारा संक्रमण के मामले आए हैं। हालांकि, इन रोगियों का डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने दो बार परीक्षण भी किया था, जिसका परिणाम निगेटिव आया था। ऐसे में यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या वास्तव में विशेषज्ञ इस बात को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि शरीर जो एंटीबॉडी बनाता है वह कोविड-19 के मामले में वास्तव में काम करता भी है या नहीं?

अमेरिकन थोरैसिक सोसाइटी के वैज्ञानिकों ने पाया कि दो बार कोविड-19 जांच के परिणाम नकारात्मक आने और रोग से मुक्त होने के बाद भी मरीजों से संक्रमण का खतरा रहता है। चीन के बीजिंग शहर में 16 रोगियों पर किए गए एक अध्ययन के आधार पर वैज्ञानिकों ने कुछ निष्कर्ष निकाला। इसे 'अमेरिकन जर्नल ऑफ रेस्पिरेटरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन' में 23 मार्च 2020 को 'द काइनेटिक्स ऑफ वायरल क्लीयरेंस रेजुल्यूसन ऑफ सिम्टम्स इन नॉवेल कोरोनॉमी इन्फेक्शन' नाम से प्रकाशित किया गया। इस अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने सिफारिश की है कि रोगी के ठीक हो जाने के बाद भी उनके क्वारंटाइन को दो हफ्ते के लिए बढ़ा दिया जाना चाहिए। इससे वायरस के संक्रमण के छोटे से छोटे डर को भी खत्म किया जा सके।

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रोगियों में कोविड-19 के दोबारा संक्रमण के मामले सामने आने के बाद डॉक्टरों की चिंता बढ़ना लाजमी है। जिन रोगियों को दो नकारात्मक परीक्षणों के बाद घर जाने के लिए मंजूरी दे दी गई है वे स्वाभाविक रूप से राहत महसूस कर रहे थे। हालांकि, संक्रमण के दोहराने के मामले न सिर्फ रोगियों को शारीरिक बल्कि मानसिक रूप चिंतित करने वाला है।

चीन और जापान में संक्रमण के मामलों के दोहराव को समझने के लिए इस मामले का गहराई से अध्ययन किया गया। ताकि यह समझा जा सके कि वैश्विक स्तर पर इस तरह के मामलों का कितना खतरा है? मार्च 2020 में सेल डेथ एंड डिफरेंशियल, ब्रिटिश मेडिकल जर्नल और इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंफेक्शियस डिजीज जैसे जर्नल में छपे अध्ययनों में इस विषय पर गंभीरता से प्रकाश डाला गया है। अध्ययन से पता चला है कि रोगी में दोबारा संक्रमण होने के निम्न तीन कारण हो सकते हैं -

  • डिस्चार्ज हाते वक्त संभवत: रोगी पूरी तरह से सही नहीं हुआ था। या उस वक्त उसमें वायरस के कोई लक्षण नजर नहीं आए।
  • आरटी-पीसीआर परीक्षण से प्राप्त परिणाम सही नहीं आए, जिसका अर्थ है कि वायरस पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ था।
  • रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली कोविड-19 के वायरस को नष्ट करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं थी। बावजूद इसके मरीज में सुधार देखा गया, जिसके बाद उसे डिस्चार्ज किया गया।

ऐसे रोगियों की उचित निगरानी और उपचार बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह सुनिश्चित करना भी बेहद जरूरी होता है कि रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली उसके पूरी तरह से ठीक होने की स्थिति तक सही तरह से काम कर रह है और दोबारा संक्रमण होने का खतरा नहीं है।

कोविड-19 का संक्रमण दोबारा होना रोगी और उसके परिजनों दोनों के लिए काफी चिंताजनक है। यह वह वक्त होता है जब दोनों को उम्मीद नहीं खोनी चाहिए। पहले की ही तरह इस दौरान भी सेल्फ क्वारंटाइन और आइसोलेशन का गंभीरता से पालन करना चाहिए।

इस दौरान चिंता और परेशान होना स्वाभाविक है। इस वक्त आपका ध्यान संक्रमण से लड़ने और इसे पूरी तरह से अपने शरीर से बाहर करने पर होना चाहिए। इलाज और देखभाल में लगे स्वास्थ्य कर्मियों का पूरी तरह से सहयोग करें, जिससे बीमारी को जल्दी से जल्दी ठीक किया जा सके।

फोन कॉल और वीडियो कॉल के माध्यम से अपने परिवार और प्रियजनों के संपर्क में रहें। इससे मानसिक रूप से इस बीमारी से मुकाबला करने में आपको मदद मिलेगी। पौष्टिक भोजन, व्यायाम (डॉक्टरों के सुझाव पर), किताबें पढ़ने और तनाव मुक्त रहने के लिए मेडिटेशन जैसे योग क्रियाओं पर ध्यान दें।

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