कमर की चरबी कम करने के लिए फिटनेस एक्सपर्ट लोगों को कम कार्बोहाइड्रेट और हाई प्रोटीन डाइट लेने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि डाइट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ाने से हॉस्पिटल-एक्वायर्ड इन्फेक्शन (एचएआई) 'क्लॉस्ट्रिडायोडेज' या 'क्लॉस्ट्रिडियम डिफिसाइल कोलाइटिस' (सी डिफ) को कम किया जा सकता है। एक अध्ययन के परिणामस्वरूप यह जानकारी सामने आई है।
'एमसिस्टम्स' नामक पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, 'सी डिफ' का इलाज ढूंढने के लिए चूहों पर परहेज संबंधी डाइटों को आजमाया गया। इसके बाद अध्ययन में पाया गया कि चूहों को एंटीबायोटिक और हाई फैट/हाई प्रोटीन डाइट देने से उनका 'सी डिफ' इन्फेक्शन और ज्यादा बिगड़ गया। वहीं, डाइट में फैट और प्रोटीन कम करने और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढ़ाने पर चूहों में 'सी डिफ' के लक्षण लगभग खत्म हो गए।
(और पढ़ें - प्रोटीन की कमी क्या है?)
क्या कहा शोधकर्ताओं ने?
इस अध्ययन के शोधकर्ताओं में से एक और माइक्रोबायोलजिस्ट ब्रायन हेडलंड बताते हैं, 'हम हर दिन इंसानी शरीर के बारे में नई चीजें सीख रहे हैं। खानपान से आंतों के माइक्रोबायोम काफी प्रभावित होते हैं। लेकिन सी डिफ पर शोध करने वाले अभी तक इसे लेकर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे हैं। हमारा अध्ययन कई तरह की डाइटों की जांच कर इसे समझने में मदद करता है।'
इस अध्ययन से यह तथ्य तो सामने आ गया कि परहेज संबंधी डाइट में प्रोटीन की एक विशेष मात्रा सी डिफ की समस्या और बढ़ा सकती है, लेकिन इस बारे में कोई शोध उपलब्ध नहीं है, कि हाई फैट/हाई प्रोटीन लेने से इस संक्रमण पर क्या प्रभाव पड़ता है। ऐसे में शोध से जुड़े एक और शोधकर्ता व लेखक एर्नेस्टो एबल-सैन्तोस ने कुछ बातों को लेकर आगाह किया है। उन्होंने कहा है कि शोध के दौरान हुए प्रयोग जानवरों पर किए गए थे, ऐसे में यह बता पाना अभी मुश्किल है कि इस तरह की डाइट लेने से इन्सानों को होने वाले सी डिफ पर क्या असर पड़ेगा। इसी कारण एर्नेस्टो ने साफ किया है कि अभी इस विषय पर काफी काम करना बाकी है।
(और पढ़ें - त्वचा की देखभाल कैसे करें)
क्या है क्लॉस्ट्रिडियम डिफिसाइल?
यह बड़ी आंत में पाया जाने वाला एक विशेष प्रकार का बैक्टीरिया है। मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके प्रभाव से शरीर में एक विषाक्त पदार्थ बनने लगता है जो म्यूकोसा (शरीर की त्वचा और अंदरूनी अंगों को कवर करने वाली एक झिल्ली) को नुकसान पहुंचाता है या उसमें सूजन पैदा कर देता है। इस स्थिति में व्यक्ति को क्लॉस्ट्रिडियम डिफिसाइल कोलाइटिस हो जाता है। वहीं, कुछ विशेष प्रकार की एंटीबायोटिक दवाएं भी हैं जो आंत में पाए जाने वाले इस बैक्टीरिया में बदलाव लाने का काम करती हैं। बता दें कि सी डिफ मुख्यतः अस्पताल में भर्ती लोगों को होता है। इसी कारण इसे हॉस्पिटल-एक्वायर्ड इन्फेक्शन कहा जाता है।
(और पढ़ें - सूजन कम करने के उपाय)
आंतों से जुड़ी इस समस्या को अमेरिका में एक बड़ा खतरा माना जाता रहा है। यहां हर साल हजारों मरीज सी डिफ की समस्या लेकर डॉक्टरों के पास जाते हैं। कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों के मुताबिक, हर साल अमेरिका में इस बीमारी से 10,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है।