ब्रिटेन की दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका प्रयोग के तहत कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली एक दवा से कोविड-19 बीमारी के मरीजों को ठीक करने का प्रयास कर रही है। खबर है कि दवा के शुरुआती परीक्षणों में सकारात्मक परिणाम मिले हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, 'कैलक्वेंस' नाम की इस दवा ने अस्पताल में भर्ती कोविड-19 के मरीजों की हालत सुधारने में कुछ मदद की है। 

अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के समर्थन से किए गए अध्ययन में दवा को 19 मरीजों पर आजमाया गया था। अप्रैल में जब ट्रायल की शुरुआत हुई थी तब इन 19 मरीजों में से 11 ऑक्सीजन के भरोसे थे। दवा से जुड़े कोई दस से 14 दिनों के कोर्स के बाद उन 11 मरीजों में से आठ को डिस्चार्ज कर दिया गया था। उनकी हालत इतनी सुधर गई थी कि वे खुद सांस ले पा रहे थे।

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वहीं, आठ अन्य मरीजों को जब कैलक्वेंस दी गई तब वे मकैनिकल वेंटिलेशन पर थे। इनमें से चार को डिस्चार्ज करने में कामयाबी मिली, जबकि एक मरीज की फेफड़ों के काम बंद करने की वजह से मौत हो गई। शोध को लेकर कंपनी के एक पदाधिकारी ने अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा, 'इन मरीजों की हालत बहुत अस्थायी थी। उनकी हालत बहुत ज्यादा बिगड़ सकती थी। (लेकिन) वेंटिलेशन और ऑक्सीजन के लिहाज से देखें तो एक से तीन दिन के अंदर ही ज्यादातर मरीजों में सुधार देखने को मिला।'

कैलक्वेंस का इस्तेमाल क्यों?
मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के मरीजों की हालत तब गंभीर हो जाती है, जब शरीर का इम्यून सिस्टम वायरस के खिलाफ आवश्यकता से ज्यादा प्रतिक्रिया देने लगता है। इस प्रक्रिया को मेडिकल जानकार साइटोकिन स्टॉर्म कहते हैं। कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यून सिस्टम की इस अति-प्रतिक्रिया को रोकने या समाप्त करने के लिए कई ड्रग्स का इस्तेमाल किया गया है। इन्हीं ड्रग्स के क्रम में नया नाम कैलक्वेंस का भी है, जो साइटोकिन स्टॉर्म को बढ़ने से रोकती है।

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गौरतलब है कि कोविड-19 के चलते शरीर की रोग-प्रतिकारक क्षमता की अतिसक्रियता को रोकने के लिए कई तरह के ड्रग्स आजमाए जा रहे हैं। कैलक्वेंस के अलावा इस सूची में रीजेनरॉन और सनोफी की 'केवजारा', रॉश कंपनी की 'एक्टेम्रा' और मॉरफोसिस की 'ओटिलिमैब' दवा पहले से शामिल हैं।

क्या है कैलक्वेंस?
कैलक्वेंस दवा शरीर के कुछ विशेष एंजाइम की गतिविधियों को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। बताया जाता है कि शरीर में कैंसरकारी कोशिकाओं को फैलने से रोकने के लिए यह दवा काम में लाई जाती है। यह ड्रग ऐसी कोशिकाओं को बढ़ने और फैलने से रोकती है, जो बाद में कैंसर का कारण बनती हैं। जानकारों की मानें तो जब कैंसर के इलाज में अन्य दवाएं विफल हो जाती हैं, तब कैलक्वेंस का इस्तेमाल किया जाता है।

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दरअसल, शरीर में संक्रमण से लड़ने में श्वेत कोशिकाओं की भूमिका बेहद अहम मानी जाती है। ऐसी कुछ विशेष श्वेत कोशिकाओं को 'बी-सेल्स' कहा जाता है। ये बी-सेल्स जब बिगड़ जाती हैं तो परिणामस्वरूप शरीर में 'मेंटल सेल लिम्फोमा' का विकास होता है, जो ब्लड कैंसर का कारण बनती है। ऐसा न हो, इसीलिए कैलक्वेंस का इस्तेमाल किया जाता है। यह दवा अमेरिकी ड्रग एजेंसी एफडीए द्वारा मान्यता प्राप्त है, जिसे क्रॉनिक लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया के इलाज में भी इस्तेमाल किया जाता है।

नोट: यह रिपोर्ट केवल एस्ट्राजेनेका द्वारा कैलक्वेंस दवा के परीक्षण से जुड़ी जानकारी देती है और किसी भी प्रकार से कोविड-19 के इलाज के लिए इस ड्रग के इस्तेमाल का समर्थन नहीं करती है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इस रिपोर्ट को जानकारी के रूप में ही लें और कोविड-19 के इलाज को लेकर अपने विवेक का इस्तेमाल करें।

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