एक विशेष प्रकार के फैटी एसिड (जैसे ओमेगा-3) 'डिहोमोगैमा-लीनोलेनिक एसिड' (डीजीएलए) से कैंसरकारी कोशिकाओं को खत्म किया जा सकता है। 'डेवलेपमेंटल सेल' नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक शोध के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने डेमोन्सट्रेशन के जरिये यह साबित किया है। पत्रिका की मानें तो वैज्ञानिकों ने एनीमल मॉडल के तहत किए गए अध्ययन में पाया है कि डीजीएलए कोशिकाओं को मरने के लिए प्रेरित कर सकता है। इस प्रक्रिया को वैज्ञानिक भाषा में 'फेरोप्टोसिस' कहते हैं, जो एक प्रकार की कोशिका मृत्यु या सेल डेथ होती है। 

मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, कई बीमारियों से जुड़े शोधों का केंद्र बने फेरोप्टोसिस का कई प्रकार के रोगों से जुड़ी प्रक्रियाओं से नजदीकी संबंध बताया जाता है। यही कारण है कि हाल के सालों में वैज्ञानिकों ने इस विशेष प्रकार की सेल डेथ पर काफी काम किया है। ताजा अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिकों की मानें तो डीजीएलए वास्तविक मानव कोशिकाओं में भी फेरोप्टोसिस को प्रेरित कर सकता है। सरल भाषा में कहें तो यह फैटी एसिड (कैंसरकारी) ह्यूमन सेल को खत्म कर सकता है। वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर और इस अध्ययन के शोधपत्र की प्रमुख लेखिका जेनिफर वॉट्स का कहना है, 'अगर आप किसी कैंसर सेल में डीजीएलए को सटीकता के साथ डाल सकें तो यह फेरोप्टोसिस को प्रमोट कर ट्यूमर सेल डेथ का कारण बन सकता है।'

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क्या है डीजीएलए और कैसे किया गया शोध?
डीजीएलए एक पॉलीअनसैच्युरेटिड वसा अम्ल (फैटी एसिड) है, जो शरीर में छोटी-छोटी मात्राओं में मिलता है। यह वसा अम्ल आमतौर पर लोगों की सामान्य डाइट का हिस्सा नहीं बन पाता। कई प्रकार के फैटी एसिड, जैसे कि फिश ऑइल में पाए जाने वाले वसा अम्ल, की अपेक्षा इस फैटी एसिड पर अध्ययन भी काफी कम हुआ है। 

प्रोफेसर जेनिफर करीब 20 सालों से एनीमल मॉडल के तहत आहार संबंधी फैट्स पर शोध कर रही हैं। इनमें डीजीएलए भी शामिल है। शोध की प्रक्रिया के तहत जेनिफर और उनके सहयोगियों ने एक अतिसूक्ष्म कीड़े सी एलिगन्स का इस्तेमाल किया। मॉलिक्यूलर रिसर्च में इस जीव का इस्तेमाल इसके पारदर्शी शरीर संरचना की वजह से किया जाता है, जो कोशिकाओं की गतिविधियों को समझने में शोधकर्ताओं की मदद करता है। अध्ययन के परिणामों के आधार पर शोधतकर्ताओं ने कहा है कि सी एलिगन्स को मानव कोशिकाओं में ट्रांसफर किया जा सकता है।

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अध्ययन के दौरान जेनिफर वॉट्स और उनकी टीम ने इस जीव के शरीर में डीजीएलए-युक्त बैक्टीरिया डाला और पाया कि फैटी एसिड ने कीड़े की कैंसरकारी जनन कोशिकाओं को तो खत्म किया ही, साथ ही उन कोशिकाओं को बनाने वाली मूल कोशिकाओं को भी खत्म कर दिया। वहीं, यही प्रक्रिया मानव कोशिकाओं पर आजमाई जा सकती है या नहीं, यह जानने के लिए जेनिफर और उनकी टीम ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं से संपर्क किया। ये वैज्ञानिक काफी सालों से फेरोप्टोसिस और कैंसर से लड़ने की इसकी क्षमता पर काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि डीजीएलए मानव कोशिकाओं में फेरोप्टोसिस को प्रेरित कर सकता है। इन वैज्ञानिकों ने पाया कि कोशिका में जाने के बाद डीजीएलए का एक और फैटी एसिड ईथर लिपिड के साथ इंटरेक्शन होता है जो डीजीएलए के खिलाफ काम करते हुए कैंसरकारी कोशिकाओं के लिए सुरक्षा देने का काम करता है। इस फैटी एसिड को हटाने पर डीजीएलए ने कैंसरकारी कोशिकाओं को और जल्दी खत्म कर दिया।

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