बेलाडोना
सामान्य नाम : डेडली नाइटशेड
लक्षण : यह उपाय ऐसे लोगों पर असर करता है जो अपने आप (लोगों से ज्यादा घुलना-मिलना पसंद नहीं करते हैं) में रहते हैं और लगातार बाहर निकलने की इच्छा रखते हैं। ये लोग निम्नलिखित लक्षणों का अनुभव करते हैं :
- गर्दन में अकड़न
- बेहोशी और मतिभ्रम (वास्तविकता और कल्पना के बीच अंतर नहीं कर पाना)
- सूजी हुई और उभरी हुई आंखें
- गर्दन की ग्रंथियों में सूजन
- मानसिक स्थिति में परिवर्तन
- होश में न रहना
- नाक से खून आना
- गर्दन के पीछे के भाग में ऐसे दर्द होना जैसे वह हिस्सा टूट गया हो
दोपहर में, लेटने या प्रभावित हिस्से को छूने पर यह लक्षण बिगड़ जाते हैं, लेकिन जब मरीज सेमी इरेक्ट पोजिशन (लेटने व बैठने के बीच वाली स्थिति) में बैठता है, तो इन लक्षणों में सुधार होता है।
सिमिकिफुगा रेसमोसा
सामान्य नाम : ब्लैक स्नेक रूट
लक्षण : यह उपाय ऐसे उदास व्यक्तियों में अच्छा काम करता है, जो लगातार बात करते रहते हैं। निम्न लक्षणों का इलाज सिमीसिफुगा रेसमोसा से किया जा सकता है :
- मतिभ्रम व झटके लेना
- प्रभावित हिस्से को छूने पर दर्द होना
- गर्दन में अकड़न और ऐंठन
- आंखों में तेज दर्द
- गर्दन की मांसपेशियों में बिजली के झटके जैसा दर्द
यह लक्षण ठंड के मौसम में, सुबह और महिलाओं में पीरियड्स के दौरान बिगड़ जाते हैं। रोगी के खाने या प्रभावित हिस्से पर गर्म सिकाई करने पर सभी शिकायतें कम हो जाती हैं।
कोनियम मैक्यूलेटम
सामान्य नाम : पॉइजन हेमलॉक
लक्षण : यह उपाय उन लोगों में अच्छा असर करता है, जो भयभीत रहते हैं और अकेले रहना पसंद नहीं करते हैं। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों को भी ठीक करने में सहायक है :
- याददाश्त कमजोर होना
- कंधों के बीच दर्द होना
- मानसिक और शारीरिक कमजोरी
- चक्कर आना, विशेष रूप से किसी एक तरफ सिर को झुकाने या बिस्तर पर लेटने पर
- रोशनी न पसंद करना और आंखों से पानी आना
यह लक्षण अत्यधिक थकान, लेटने, मासिक धर्म के दौरान व इससे पहले बिगड़ जाते हैं। लेकिन अंधेरे में रहने, प्रभावित हिस्से पर दबाव डालने से इन लक्षणों में सुधार होता है।
जेल्सेमियम सेपरविरेंस
सामान्य नाम : येलो जैस्मिन
लक्षण : इस उपाय से निम्न लक्षणों वाले रोगी भी लाभान्वित होते हैं :
- गर्दन में अत्यधिक दर्द
- चक्कर आना और ऊंघाई
- चक्कर
- मांसपेशियों में कमजोरी
- सिर में भारीपन
- मांसपेशियों के तालमेल में कमी
- धुंधला दिखाई देना
- मांसपेशियों में चोट जैसा अहसास होना
- पीठ के निचले हिस्से में धीमा दर्द होना जो धीरे-धीरे ऊपर की ओर बढ़ता है
यह लक्षण नम मौसम में आंधी तूफान आने से पहले, धूम्रपान करने पर और बीमारी के बारे में ज्यादा सोचने पर खराब होते हैं, जबकि खुली हवा में रहने और पर्याप्त मात्रा में पेशाब करने पर इन लक्षणों में सुधार होता है।
गुआजैकम ऑफिसिनेल
सामान्य नाम : रेजिन ऑफ लिग्नम वाइटे
लक्षण : इस उपाय का इस्तेमाल अक्सर निम्नलिखित लक्षणों को संबोधित करने के लिए किया जाता है :
- सिर से गर्दन तक दर्द
- कंधे के बीच और सिर के पीछे वाले हिस्से में चुभन वाला दर्द
- गर्दन में अकड़न
- गर्दन की मांसपेशियों में दर्द
ठंड, बरसात के मौसम में और प्रभावित हिस्से को छूने पर लक्षण बिगड़ जाते हैं, लेकिन दबाव डालने से सभी शिकायतों में सुधार होता है।
हाइपेरिकम पेर्फोराटम
सामान्य नाम : सेंट जॉन-वॉर्ट
लक्षण : हाइपेरिकम उन व्यक्तियों को दिया जाता है, जिनमें निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :
ऐसा लगना मानो जैसे सिर ऊंचा या हवा में ऊपर उठा लिया गया हो
- चेहरे के दाहिने हिस्से में दर्द
- सिर में भारीपन
- जी मिचलाना
- कंधे में चुभन वाला दर्द
- गर्दन की नस में दर्द
- गर्दन की मांसपेशियों में मरोड़
- हाथों और पैरों में झनझनाहट
नम, ठंडे वातावरण में और प्रभावित हिस्से को छूने पर यह लक्षण बिगड़ जाते हैं जबकि सिर को पीछे की ओर झुकाने में यह लक्षण ठीक हो जाते हैं।
जगलैंस सिनेरिया
सामान्य नाम : बटरनट
लक्षण : इस उपाय से निम्नलिखित लक्षणों को ठीक करने में मदद मिलती है :
- गर्दन के ऊपरी और पिछले हिस्से में तेज दर्द
- मुंह और गले में कड़वा स्वाद
- गर्दन में अकड़न
- सिर बढ़ने जैसा अहसास होना
- ब्रेस्टबोन में दर्द
- कंधे की हड्डी के बीच का दर्द
चलने से यह लक्षण बिगड़ जाते हैं और व्यायाम करने व सुबह के समय में इन लक्षणों में सुधार होता है।
रस टॉक्सीकोडेंड्रम
सामान्य नाम : पॉइजन-आईवी
लक्षण : इस उपाय का असर ऐसे लोगों में अच्छा होता है जो बेचैन रहते हैं, जिन्हें अक्सर सुसाइड करने का विचार आता है। इसके अलावा यह निम्नलिखित लक्षणों के इलाज में भी मदद करता है :
- कुछ भी सोचने और फोकस करने में असमर्थता
- चक्कर आना
- चेहरे पर सूजन
- सिर में भारीपन
- चबाने पर जबड़े में दर्द होना
- भोजन करने पर कंधों में दर्द
- गर्दन की मांसपेशियों में दर्द और जकड़न
यह लक्षण सर्दी और बरसात के मौसम में, सोते या आराम करते समय, पीठ या दाईं ओर लेटने पर बिगड़ जाते हैं। जबकि बाहों को फैलाने, जगह बदलने और गर्म सिकाई से राहत मिलती है।
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