लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहना, सुस्त और निष्क्रिय जीवनशैली अपनाने से वजन बढ़ता है और कमर की नाप भी बढ़ जाती है। अब एक नई रिसर्च में यह दावा किया गया है कि अगर लंबे समय तक कोई व्यक्ति सुस्त और निष्क्रिय जीवनशैली अपनाता है तो कैंसर की वजह से उसकी मौत होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। 

30 मिनट की एक्सरसाइज से मौत का खतरा 31 फीसद तक कम
इसके विपरित अगर आप दिनभर सक्रिय बने रहें और रोजाना सिर्फ 30 मिनट एक्सरसाइज करें तो जीवन में आगे चलकर अगर कभी आपको कैंसर डायग्नोज होता भी है तो आपकी मृत्यु होने का खतरा 8 से 31 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। स्टडी के इन नतीजों को जामा ऑन्कोलॉजी नाम की पत्रिका में 18 जून 2020 को प्रकाशित किया गया था। यह अपने तरह की ऐसी पहली स्टडी है जिसमें अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैंसर स्थित एमडी एंडरसन कैंसर सेंटर कैंसर के अनुसंधानकर्ताओं ने जीवनशैली और कैंसर के बीच क्या लिंक है इसे जानने की कोशिश की।

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इस स्टडी के बारे में सबसे अलग बात यह थी कि अनुसंधानकर्ताओं ने गतिविधियों को नापने के लिए ऐक्स्लेरोमीटर यानी त्वरणमापी का इस्तेमाल किया जबकी इसके पहले जितने भी अध्ययन हुए थे उन सभी में अध्ययन में शामिल प्रतिभागियों को अपनी दिनभर की गतिविधियों के बारे में खुद ही रिपोर्ट देनी थी। इस तरह से जो निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ आकंड़े कलेक्ट किए गए उससे यह बात साबित हो गई जिसे वैज्ञानिक इतने समय से कहते आ रहे थे कि इंसान तभी सबसे स्वस्थ और निरोग रहता है जब वह चल-फिर रहा हो गतिविधियां कर रहा हो।

अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि निस्संदेह रोजाना एक्सरसाइज करना बेहद जरूरी है लेकिन अगर आप रोजाना सिर्फ कुछ देर के लिए अपने वर्क डेस्क से उठकर कुछ मिनट के लिए इधर-उधर घूम लें या फिर लिफ्ट का इस्तेमाल करने की बजाए सीढ़ियां चढ़ना शुरू कर दें तो इससे भी कैंसर जैसी बीमारी में बेहतर नतीजे हासिल किए जा सकते हैं। 

क्या कहती है यह स्टडी?
इस स्टडी में अमेरिका के 8 हजार लोगों को शामिल किया गया। इसमें 3 हजार 668 पुरुष शामिल थे जिनमें कैंसर के कोई भी संकेत नहीं थे। प्रतिभागियों में सफेद नस्ल के अमेरिकी और ब्लैक अमेरिकन्स दोनों को शामिल किया गया था और प्रतिभागियों की औसत उम्र 69.8 साल थी। साल 2009 से 2013 के बीच 7 दिन तक सभी प्रतिभागियों को ऐक्स्लेरोमीटर पहनकर रखना था ताकि उनकी गतिविधि के लेवल पर नजर रखी जा सके। 5.3 साल के फॉलो-अप पीरियड के बाद अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि स्टडी में शामिल 3 प्रतिशत (268) प्रतिभागियों की कैंसर से मौत हो गई। 

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इस आंकड़ों के आधार पर अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि स्टडी में शामिल प्रतिभागी जो सबसे ज्यादा सुस्त और निष्क्रिय थे उनकी कैंसर से मृत्यु होने का खतरा 82 प्रतिशत अधिक था जबकि वैसे ग्रुप में शामिल वैसे प्रतिभागी जिन्होंने हल्की-फुल्की या मध्यम श्रेणी की भी एक्सरसाइज की उनकी कैंसर से मौत होने का खतरा 8 से 31 प्रतिशत तक कम था। 

निष्क्रियता और कैंसर से मृत्यु के बीच लिंक
यह पहली स्टडी थी जिसमें निष्क्रियता का कैंसर से होने वाली मृत्यु के बीच क्या संबंध है इसका पता लगाने के लिए ऐक्स्लेरोमीटर का इस्तेमाल किया गया। इससे पहले अनुसंधानकर्ताओं ने ऐक्स्लेरोमीटर का इस्तेमाल हार्ट हेल्थ से जुड़ी स्टडी में गतिविधियों को नापने के लिए किया था। हालांकि इस स्टडी की भी अपनी कुछ सीमाएं हैं। पहला- रीजन्स फॉर जियोग्राफिक एंड रेशियल डिफरेंसेस इन स्ट्रोक (regards) नाम की यह स्टडी जो जारी है उससे अपने प्रतिभागियों को चुना। साथ ही सभी प्रतिभागी 45 साल से अधिक उम्र के थे। लिहाजा समीक्षकों को इस बात का संदेह है कि क्या युवा और स्वस्थ आबादी के लिए इस स्टडी के नतीजे अलग हो सकते हैं।

इसके अतिरिक्त जनसंख्या के एक निश्चित हिस्से से जुड़ी इस तरह की स्टडी कुछ खास तरह के लोगों तक ही सीमित होती है। भारत में अगर इस तरह के अध्ययन किए जाएं तो वह हमारे लिए फायदेमंद साबित हो सकता है क्योंकि यहां पर हर साल कैंसर से करीब 8 प्रतिशत मौतें होती हैं।

भारत में कैंसर की स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के इंडिया कैंसर कंट्री प्रोफाइल 2020 के मुताबिक साल 2018 में भारत में कैंसर के 10 लाख से भी ज्यादा मामले सामने आए थे जिसमें से 7 लाख से भी ज्यादा लोगों की कैंसर की वजह से मौत हो गई थी। डॉक्टरों का कहना है कि भारत में गैर-संक्रामक बीमारियों का बोझ अब हृदय रोग से हटकर कैंसर की तरफ बढ़ रहा है। लिहाजा बेहद जरूरी है कि सुरक्षात्मक दवाइयों के साथ ही जीवनशैली में बदलाव पर जोर दिया जाए ताकि लोगों की ओवरऑल सेहत, लंबी आयु और जीवन स्तर को बेहतर बनाया जा सके।

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हर सप्ताह 150 मिनट व्यायाम जरूर करें
माइ उपचार से जुड़े डॉक्टर आयुष पांडे कहते हैं, 'हर सप्ताह कम से कम 150 मिनट हल्का या मध्यम स्तर का व्यायाम करना बेहद जरूरी है। आप इससे अधिक जो भी करना चाहते हैं वह आपकी अपनी पसंद है। योग, मॉर्निंग वॉक, स्विमिंग, रनिंग, जॉगिंग इनमें से जो भी ऐक्टिविटी करना आपको पसंद हो उसे रोजाना जरूर करें। इसके अतिरिक्त, जहां तक संभव हो दिन भर गतिशील यानी ऐक्टिव बने रहें। टीवी में अगर ऐड ब्रेक आ रहा हो तो अपनी जगह से उठ जाएं। अगर आप ऑफिस में काम कर रहे हों तो हर 1 घंटे में एक बार उठकर अपने पैर और पीठ को स्ट्रेच करें। आप चाहें तो स्टैंडिंग डेस्क पर भी काम कर सकते हैं।'

एमडी एंडरसन सेंटर में की गई स्टडी में यह बात सामने आयी है कि रोजाना ऐक्टिव रहना और कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज या किसी भी तरह की गतिविधि करना किसी भी व्यक्ति के लिए कितना बहुमूल्य है। आखिर में यही वो छोटी-छोटी चीजें हैं जिनकी मदद से हमें स्वस्थ और निरोग जीवन जीने में मदद मिलती है।

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