वैज्ञानिकों ने एक ऐसे मॉलिक्यूल (अणु) की खोज करने का दावा किया है, जो प्राकृतिक रूप से इम्यून सिस्टम को मजबूत करने वाले प्रोटीन 'स्टिंग' (शॉर्ट फॉर 'स्टिम्युलेटर ऑफ इंटरफेरॉन जीन्स') को सक्रिय कर सकता है। स्टिंग प्रोटीन अपनी एंटी-ट्यूमर विशेषताओं के लिए जाना जाता है। यही कारण है कि कैंसर की बीमारी से जुड़े विज्ञान या ऑनकॉलजी के लिए एसआर-717 नामक इस अणु की खोज को एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है। गौरतलब है कि स्टिंग प्रोटीन वायरल और कैंसरकारी हमलों के खिलाफ इम्यून सिस्टम को तैयार करने का काम करता है। शरीर की एंटी-ट्यूमर इम्यूनिटी को सक्रिय करने में इसकी अहम भूमिका के चलते दवा कंपनियां इस प्रोटीन की ओर आकर्षित हुई हैं।
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स्टिंग प्रोटीन को सक्रिय करने वाले प्राकृतिक मॉलिक्यूल डीएनए में अस्थायी रूप से बने होते हैं, जिससे रक्त प्रवाह में उनकी मौजूदगी ज्यादा समय तक नहीं रहती। इस कारण उनके आधार पर होने वाले एंटी-ट्यूमर ट्रीटमेंट के विकास का काम बाधित हुआ है। ऐसे में वैज्ञानिक स्टिंग प्रोटीन को और ज्यादा सक्रिय करने वाले छोटे अणुओं की तलाश करने की कोशिश में लगे हुए हैं। एक ऐसा अणु जो न सिर्फ सर्कुलेशन के दौरान बना रहे, बल्कि शरीर में जब भी कैंसरकारी ट्यूमर पैदा हों तो उनके खिलाफ काम भी करे। इसी महीने 'साइंस' पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, इसी सिलसिले में अमेरिकी मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट 'स्क्रिप्स रिसर्च' के वैज्ञानिकों ने ऐसे सूक्ष्म मॉलिक्यूलों की जांच की, जिनके आकार अलग-अलग थे और उनमें से कइयों में स्टिंग को सक्रिय करने की क्षमता दिखी।
वैज्ञानिकों ने इन मॉलिक्यूल्स में से एक को चुनते हुए उसकी क्षमता को बढ़ाने की कोशिश की। उन्होंने उसकी बुनियादी चीजों में बदलाव किए और फिर उसे चूहों पर अप्लाई किया। उन्होंने पाया कि चूहों में व्यवस्थित ढंग से मॉलिक्यूल को डालने से उनके शरीर में मेलेनोमा की एक घातक फॉर्म की ग्रोथ काफी कम हो गई। बता दें कि मेलेनोमा एक प्रकार का ट्यूमर है, जिसका संबंध स्किन कैंसर से बताया जाता है। मॉलिक्यूल की यह क्षमता जानने के बाद इस खोज से एक ऐसे ड्रग के वजूद में आने की संभावना बढ़ गई है जो स्टिंग को प्रेरित कर कई प्रकार के कैंसरों को रोक सकता है।
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इस जांच और अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिकों ने इस एक्टिवेटर मॉलिक्यूल का नाम एसआर-717 रखा है। उनका दावा है कि परीक्षण में इस मॉलिक्यूल ने स्टिंग प्रोटीन को बिल्कुल प्राकृतिक एक्टिवेटर्स की तरह सक्रिय किया। उन्होंने बताया कि एसआर-717 के प्रभाव में एनीमल मॉडल आधारित टेस्ट में ट्यूमर की ग्रोथ में बाधा आई, मैटस्टेसिस रुक गया, इम्यून सिस्टम में मौजूद ट्यूमर मॉलिक्यूल सक्रिय हो गए और सीडी8+ टी सेल्स और एनके सेल्स का स्तर काफी बढ़ गया। ये दोनों कोशिकाएं ट्यूमर को रोकने या खत्म करने में इम्यून सिस्टम के सबसे बड़े हथियार मानी जाती हैं।
एक और अच्छी बात यह थी कि प्रभावी डोज से मिले सकारात्मक परिणामों के अलावा कोई भी दुष्प्रभाव चूहों में नहीं दिखे। इस कामयाबी के बाद शोधकर्ता एसआर-717 को कैंसर के मौजूदा ट्रीटमेंट में शामिल करने के साथ-साथ इसे इस बीमारी के नए इलाज के रूप में विकसित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस उम्मीद के साथ वे इस मॉलिक्यूल पर अभी और अध्ययन करेंगे।
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