भारत की वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के प्रमुख शेखर सी मंडे ने चेतावनी दी है कि नए कोरोना वायरस का एयरबोर्न ट्रांसमिशन (हवा के जरिये फैलना) संभव है, लिहाजा लोगों को को मास्क पहनकर रखना चाहिए। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, सीएसआईआर के प्रमुख ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के उस हालिया बयान के हवाले से यह बात कही, जिसमें उसने कहा था कि हाल में कोरोना वायरस के एयरबोर्न ट्रांसमिशन का दावा करने वाली रिपोर्टें सामने आई हैं। शेखर मंडे ने अपने एक ब्लॉग में इस बारे में कहा है, 'तमाम सबूत और दलीलें यह बताते हैं कि निश्चित ही सार्स-सीओवी-2 का एयरबोर्न ट्रांसमिशन अपनेआप में एक संभावना है।'

(और पढ़ें - भारत में कोविड-19 के 11.55 लाख मरीज, मृतकों का आंकड़ा 28 हजार के पार, दिल्ली में नए मामलों की संख्या 1,000 से कम, महाराष्ट्र में 12 हजार लोगों की मौत)

यह बात कहते हुए सीएसआईआर प्रमुख ने यह भी बताया कि ऐसे माहौल में लोग खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। उन्होंने कहा, 'इसके जवाब आसान और सीधे हैं- भीड़ में जानें से बचिए, बंद जगहों - जैसे कार्यालय - को हवादार बनाए रखें और सबसे जरूरी बात, बंद जगहों पर मास्क पहने रखें।' शेखर मंडे ने कहा कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मास्क पहनना सबसे कारगर तरीका मालूम होता है, जिसे संभवतः सभी के लिए अनिवार्य किया जा सकता है।

सीएसआईआर प्रमुख ने यह भी कहा कि सतहों के जरिये वायरस के फैलने की कितनी संभावना है, इस पर जारी बहस के बीच यह समझना होगा कि सांस लेना भी संक्रमण फैलने का एक माध्यम हो सकता है। मंडे ने कहा, 'यह अब अच्छी तरह पता चल चुका है कि खांसने या छींकने से (मुंह से) निकलने वाली ड्रॉपलेट्स हवा में फैल जाती हैं। बड़ी ड्रॉपलेट्स आसानी से जमीन या सतह पर आ जाती हैं, लेकिन छोटी बूंदें काफी समय तक वातावरण में बनी रहती हैं।'

(और पढ़ें - लांसेट पत्रिका ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन से कोविड-19 के खिलाफ 'डबल प्रोटेक्शन' मिलने की पुष्टि की, पहले-दूसरे चरण के ट्रायल के परिणाम सामने रखे)

गौरतलब है कि हाल में दुनियाभर के 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को पत्र लिखकर कहा था कि नया कोरोना वायरस हवा में फैलता है, जिसे स्वीकार कर डब्ल्यूएचओ के कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल में शामिल किया जाना चाहिए। इस पत्र के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक बयान जारी कर एयरबोर्न ट्रांसमिशन का दावा करने वाले अध्ययनों का हवाला दिया था और वायरस के हवा में फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया था। हालांकि डब्ल्यूएचओ ने औपचारिक रूप से इसे पूरी तरह स्वीकार भी नहीं किया है। लेकिन उसके बयान ने सार्स-सीओवी-2 के एयरबोर्न ट्रांसमिशन को लेकर नई बहस जरूर छेड़ दी है, जिसमें दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ लोगों को मास्क पहने रखने की सलाह दे रहे हैं।

(और पढ़ें - कोविड-19 के खिलाफ 'बड़ी कामयाबी' बताया जा रहा यह नया ब्लड टेस्ट, कई कामों में सहायक भूमिका निभाने की क्षमता होने का दावा)

अमेरिका में भी वैज्ञानिक जोर देकर लोगों को मास्क पहनने की हिदायत दे रहे हैं। वॉल स्ट्रीट जनरल अखबार से बातचीत में ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट ऑफ वाइरॉलजी की निदेशक मिलेनी ओट ने कहा कि अमेरिका में लोगों का मास्क पहनना हालात नियंत्रण करने की दिशा में सबसे जरूरी कामों में से एक है। उन्होंने कहा कि लोग कोविड-19 के इलाज के लिए वैक्सीन और दवा बनने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है, लिहाजा लोग मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वहीं, अमेरिका की शीर्ष स्वास्थ्य एजेंसी सीडीसी के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड ने भी कहा है कि अगर लोग मास्क पहनना शुरू करें तो अमेरिका में महामारी को अगले चार से आठ हफ्तों में नियंत्रित किया जा सकता है।

और पढ़ें ...
ऐप पर पढ़ें