विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 17 नवंबर 2020 को इस बात की जानकारी दी कि सर्वाइकल कैंसर को जल्द से जल्द दुनियाभर में खत्म करने के लिए एक वैश्विक कैंपेन की शुरुआत की गई है जिसमें भारत समेत 193 देश शामिल हुए हैं। इस कैंपेन का उद्देश्य सर्वाइकल कैंसर के नए मामलों में 40 प्रतिशत तक की कमी करना है और साल 2050 तक इस कैंसर की वजह से जिन 50 लाख लोगों की मौत होने की आशंका है उसे भी रोकना है। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों को टीकाकरण और स्क्रीनिंग से जुड़े प्रोग्राम चलाने की जरूरत है ताकि लड़कियों और महिलाओं का सही तरीके से इलाज हो सके।
WHO के मुताबिक, इस लक्ष्य को साल 2030 तक भी हासिल किया जा सकता है अगर, इस कैंपेन में शामिल होने वाले देश निम्नलिखित बातों को सुनिश्चित करें :
- 15 साल तक की 90 प्रतिशत बच्चियों को एचपीवी का टीका लगाया जाए। इस बारे में मौजूद जानकारी के मुताबिक सर्वाइकल कैंसर के 70 प्रतिशत मामले 2 तरह के एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) की वजह से होते हैं- एचपीवी16 और एचपीवी18- जो असुरक्षित सेक्स करने की वजह से फैल सकते हैं। (और पढ़ें- सुरक्षित सेक्स कैसे करें)
- हाई परफॉर्मेंस टेस्ट की मदद से 35 साल तक की 70 प्रतिशत महिलाओं का इस कैंसर के लिए कम से कम एक बार स्क्रीनिंग जरूर होनी चाहिए।
- इसी हाई परफॉर्मेंस टेस्ट की मदद से 45 साल तक की 70 प्रतिशत महिलाओं का दोबारा टेस्ट किया जाना चाहिए।
- 90 प्रतिशत महिलाएं जिन्हें सर्वाइकल डिजीज- फिर चाहे वह सर्वाइकल कैंसर हो या फिर कैंसर से पहले होने वाला घाव- डायग्नोज होता है उन्हें उचित इलाज मिले ताकि वे कैंसर को सही तरीके से मैनेज कर पाएं।
भारत में 30% से भी कम महिलाओं की होती है सर्वाइकल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की साल 2019 की एक स्टडी (नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के आंकड़ों के आधार पर) के मुताबिक, भारत में 30 से 49 साल के बीच की 30 प्रतिशत से भी कम महिलाएं हैं जिनकी सर्वाइकल कैंसर के लिए स्क्रीनिंग होती है। इसकी एक वजह तो सामाजिक-सांस्कृतिक कारक हो सकते हैं तो वहीं दूसरी वजह लोक-लाज या शर्म की वजह से गाइनैकोलॉजिकल परीक्षणों के लिए नियमित रूप से न जाना है। इसके अलावा देश के कई हिस्सों में महिला स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी पर्याप्त सुविधाओं का अभाव भी इसका एक कारण है।
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2018 में इस कैंसर की वजह से 3 लाख से ज्यादा महिलाओं की हुई मौत
सर्विक्स यानी गर्भाशय ग्रीवा 1 से डेढ़ इंच लंबी नहर या नलिका जैसी ट्यूब होती है जो गर्भाशय को योनि (वजाइना) से जोड़ती है। सर्वाइकल कैंसर को होने से रोका जा सकता है और इसका इलाज भी संभव है लेकिन सिर्फ तभी जब सही समय पर इस बीमारी को डायग्नोज कर लिया जाए। साल 2018 के आंकड़ों की बात करें तो दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर के 5 लाख 11 हजार से ज्यादा मामले सामने आए जिसमें से 3 लाख से ज्यादा महिलाओं की मौत हो गई। WHO के मुताबिक, अगर तुरंत सर्वाइकल कैंसर की इस बीमारी को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया तो साल 2030 तक ये आंकड़े सालाना 7 लाख मामले और 4 लाख से ज्यादा मौत तक पहुंच सकते हैं।
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सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं
दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर की वजह से होने वाली मौतों में भारत की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत से अधिक है। रिसर्च में यह बात सामने आयी है कि इस कैंसर को रोकने के लिए कई असरदार तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है जिसमें कैंसर के बारे में जागरुकता फैलाना और देश के अलग-अलग हिस्सों में स्क्रीनिंग की व्यवस्था करना शामिल है। इसके अलावा निम्नलिखित कदम भी उठाने जरूरी हैं :
- ग्रामीण इलाकों में होने वाले कैंसर का पंजीकरण करना
- कैंसर का पता लगाने के लिए छोटे-छोटे कैंप लगाना
- स्क्रीनिंग से जुड़ी तकनीक जैसे- एसिटिक एसिड की मदद से दृष्टि निरीक्षण करना, लुगोल के आयोडीन की मदद से दृष्टि निरीक्षण करना और मैग्नीफिकेशन यानी चीजों को बड़ा करके देखने वाले उपकरणों का इस्तेमाल कर दृष्टि निरीक्षण करना
- पैप स्मियर टेस्ट
- एचपीवी-डीएनए टेस्टिंग
- बीमारी की घटनाओं को रोकने के लिए सर्वाइकल साइटोलॉजी स्क्रीनिंग का इस्तेमाल करना
- उच्च जोखिम वाली महिलाओं में ट्यूमर मार्कर जैसे- अर्गिरोफिलिक न्यूक्लियोलर ऑर्गनाइजर रीजन (एजीएनओआर) की एक बार स्क्रीनिंग करना
भारत में महिलाओं में होने वाला दूसरे सबसे कॉमन कैंसर है सर्वाइकल कैंसर
इसमें कोई शक नहीं कि मौजूदा समय में कोविड-19 महामारी ने कई बीमारियों को कंट्रोल करने के लिए की जाने वाली स्क्रीनिंग और टीकाकरण से जुड़े प्रयासों को बाधित कर दिया है। ऐसे में देखा जाए तो यह कैंपेन बिलकुल उचित समय पर शुरू किया गया है ताकि सर्वाइकल कैंसर को कंट्रोल करने के प्रयासों को बढ़ाया जा सके। आपको बता दें कि सर्वाइकल कैंसर दुनियाभर में महिलाओं में होने वाले चौथा सबसे कॉमन कैंसर और भारत में महिलाओं में होने वाला दूसरा सबसे कॉमन कैंसर है।
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WHO के महानिदेशक डॉ टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयेसस ने कहा, "किसी भी कैंसर को खत्म करना, कुछ साल पहले तक किसी असंभव सपने जैसा था, लेकिन अब हमारे पास लागत-कुशल और सबूतों पर आधारित ऐसे उपकरण मौजूद हैं जिसकी मदद से हम इस सपने को हकीकत में बदल सकते हैं। लेकिन हम सर्वाइकल कैंसर को सिर्फ तभी जड़ से खत्म कर सकते हैं जब हम इसे एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या मानें और हमारे पास जो उपकरण मौजूद हैं उसमें अपनी निरंतर संकल्प लेने की शक्ति को मिलाकर वैश्विक स्तर पर इसका इस्तेमाल करें।"