अमेरिका में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या एक करोड़ 43 लाख से ज्यादा हो चुकी है। यहां प्रतिदिन दर्ज होने वाले कोविड-19 मामलों का आंकड़ा किसी-किसी दिन दो लाख तक पहुंच रहा है। कोविड-19 महामारी के आंकड़ों की ऑनलाइन ट्रैकिंग कर रहे प्लेटफॉर्म वर्ल्डओमीटर के मुताबिक, बुधवार को अमेरिका में एक बार फिर दो लाख से ज्यादा नए संक्रमितों का पता चला है। इसी दौरान, 2,800 से ज्यादा मरीजों की मौत की पुष्टि की गई है। इससे अमेरिका में कोविड-19 से मारे गए लोगों की संख्या दो लाख 80 हजार के करीब पहुंच गई है। यह संख्या दुनियाभर में कोविड-19 से मारे गए लोगों की संख्या का 18 प्रतिशत से भी ज्यादा है। कोरोना वायरस की वजह से किसी भी अन्य देश में इतनी बड़ी संख्या में नागरिक नुकसान नहीं हुआ है। इस पर और बुरी खबर यह है कि अमेरिका में कोरोना मृतकों की संख्या अभी और बदतर आंकड़े की तरफ बढ़ सकती है।

दरअसल, शीर्ष अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अमेरिका एक बहुत भयानक सर्दी के सीजन का सामना करने जा रहा है, जिसके खत्म होने तक कोविड-19 से होने वाली मौतों की संख्या साढ़े चार लाख के करीब पहुंच सकती है। बुधवार को सीडीसी के प्रमुख डॉ. रॉबर्ट रेडफील्ड ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए यह बात कही है। उन्होंने साफ कहा है कि जब तक अमेरिका की आबादी एक बड़ा हिस्सा कोरोना वायरस के ट्रांसमिशन को रोकने के लिए अधिक सावधानियां नहीं बरतता, तब तक यहां मौतों का आंकड़ा बड़ी संख्या के साथ बढ़ता रहेगा। रेडफील्ड ने कहा कि इसका नतीजा यह हो सकता है कि फरवरी 2021 आने तक अमेरिका में कोरोना वायरस से हुई मौतों की संख्या साढ़े चार लाख के नजदीक पहुंच सकती है।

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दि न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. रॉबर्ट रेडफील्ड ने कहा है, 'सच्चाई यह है कि इस बार का दिसंबर, जनवरी और फरवरी बहुत मुश्किल भरे होने वाले हैं। वास्तव में मेरा मानना है कि ये महीने इस देश के सार्वजनिक स्वास्थ्य इतिहास के सबसे मुश्किल वक्त के रूप में गुजरने वाले हैं। अब हम संभावित रूप से उस रेंज में हैं जब हर दिन वायरस से 1,500 से 2,000 से 2,500 मौतें होना शुरू होंगी। यह खतरा वास्तविक है और दुर्भाग्य से मुझे यह कहना पड़ेगा कि मेरे विचार में फरवरी तक हम अमेरिकी नागरिक साढ़े चार लाख मौतों के करीब पहुंच सकते हैं।'

हालांकि इसके साथ सीडीसी प्रमुख ने यह भी कहा कि अगर लोग मास्क पहनने जैसे सावधानियां और अधिक बरतें तो मृतकों की भावी संख्या को लेकर लगाया गया यह अनुमान कम भी हो सकता है। इस बारे में रेडफील्ड ने कहा, 'यह पहले से तय नहीं है और हम लाचार नहीं हैं। (सावधानियां बरतने से) खतरा कम हो सकता है। लेकिन ऐसा नहीं होने वाला अगर हम में से आधे लोग वह नहीं करेंगे, जो करने की जरूरत है।'

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अमेरिका में दिसंबर 2019 में पहुंच गया था कोरोना वायरस: अध्ययन
इस बीच, एक वैज्ञानिक विश्लेषण आधारित रिपोर्ट में बताया गया है कि कोविड-19 की वजह बना कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 पिछले साल दिसंबर में ही वहां कुछ लोगों को संक्रमित कर चुका था। हालांकि उसका ट्रांसमिशन बाद में हुआ। यह जानकारी कोविड-19 महामारी से जुड़े इस तथ्य को कड़ी चुनौती देती है, जिसके मुताबिक सार्स-सीओवी-2 सबसे पहले चीन में वजूद में आया, जहां 30-31 दिसंबर 2019 को पहली बार इसके अस्तित्व को स्वीकार किया गया। नई रिपोर्ट कहती है कि अमेरिका में उससे पहले ही 13 दिसंबर 2020 के आसपास ही वायरस ने कुछ लोगों को संक्रमित कर दिया था। शोधकर्ताओं ने अमेरिकन रेड क्रॉस डोनेशन से लिए खून के सैंपलों की जांच के बाद यह बात कही है। उन्होंने यह भी कहा है कि वे इसका दावा नहीं कर सकते कि अध्ययन में ज्ञात हुए संक्रमण के मामले दूसरे देशों से आए यात्रियों से संबंधित थे या उन्हीं से अमेरिका में वायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हुआ।

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न्यूयॉर्क टाइम्स की ही रिपोर्ट के मुताबिक, इस नई रिपोर्ट से पहले दस्तावेजों में अमेरिका में कोरोना वायरस संक्रमण का सबसे पहला मामला 19 जनवरी, 2020 का बताया जाता है। तब कहा गया था कि चीन से अमेरिका लौटे एक व्यक्ति में पहली बार कोरोना वायरस होने की पुष्टि हुई थी। हालांकि अन्य जेनेटिक अध्ययनों में कहा गया था कि अमेरिका में वायरस इसके पहले से मौजूद हो सकता है। नया अध्ययन इसी कड़ी का हिस्सा है। इसमें बताया गया है कि अमेरिका के नौ राज्यों से लिए गए ब्लड डोनेशन सैंपलों को जांच के लिए सीडीसी के पास भेजा गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने 7,000 से ज्यादा सैंपल टेस्ट किए थे, जिनमें से 106 में कोरोना वायरस एंटीबॉडी मिलने की बात कही गई है।

हालांकि कुछ शोधकर्ताओं ने अध्ययन को लेकर सावधानी बरतने को कहा है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के एपिडेमियोलॉजिस्ट ट्रेवर बेडफर्ड का कहना है कि हो सकता है नई स्टडी में उन लोगों की पहचान कर ली गई हो, जिनमें दूसरे ह्यूमन कोरोना वायरस के एंटीबॉडी हों। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि हो सकता कुछ यात्री दूसरे देशों से संक्रमित होने के बाद अमेरिका पहुंचे हों, लेकिन उस समय उनमें कोरोना वायरस होने का पता न चला हो।

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