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अगर आपको कुछ दिनों से सर्दी-जुकाम है और साथ में बुखार भी है जो कि ठीक नहीं हो रहा है, तो आप ऑफिस से एक दिन छुट्टी लेकर घर पर आराम करें। अभी कोई दवा न लें। आराम करने से लक्षणों को कम होने में मदद मिलेगी और आप पहले से बेहतर महसूस करेंगे। अगर तब भी आपकी हालत में कोई सुधार नहीं आता है तो डॉक्टर को दिखाएं।
जब आपको सर्दी-जुकाम हो जाता है, तो साइनस पर दवाब पड़ता है। इसलिए रात को सोते समय सिर को थोड़ा ऊंचा रखकर सोएं। इससे आप बेहतर महसूस करेंगे। रात को सोते समय वेपोराइजर या ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें। फ्लू और कोल्ड के लक्षण आपके वायु मार्ग को सुखा देते हैं, इसलिए ह्यूमिडिफायर के इस्तेमाल से इनमें हमेशा नमी रहेगी। इसके अलावा सोने से पहले कुछ गर्म खाएं या पिएं। सर्दी-जुकाम के लिए दवा लें, शराब न पिएं, यह आपके वायुमार्ग को सुखा सकती है और आपकी नींद भी खराब हो सकती है।
अगर आपको कोल्ड है, तो कुछ सावधानियां बरतने से आप अपने बेबी को कोल्ड होने से बचा सकती हैं। इस स्थित में आप उसे दूध पिलाएं। मां के दूध में एंटीबॉडीज होते हैं, जो बच्चे को सर्दी जुकाम जैसे वायरस से बचाते हैं। अपने बच्चे को उठाने या दूध पिलाने से पहले अच्छी तरह से हाथों को धोएं, साफ-सफाई रखने से इस तरह के वायरस के फैलने की आशंका बहुत कम होती है। बच्चे कुछ भी अपने मुंह में ले लेते हैं, इसलिए दूषित चीजों को उनसे दूर रखें। बच्चों में ठंडे मौसम में सर्दी जुकाम फैलने का अधिक खतरा होता है, इसलिए ठंड के मौसम में हमेशा भीड़ और बीमार लोगों के संपर्क में आने से बचें।
सर्दी-खांसी होने पर मुंह को हमेशा ढक कर रखें। जब आपको जुकाम और खांसी होती है, तो ये कीटाणु खांसने और छींकने से फैलते हैं और अगर कोई व्यक्ति इन कीटाणुओं के संपर्क में आता है, तो उसे भी सर्दी जुकाम हो सकता है। इसलिए इस तरह की चीजों से बचने की कोशिश करें।
जिन लोगों को वायरल निमोनिया होता है, उन्हें अक्सर हल्की थकान, नाक बंद होना और बिना बलगम वाली खांसी जैसी समस्याएं होती हैं। बैक्टीरियल निमोनिया कभी-कभी सर्दी और फ्लू के बाद हो जाता है जो अक्सर स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया वाले कीटाणु के संपर्क में आने से फैलता है। अगर आपको इसके साथ कुछ और लक्षण भी दिखाई दे रहे हैं जैसे सांस लेने में दिक्कत, भूख कम लगना और सीने में दर्द तो हो सकता है कि आपको वायरल निमोनिया हो। इसलिए बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से मिल लें।
सर्दी-जुकाम के लक्षण आमतौर पर 3 दिनों के अंदर ही ठीक हो जाते हैं। अगर आपकी यह समस्या बढ़ गई है, तो ये लक्षण एक हफ्ते या उससे अधिक समय के लिए भी रह सकते हैं। नवजात शिशुओं को छोड़कर बड़े लोगों में सर्दी-जुकाम की समस्या गंभीर नहीं है। यह सामान्य रूप से चार से दस दिनों के अंदर ही कोई दवा लिए बगैर भी ठीक हो सकती है।
रात के समय आपके खून में कम कोर्टिसोल होता है। कोर्टिसोल को अक्सर "तनाव हार्मोन" (स्ट्रेस हार्मोन) कहा जाता है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अधिक तनाव के समय शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ता है और रात के समय यह स्तर कम हो जाता है, जिस वजह से शरीर में मौजूद सफेद रक्त कोशिका इसका आसानी से पता लगा लेती है और उसी समय शरीर में इस इंफेक्शन से लड़ती है। इसके लक्षण बढ़ने से आपको बुखार, नाक बंद होना, ठंड लगना या पसीना आने जैसी समस्या हो सकती है इसलिए रात के समय आप खुद को बीमार महसूस करते हैं।
जी हां, सर्दी-जुकाम की वजह से आपको कान में हल्का, तेज दर्द और जलन हो सकती है, जो कोल्ड के ठीक होने के साथ ही चले जाते हैं। कोल्ड वायरस की वजह से होता है। जब आप कोल्ड के लिए इलाज ले रहे होते हैं, तो इसके साथ ये लक्षण भी ठीक हो जाते हैं।
रात को पंखा चलाकर सोने की वजह से आपको साइनस इंफेक्शन हो सकता है। कुछ लोग किसी खास चीज के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिनकी वजह से किसी तरह की एलर्जी हो सकती है। हो सकता है कि आप इसके प्रति सवेंदशील हों। इसलिए रात को पंखे में सोने से आपका कोल्ड बढ़ सकता है और आप बीमार हो सकते हैं। इसलिए कोल्ड होने पर आपको सीधे पंखे की हवा में नहीं सोना चाहिए?
कुछ लोग तापमान के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिस वजह से उन्हें कोल्ड हो सकता है। इस समस्या से बचने के लिए आप ठंडी जगहों पर न जाएं, ठंडे भोजन और पेय पदार्थ से बचें और डाइट में न्यूट्रिशन लें। बेहतर होगा कि एक बार आप किसी एलर्जिक डॉक्टर को दिखा दें।
आपको एलर्जिक राइनाइटिस की समस्या हो सकती है, जिसके इलाज का कोर्स एंटी-हिस्टामिन दवाओं और स्टेरॉयड नेसल स्प्रे के साथ किया जाता है, जो काफी लंबा चलता है। इसकी पुष्टि करने के लिए आप ईएनटी स्पेशलिस्ट से मिलकर जांच करवा लें, जिसकी रिपोर्ट के बाद ही डॉक्टर आपको इसके ट्रीटमेंट के लिए उचित दवा की सलाह दे सकेंगे।
यह समस्या आपको किसी तरह की एलर्जी, साइनोसाइटिस या नेसल सेप्टम डेविएशन (नाक की हड्डी में किसी तरह की विकृति होना) की वजह से भी हो सकती है। इसकी पुष्टि करने के लिए आप ईएनटी डॉक्टर से मिलकर जांच करवा लें।