खबर के मुताबिक, अध्ययन में आयोजित किया गया ड्रग ट्रायल अपनी तरह का अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल था, जिसमें बड़ी संख्या में केसीडी और टाइप 2 डायबिटीज के पीड़ितों को बतौर प्रतिभागी शामिल किया गया था। जांच के दौरान पता चला कि फिनेरेनन ने उनमें हृदय संबंधी खतरों को कम कर दिया था, भले ही वे पहले किसी हृदय रोग से प्रभावित रहे हो या नहीं। दवा करे बारे में अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है, 'फिनेरेनन - जो एक नया नॉनस्टेरॉइडल, सिलेक्टिव मिनरलोकोर्टिकॉइड्स रिसेप्टर एंटेगॉनिस्ट है - ने किडनी रोग के गंभीर होने और हृदय रोगों के कारण होने वाली मौत के खतरे को कम करने का काम किया है।'
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वहीं, इन परिणामों से उत्साहित अध्ययन के प्रमुख लेखक और नेशनल एंड कैपोडिस्ट्रियन यूनिवर्सिटी ऑफ एथेंस में कार्डियोलॉजी के प्रोफेसर गेरेसिमस फिलिपेटोस ने कहा है, 'हमें यह देखकर खुशी हुई है कि फिनेरेनन से दीर्घकालिक (मेडिकल) कंडीशंस से जूझ रहे मरीजों को एक सार्थक उपचार विकल्प मिल सकता है।'
एएचए की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, फिनेरेनन को अंतिम चरण या तीसरी स्टेज के तहत एक रैंडमाइज्ड, डबल-ब्लाइंड, प्लसीबो-कंट्रोल ट्रायल के प्रतिभागियों पर आजमाया गया था। इन मरीजों की संख्या लगभग 6,000 हजार थी, जिनकी औसत उम्र 66 वर्ष थी। इनमें से अधिकतर (70.2 प्रतिशत) पुरुष थे। दुनिया के कोई 48 देशों में 900 से ज्यादा अलग-अलग जगहों पर केसीडी और डायबिटीज के इन मरीजों को फिनेरेनन की खुराक दी गई। मकसद था इन पीड़ितों में इस इनवेस्टेगिशनल दवा के प्रभावों की जांच करना, जिन पर बीमारी के चलते हृदय रोग और उससे होने वाली मौत का खतरा मंडरा रहा था। ऐसी आशंका थी कि केसीडी और टाइप 2 डायबिटीज के चलते ये लोग हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक जैसी बीमारियों से ग्रस्त हो सकते हैं और मर भी सकते हैं।
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ट्रायल के तहत कोई दो से ढाई साल के फॉलोअप के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिदिन ओरल ट्रीटमेंट के रूप में 10 मिलीग्राम या 20 मिलीग्राम फिनेरेनन देने से इन मरीजों में हृदय रोगों (हार्ट अटैक, हार्ट फेलियर, स्ट्रोक आदि) का खतरा 14 प्रतिशत तक कम हो गया था। चाहे वे पहले से किसी हृदय रोग से पीड़ित रहे थे या नहीं। साथ ही इनमें मृत्यु दर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर के चलते अस्पताल में भर्ती होने की दर में भी गिरावट दर्ज की गई।