नए कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 से होने वाली बीमारी कोविड-19 को लेकर रोजाना नई-नई बातें सामने आ रही हैं। नया कोरोना वायरस सिर्फ फेफड़ों को ही नहीं बल्कि मस्तिष्क को भी क्षतिग्रस्त कर सकता है जिससे मरीज में कई तरह की दिमागी बीमारियां और समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। लेकिन अब कोविड-19 को लेकर एक और नई बात सामने आयी है कि जिसके मुताबिक कोविड-19 मरीज के दिमाग पर हमला कर उसके व्यक्तित्व में भी परिवर्तन कर सकता है। इसे लेकर चेतावनी भी जारी की गई है कि यह एक नया सिंड्रोम हो सकता है जो बच्चों को प्रभावित करता हो।
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व्यक्तित्व में बदलाव, मतिभ्रम और हिंसक दौरे भी दिखे
यह मामला लंदन का है। रिपोर्ट्स की मानें तो 15 साल की एक किशोरी निया हॉगटन को कोविड-19 का इंफेक्शन हुआ जिसके बाद उसका व्यक्तित्व पूरी तरह से बदल गया है। डॉक्टरों का कहना है कि वायरस ने पहले निया के फेफड़ों को प्रभावित किया जिसके बाद उसे दवा देकर वेंटिलेटर पर रखा गया ताकि उसे सांस लेने में मदद मिल सके। इसके बाद करीब 2 सप्ताह तक निया आईसीयू में रहकर वायरस के खिलाफ लड़ी। ऐसा लग रहा था कि 15 साल की यह किशोरी कोविड के खिलाफ जंग को जीत जाएगी लेकिन तभी उसमें मतिभ्रम (हैलुसिनेशन्स) और हिंसक दौरे देखने को मिले और उसका व्यवहार और आवाज भी बदल गई। डॉक्टरों ने पाया कि निया के मस्तिष्क में उत्तेजना हो रही थी।
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15 साल की किशोरी फिर से 4 साल की बच्ची बन गई
निया की मां ने बताया, 'मैं नहीं जानती की ज्यादा डरावना क्या था, मेरी बेटी का वेंटिलेटर पर रहना और सांस न ले पाना या फिर यह हकीकत की वह ठीक तो हो गई लेकिन पूरी तरह से अलग व्यक्तित्व के साथ। उसके चेहरे के हाव-भाव बदल गए थे, वह गिनती तक नहीं कर पा रही थी, ऐसा लग रहा था कि वह फिर से 4 या 5 साल की बच्ची हो गई थी।'
बोलने में दिक्कत और याददाश्त खोने की भी समस्या
15 साल की निया को अब भी बोलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और वह याददाश्त खोने की समस्या से भी पीड़ित है। निया का यह मामला कई तरह के संकेत देता है कि यह नया कोरोना वायरस कितना खतरनाक है और यह किस प्रकार से बच्चों के विकासशील मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने का कारण बन सकता है। अप्रैल 2020 में जब एक डेढ़ सप्ताह तक निया को सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या रही तो उसे इलाज के लिए ईवलीना लंदन चिल्ड्रेन्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया।
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मतिभ्रम का कारण बन रहा है कोविड-19
आईसीयू में भर्ती होने के बाद निया हॉगटन की स्थिति में सुधार होने लगा और आखिरकार वह बिना सपोर्ट के सांस लेने लगी। लेकिन कुछ ही दिनों के अंदर उसकी स्थिति बदतर हो गई। जो लोग वहां मौजूद नहीं थे उनके बारे में भी उसे मतिभ्रम (हैलुसिनेशन्स) होने लगा। उसे पता ही नहीं चल रहा था कि क्या हकीकत है और क्या नहीं। यह सब बहुत ही डरावना था। उसे आवाजें सुनाई दे रहीं थीं और ये पूरा अनुभव उसके लिए किसी मानसिक सदमे जैसा था।
इन्सेफेलाइटिस भी डायग्नोज हुआ
ऐसे समय में नया कोरोना वायरस उसके मस्तिष्क पर हमला कर रहा था और हो सकता है कि इस वजह से ही उसके व्यक्तित्व में बदलाव हो रहा था। निया में इन्सेफेलाइटिस भी डायग्नोज हुआ था जिसकी वजह से मतिभ्रम की समस्या, बोलने में दिक्कत और याददाश्त खोने जैसी कई जटिलताएं देखने को मिलती हैं। यूके की नैशनल हेल्थ सर्विस की मानें तो बच्चे और बुजुर्गों को इस तरह की समस्याओं का खतरा सबसे अधिक है।
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बीमारी से उबरने के बाद भी मरीजों में दिख रही कई समस्याएं
एक्सपर्ट्स मौजूदा समय में यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि नए कोरोना वायरस का तत्काल के चरणों में और लंबी अवधि में भी इंसान के शरीर पर कैसा प्रभाव देखने को मिलता है। जैसे-जैसे दिन और महीने बीत रहे हैं, कोविड-19- इस जानलेवा बीमारी से उबरने के बाद भी मरीजों में कई समस्याएं और अलग-अलग असर देखने को मिल रहे हैं।
इससे पहले जुलाई 2020 में ब्रिटेन स्थित यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में एक स्टडी हुई थी जिसमें वैज्ञानिकों ने आशंका जताई थी कि नया कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति को तंत्रिका तंत्र से जुड़ी कई गंभीर बीमारियां दे सकता है। इसमें मस्तिष्क में सूजन, साइकोसिस और उन्माद या प्रलाप (डिलिरियम) जैसी समस्याएं शामिल हैं। इसके अलावा कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आने वाले कुछ मरीजों में मानसिक समस्याएं भी देखने को मिलती हैं।
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