कैंसर के लास्ट स्टेज पर पहुंचने का मतलब यह है कि हर तरह के इलाज के बावजूद कैंसर ठीक नहीं हुआ है. कई बार समय पर पता चलने के बाद भी कैंसर लास्ट स्टेज तक चला जाता है. यह बहुत दुखदायी स्थिति होती है. कैंसर जब लास्ट स्टेज पर पहुंच जाता है, तो शरीर में कई तरह के बदलाव होने लगते हैं, जैसे हमेशा थकान महसूस होना, भूख न लगना, कन्फ्यूजन की स्थिति व दर्द आदि.

आज इस लेख में हम कैंसर के लास्ट स्टेज के लक्षणों के बारे में ही बात करेंगे -

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  1. कैंसर के लास्ट स्टेज में दिखने वाले लक्षण
  2. सारांश
कैंसर के लास्ट स्टेज के लक्षण के डॉक्टर

कैंसर के लास्ट स्टेज पर पहुंचते ही हो सकता है कि कुछ समय तक व्यक्ति को कोई बदलाव न महसूस हो, लेकिन जल्द ही व्यक्ति का शरीर धीरे-धीरे काम करना बंद कर देता है. कैंसर के लास्ट स्टेज के लक्षण में हमेशा थकान महसूस होना, भूख न लगना, कन्फ्यूजन की स्थिति व दर्द होना आदि शामिल है. आइए, कैंसर के लास्ट स्टेज के लक्षणों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

हमेशा थकान महसूस होना

कैंसर के लास्ट स्टेज तक पहुंचते-पहुंचते व्यक्ति को बहुत ज्यादा थकान महसूस होने लगती है. व्यक्ति भले ही चुपचाप बिस्तर पर लेटा रहे, लेकिन कैंसर उसके शरीर से लगभग सारी ऊर्जा को सोख लेता है. दिनोंदिन व्यक्ति की थकान और कमजोरी बढ़ती जाती है.

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भूख न लगना

कैंसर की वजह से शरीर खाने-पीने वाली चीजों का सही तरीके से इस्तेमाल करना बंद कर देता है. इसके बाद व्यक्ति का वजन नहीं बढ़ता और न ही उसे पोषक तत्व या एनर्जी मिलती है. वहीं, कैंसर के लास्ट स्टेज तक आते-आते व्यक्ति का शरीर उसे कहने लगता है कि उसे फूड या लिक्विड किसी भी चीज की जरूरत नहीं है. भूख बिल्कुल भी नहीं लगती है.

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कंफ्यूजन की स्थिति

कई कारणों की वजह से व्यक्ति कैंसर के लास्ट डेट तक पहुंचते-पहुंचते शंका के घेरे में रहने लगता है. दरअसल, कैंसर के लास्ट स्टेज पर पहुंचने के बाद ब्रेन को पर्याप्त ब्लड फ्लो, ऑक्सीजन और न्यूट्रिशन नहीं मिलता, जिसकी वजह से वह अलर्ट नहीं महसूस करता है. यह भी संभव है कि कन्फ्यूजन दवाइयों का एक साइड इफेक्ट हो या फिर दवाइयां लेना बंद करने के बाद यह असंतुलन आ गया हो. 

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दर्द

अन्य स्टेज की तरह, कैंसर से दर्द तब हो सकता है, जब कैंसर टिश्यू पर कब्जा कर लेता है या जब ट्यूमर हड्डियों, नसों या अंगों पर दबाव डालता है. कुछ ट्यूमर ऐसे केमिकल छोड़ते हैं, जो दर्द का कारण बनते हैं या शरीर को दर्द में रिएक्ट कराने का कारण बनते हैं. पेन मैनेजमेंट के लिए हेल्थ केयर टीम की मदद ली जा सकती है.

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निगलने में दिक्कत होना

कैंसर के लास्ट स्टेज तक पहुंचते-पहुंचते व्यक्ति को खाना निगलने में दिक्कत होने लगती है. वह इतनी कमजोरी महसूस करने लगता है कि वह किसी भी चीज को निगल पाने में समर्थ नहीं होता. यह भी संभव है कि इस समय ब्रेन से निकलने वाले संदेश एसोफैगस तक न पहुंच रहे हों. एसोफैगस शरीर का वह हिस्सा है, जो मुंह को पेट से जोड़ता है. इस समय हेल्थ केयर टीम लिक्विड या सॉफ्ट फूड खाने की सलाह दे सकती है.

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कैंसर के लास्ट स्टेज किसी भी व्यक्ति और उसके साथ के लोगों के लिए बहुत कष्टकारी होती है, लेकिन इस सच को स्वीकार करना ही पड़ता है. हमेशा थकान महसूस होना, भूख न लगना, कंफ्यूजन की स्थिति, निगलने में दिक्कत होना जैसे लक्षण कैंसर के लास्ट स्टेज के तौर पर माने जाते हैं. इन लक्षणों को मैनेज करने के लिए डॉक्टर की सलाह ली जानी चाहिए.

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