कोरोना वायरस को लेकर एक नया और दिलचस्प तथ्य सामने आया है। इटली में पालतू जानवरों से जुड़े एक बड़े अध्ययन में पाया गया है कि उनमें रिवर्स ट्रांसमिशन (किसी वायरस का जानवरों से इन्सानों और इन्सानों से अन्य जानवरों में फैलना) की संभावना है। शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के तहत बड़ी संख्या में पालतू जानवरों के टेस्ट किए थे, जिनमें से कुछ में कोरोना वायरस को खत्म करने वाले एंटीबॉडी मिले हैं। दिलचस्प बात यह है कि किसी भी जानवर में कोविड-19 महामारी की वजह बना सार्स-सीओवी-2 वायरस नहीं पाया गया।

कुछ प्रयोगों के आधार पर कहा जाता रहा है कि कुत्तों में वायरस संक्रमण आसानी से नहीं फैलता है और ज्यादातर में इसके लक्षण भी नहीं दिखते हैं। वहीं, बिल्लियों में संक्रमण के श्वसन संबंधी लक्षण दिख सकते हैं और वे वायरस को दूसरे जानवरों में ट्रांसफर भी कर सकती हैं। नया अध्ययन कहता है कि जिन जगहों पर संक्रमण काफी ज्यादा फैला होता है, वहां पेट्स में वायरस का रिवर्स ट्रांसमिशन संभव है।

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खबरों के मुताबिक, इटली में पेट्स पर किया गया यह अध्ययन काफी बड़े स्तर पर अंजाम दिया गया था। इसके लिए शोधकर्ताओं ने विस्तृत सर्वे के तहत मार्च से मई के बीच पालतू कुत्तों और बिल्लियों से जुड़ी जानकारी इकट्ठा की। ये पेट्स उन घरों या परिवारों से थे, जिनमें कोविड-19 के मामले सामने आए थे या वे कोरोना वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित इलाकों में रह रहे थे। शोधकर्ताओं ने 900 से ज्यादा कुत्तों और 500 से अधिक बिल्लियों के अलग-अलग सैंपल (नाक, गला, मल) लिए।

कुल मिला कर 1,420 नमूने इकट्ठा किए गए। इनमें 40 सैंपल उन कुत्तों और बिल्लियों के थे, जिनमें सैंपल लिए जाते समय कोरोना संक्रमण के लक्षण दिखे थे। वहीं, 60 सैंपल उन पेट्स के थे, जिन्हें पालने वाले परिवारों में कोविड-19 के एक या उससे ज्यादा पॉजिटिव मामले सामने आए थे। हालांकि आरटी-पीसीआर टेस्ट में सभी पालतू जानवरों के सैंपल नेगेटिव पाए गए यानी उनमें कोरोना वायरस नहीं मिला। इससे निष्कर्ष निकाला गया कि ये जानवर कोरोना वायरस की चपेट में तो आए थे, लेकिन 'सक्रिय रूप से' संक्रमित नहीं हुए थे।

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इसके अलावा, वायरल न्यूक्लोप्रोटीन और एन्वेलप प्रोटीन एंटीजन की पहचान के लिए भी कुछ पालतू जानवरों की आरटी-पीसीआर टेस्टिंग की गई थी। साथ ही वायरस को खत्म करने वाले एंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए उनके प्लैक न्यूट्रलाइजेशन टेस्ट भी किए गए। जांच में 13 कुत्तों और छह बिल्लियों के शरीर में तीन से चार प्रतिशत उन विशेष एंटीबॉडीज यानी रोग प्रतिरोधकों की मौजूदगी का पता चला, जो शरीर में सार्स-सीओवी-2 वायरस को रोकने में सक्षम बताए जाते हैं। कमाल की बात यह है कि इनमें भी कोई भी पेट टेस्टिंग के समय सिम्प्टोमैटिक नहीं था।

शोध के परिणामों से यह संकेत भी मिलता है कि पालतू जानवरों में कोरोना वायरस के संक्रमण का संबंध आयु और लिंग से है। दरअसल शोध में शामिल एक साल से कम उम्र के 423 पेट्स को कोरोना वायरस संक्रमित नहीं कर पाया था। वहीं, एक से तीन साल के सात प्रतिशत, चार से सात साल के तीन प्रतिशत और आठ साल या उससे ज्यादा उम्र के तीन प्रतिशत पेट्स वायरस की चपेट में आए थे।

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सर्वे के परिणामों से कुत्तों और बिल्लियों की सेरोकन्वर्जन की क्षमता को समर्थन मिलता है। कुत्तों में एंटीबॉडी विकसित करने की ज्यादा क्षमता, उनके संक्रमित होने की संभावना को बढ़ाती है। परिणामों में पाया गया कि मादा कुत्तों की अपेक्षा नर कुत्ते ज्यादा संक्रमित हुए। अध्ययन में इसकी वजह दोनों के शारीरिक अंतर को बताया गया है। ऐसा इन्सानों में भी देखने को मिला है। दुनियाभर में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं कोरोना वायरस से कम संक्रमित हुई हैं और उनकी मृत्यु दर भी पुरुषों की तुलना में कम है।

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी की शुरुआत में चीन में पालतू जानवरों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कुछ मामले सामने आए थे। तब यह आशंका जताई गई थी कि सार्स-सीओवी-2 कुत्तों और बिल्लियों समेत कुछ अन्य जानवरों को संक्रमित कर सकता है। हालांकि, उस समय इसे खारिज कर दिया गया था। लेकिन उसके बाद भी जानवरों में वायरस फैलने की घटनाएं सामने आती रहीं। अब यह अध्ययन इस बात का समर्थन करता है कि हाई ह्यूमन इन्फेक्शन वाले माहौल में पालतू जानवर भी कोरोना वायरस की चपेट में आ सकते हैं।

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