एक तरफ जहां नए कोरोना वायरस की वजह से अब दुनियाभर में 24 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं और 1 लाख 65 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं अच्छी खबर ये भी है कि इनमें से करीब 6 लाख 25 हजार से ज्यादा लोग पूरी तरह से ठीक भी हो चुके हैं। इसके लिए डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा से जुड़े कर्मचारियों का धन्यवाद करने की जरूरत है जो अपने संक्रमित होने की परवाह किए बिना दिन-रात कोविड-19 संक्रमित मरीजों का इलाज करने में जुटे हैं।

कोविड-19 संक्रमण से पूरी तरह से उबर चुके मरीज, जिन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है उन्हें घर पर भी पूरी देखरेख की जरूरत होती है। क्योंकि यह वायरस मरीज के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम को भी कमजोर बना देता है। ऐसे में अस्पताल से डिस्चार्ज होने वाले मरीज या फिर वैसे मरीज जिन्हें हल्के लक्षणों की वजह से घर पर ही आइसोलेशन या क्वारंटीन में रखा जाता है उनका खास ध्यान रखने के लिए केयरटेकर्स की जरूरत होती है। 

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संक्रमित मरीज या फिर ठीक होकर घर आने वाले मरीज की देखभाल करने वाले केयरटेकर को पता होना चाहिए कि उन्हें मरीज के आसपास के वातावरण को किस तरह से साफ, सुरक्षित और कीटाणुमुक्त बनाकर रखना है। इस आर्टिकल में हम आपको यही बता रहे हैं कि घर पर रहने वाले कोविड-19 के संदिग्ध या संक्रमित मरीज द्वारा उत्पन्न किए गए बायोमेडिकल अपशिष्ट पदार्थों का प्रबंधन किस तरह से करना है।

  1. घर पर कोविड-19 मरीज का ध्यान रखते हुए खुद को सुरक्षित कैसे रखें?
  2. कीटाणुमुक्त करने वाला सॉलूशन घर पर कैसे बनाएं?
  3. कोविड-19 मरीज के श्वास संबंधी अपशिष्ट पदार्थों का प्रबंधन करते वक्त रखें ध्यान
  4. कोविड-19 मरीज के कपड़े और जूठे बर्तन धोते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
  5. संक्रमित व्यक्ति से जुड़े अपशिष्ट पदार्थों का निपटारा
  6. घर पर रहने वाले कोविड-19 मरीज के बायोमेडिकल वेस्ट का कैसे करें प्रबंधन, यहां जानें के डॉक्टर

संक्रमित मरीज के साथ-साथ घर के बाकी सदस्यों को भी श्वसन संबंधी साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। जब भी खांसी या छींक आए तो अपनी नाक और मुंह को डिस्पोजेबल टीशू या फिर अपनी कोहनी से ढक लेना चाहिए। मरीज के साथ-साथ उनका ध्यान रखने वाले केयरटेकर को भी चेहरे पर प्रोटेक्टिव फेस मास्क लगाकर रखना चाहिए। संक्रमित मरीज का ध्यान रखते वक्त आप खुद सुरक्षित रहें, इसके लिए अपने हाथों की सफाई का पूरा ध्यान रखें। अपने हाथों को नियमित रूप से साबुन-पानी से या फिर 60 प्रतिशत एल्कोहल-बेस्ड हैंड सैनिटाइजर से जरूर साफ करें।

अपने हाथों को धोना चाहिए :

  • जब भी आपको खांसी या छींक आए उसके बाद
  • हर बार टॉइलेट का इस्तेमाल करने के बाद
  • खाना बनाने और खाना खाने से पहले
  • अपने पालतू जानवरों को छूने के बाद
  • चेहरे पर लगा मास्क या हाथों के ग्लव्स उतारने के बाद
  • किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद

संक्रमित व्यक्ति के आसपास मौजूद सभी सतहों और वैसी सतहें जिन्हें बार-बार और परिवार के सभी सदस्य छूते हैं उन्हें नियमित रूप से 1 प्रतिशत ब्लीच सॉलूशन की मदद से साफ करना चाहिए। इस सॉलूशन को आप घर पर ही बड़ी आसानी से तैयार कर सकते हैं।

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myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Urjas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को सेक्स समस्याओं के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

ब्लीच सॉलूशन सबसे कॉमन कीटाणुनाशक है, जिसका इस्तेमाल कोविड-19 संक्रमित मरीज के आसपास मौजूद चीजों और सतहों को साफ और कीटाणुमुक्त बनाने के लिए किया जाता है। इस ब्लीच सॉलूशन को बनाने के लिए 3.78 लीटर पानी में 5 चम्मच ब्लीच मिलाएं और मिश्रण को अच्छी तरह से मिक्स कर लें। जब भी आप इस कीटाणुनाशक सॉलूशन का इस्तेमाल किसी भी सतह को साफ करने के लिए करें तो इसे सतह पर कम से कम 1 मिनट तक रहने दें और उसके बाद यह अपने आप सूख जाएगा।

बाजार में कई तरह के ब्लीच सॉलूशन मिलते हैं, जिनका इस्तेमाल कीटाणुनाशक के रूप में किया जा सकता है :

  • सोडियम हाइपोक्लोराइड लिक्विड ब्लीच जिसमें 3-5 फीसद क्लोरीन कॉन्टेंट होता है : 1 हिस्सा ब्लीच सॉलूशन में 2.5 हिस्सा पानी मिलाएं
  • सोडियम हाइपोक्लोराइड लिक्विड ब्लीच जिसमें 5 प्रतिशत क्लोरीन कॉन्टेंट हो : 1 हिस्सा ब्लीच सॉलूशन में 4 हिस्सा पानी मिलाएं
  • सोडियम हाइपोक्लोराइड लिक्विड जिसमें 10 फीसद क्लोरीन कॉन्टेंट हो : 1 हिस्सा ब्लीच सॉलूशन में 9 हिस्सा पानी मिलाएं
  • ब्लीचिंग पाउडर जिसमें 70 प्रतिशत क्लोरीन कॉन्टेंट हो : 7 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर में 1 लीटर पानी मिलाएं

ब्लीच सॉलूशन तैयार करते वक्त कुछ जरूरी बातें याद रखेंस:

  • ब्लीच सॉलूशन बनाते वक्त या इस्तेमाल करते वक्त हमेशा मास्क पहनकर रखें।
  • जिस कमरे में आप ब्लीच सॉलूशन से सफाई कर रहे हों वहां की सभी खिड़कियां खोल दें ताकि कोई भी इस सॉलूश को सांस के जरिए शरीर के अंदर न ले पाए।
  • ब्लीच सॉलूशन में अमोनिया कभी मिक्स न करें क्योंकि इससे जहरीली गैस बनती है जिससे सांस लेने में तकलीफ और छाती में दर्द शुरू हो सकता है। बाजार में बिकने वाले बहुत सारे क्लीनिंग सॉलूशन में अमोनिया होता है।
  • हर बार सफाई करते वक्त नया ब्लीच सॉलूशन तैयार करें, क्योंकि इस ब्लीच सॉलूशन की शेल्फ लाइफ सिर्फ 8 घंटे होती है।

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1. टीशू पेपर या रूमाल

मरीज को डिस्पोजेबल टीशू या फिर दोबारा इस्तेमाल किया जाने वाला तौलिया दिया जाना चाहिए, ताकि वह खासंते या छींकते वक्त अपने मुंह को इससे ढक लें। अगर मरीज को डिस्पोजेबल टीशू दिया गया है तो इस्तेमाल किए गए टीशू को तुरंत ढक्कन वाले कूड़ेदान में डाल देना चाहिए। अगर मरीज रूमाल या दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाला तौलिया यूज कर रहा है तो इसे साफ करने के लिए 1 प्रतिशत ब्लीच सॉलूशन में 30 मिनट तक डालकर रखें और उसके बाद साबुन-पानी से इसे अच्छी तरह से साफ करें और फिर सूरज की रोशनी में सुखा दें। उसके बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से साबुन-पानी से धो लें।

2. पीकदान (स्पीटून)

पीकदान एक ऐसा कंटेनर होता है जिसमें मरीज थूक या बलगम को थूक सकता है। मरीज को जो पीकदान दिया जाए उसमें ढक्कन लगा होना चाहिए और उसमें 1 प्रतिशत ब्लीच सॉलूशन होना चाहिए। मरीज को हर बार उस पीकदान को इस्तेमाल करने के बाद उसे ढंक देना चाहिए। करीब 10 बार इस्तेमाल करने के बाद पीकदान में जमा हुए थूक, बलगम, कफ और खखार को मरीज द्वारा इस्तेमाल किए गए कमोड में फेंक देना चाहिए। अगर मरीज किसी ऐसी जगह पर रह रहा है जहां टॉइलट की सुविधा नहीं है तो शरीर से निकले इस वेस्ट मटीरियल को मिट्टी में गड्ढा करके दबा देना चाहिए।

पीकदान की सफाई करने से पहले हाथों में हेवी-ड्यूटी ग्लव्स पहन लें और उसके बाद साबुन-पानी से पीकदान की सफाई करें। पीकदान को साफ करने के बाद उसे 1 प्रतिशत ब्लीच सॉलूशन में 30 मिनट तक डुबो कर छोड़ दें ताकि वह पूरी तरह से कीटाणुमुक्त हो जाए और फिर सूरज की रोशनी में रख दें ताकि वह सूख जाए। पीकदान को फिर से ब्लीच सॉलूशन से भरकर मरीज को दें। इसके बाद अपने हाथों को साबुन पानी से अच्छी तरह से धो लें।

3. फेस मास्क

2 तरह का मास्क होता है जिसे मरीज और स्वस्थ व्यक्ति द्वारा इस्तेमाल किया जाता है: डिस्पोजेबल और रीयूजेबल। डिस्पोजेबल फेस मास्क 3 लेयर वाला सर्जिकल मास्क होता है जिसे गंदा होने के बाद फेंक दिया जाता है। रीयूजेबल यानी दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले फेस मास्क को घर पर ही सूती कपड़े की 3 लेयर को जोड़कर तैयार किया जा सकता है।

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डिस्पोजेबल मास्क को सिर्फ 4 घंटे के लिए ही पहनना चाहिए और फिर उसे फेंक देना चाहिए। अगर 4 घंटे से पहले ही खांसी या छींक के साथ निकले ड्रॉपलेट्स की वजह से मास्क गीला हो जाता है तो उसे फेंक देना चाहिए। मास्क को हमेशा किसी ढक्कन वाले कूड़ेदान में ही डालना चाहिए जिसमें पहले से प्लास्टिक लगा हो। रीयूजेबल मास्क को इस्तेमाल के बाद पहले साबुन-पानी से धोना चाहिए और फिर उसे 1 प्रतिशत ब्लीच सॉलूशन में 30 मिनट तक डुबोकर रखना चाहिए। इससे कीटाणु पूरी तरह से निकल जाते हैं। मास्क को धोते वक्त हाथों में हेवी-ड्यूटी ग्लव्स पहनना चाहिए।

कोविड-19 संक्रमित मरीज का ध्यान रखने वाले केयरटेकर को हमेशा मरीज के कपड़े या बर्तन साफ करने से पहले हाथों में हेवी-ड्यूटी ग्लव्स पहनना चाहिए।

1. कपड़े धोना

मरीज के कपड़ों के अलावा बिस्तर पर बिछी चादर, तौलिया आदि की सफाई भी जरूरी है। लिहाजा इन गंदी लॉन्ड्री को बंद बास्केट में रखकर बाथरूम में ले जाना चाहिए। गंदे कपड़ों को हिलाएं या झाड़े नहीं क्योंकि इससे वायरस हवा में फैल सकता है। अगर संभव हो तो संक्रमित मरीज के कपड़े धोने के लिए अलग वॉशिंग मशीन का इस्तेमाल करें। अगर वॉशिंग मशीन की सुविधा न हो तो हाथों में हेवी-ड्यूटी ग्लव्स और चेहरे पर प्रोटेक्टिव मास्क लगाकर ही कपड़ों को धोएं और उसके बाद उन्हें सूरज की रोशनी में सूखने के लिए रख दें।

2. जूठे बर्तनों की सफाई

संक्रमित मरीज को उनके ही कमरे में खाना देना चाहिए। जब उनका खाना हो जाए तो प्लेट में बचे खाने को ढक्कन वाले डस्टबिन में डाल दें और उसके बाद प्लेट, कटोरी और बाकी बर्तनों को पहले गर्म पानी से साफ करें और उसके बाद बर्तन धोने वाले डिटर्जेंट और पानी से। अगर संभव हो तो संक्रमित व्यक्ति के खाने-पीने वाले बर्तन परिवार के दूसरे सदस्यों के बर्तन से अलग ही रखें।

(और पढ़ें : कोविड-19 मरीज की देखभाल करते वक्त इन बातों का रखें ध्यान)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Kesh Art Hair Oil बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने 1 लाख से अधिक लोगों को बालों से जुड़ी कई समस्याओं (बालों का झड़ना, सफेद बाल और डैंड्रफ) के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

जब संक्रमित व्यक्ति अस्पताल से डिस्चार्ज हो रहा हो तो आप अस्पताल वालों से पीले रंग के नॉन-क्लोरिनेटेड प्लास्टिक बैग की मांग कर सकते हैं, जिसका इस्तेमाल सिर्फ संक्रमित मरीज द्वारा उत्पन्न किए गए कचरे को रखने के लिए ही करना चाहिए। संक्रमित मरीज के कचरे को इधर उधर नहीं फेंकना चाहिए और इसे रेग्युलर मुनिसिपल कर्मचारी को नहीं देना चाहिए क्योंकि यह संक्रमण का माध्यम हो सकता है। घर के बाकी के कचरे को अलग प्लास्टिक बैग में रखना चाहिए। संक्रमित व्यक्ति द्वारा उत्पन्न किए गए कचरे को छूते वक्त हाथों में हेवी-ड्यूटी ग्लव्स पहनना चाहिए।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार ने नगरपालिकाओं के लिए कुछ जरूरी दिशा निर्देश जारी किए हैं जिसके तहत कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फसिलिटी को इसमें शामिल किया गया है ताकि वे संक्रमित मरीज के घर से या फिर क्वारंटीन किए गए मरीज के घर से सीधे बायोमेडिकल कचरा या अपशिष्ट पदार्थों को इक्ट्ठा कर लें या फिर निर्धारित कलेक्शन पॉइंट्स से।

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