एक बार कैंसर को मात देने वाले कुछ लोगों में आम आबादी की अपेक्षा दूसरे प्रकार के कैंसरों (सब्सिक्वेंट प्राइमरी कैंसर या एसपीसी) से ग्रस्त होने और मरने का अधिक खतरा होता है। एक नए अध्ययन में यह दिलचस्प तथ्य सामने आया है। वैज्ञानिकों ने 15 लाख से ज्यादा कैंसर सर्वाइवर्स के डेटा का विश्लेषण करने के बाद पाया है कि कुछ विशेष कैंसरों से उबर कर ठीक होने वाले कुछ लोग किसी दूसरे प्रकार के कैंसर से मरने के ज्यादा खतरे में होते हैं। अध्ययन की मानें तो उन पर यह खतरा सामान्य स्वास्थ्य वाले लोगों की अपेक्षा अधिक होता है।
खबर के मुताबिक, अध्ययन में 15 लाख कैंसर सर्वाइवर्स के स्वास्थ्य से जुड़े आंकड़ों और तथ्यों की जांच करने के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि उनमें से करीब एक लाख 57 हजार सर्वाइवर्स किसी दूसरे या सेकेंडरी कैंसर से डायग्नॉस हुए थे। इन पीड़ितों में से लगभग 89 हजार की मौत हो गई थी। अध्ययन में पुरुषों को होने वाले 30 कैंसर प्रकारों की जांच की गई है। इससे पता चला है कि इन 30 कैंसरों में से 18 पुरुषों को दूसरी बार कैंसरग्रस्त बना सकते हैं। वहीं, महिलाओं पर 31 अलग-अलग कैंसरों में से 21 से फिर डायग्नॉस होने का अधिक खतरा रहता है। कुल मिलाकर कंठ और पित्ताशय से जुड़े कैंसर इस प्रकार के खतरे से ज्यादा संबद्ध पाए गए हैं, जबकि प्रारंभिक कैंसर मोटापे या स्मोकिंग से संबंधित हैं।
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अध्ययन से जुड़ी अन्य बड़ी बातें
- कुल 15 लाख 37 हजार 101 कैंसर सर्वाइवर्स में से एक लाख 56 हजार 442 एसपीसी से ग्रस्त हुए
- इनमें से 88 हजार 818 की मौत हो गई
- पुरुषों में एसपीसी डेवलेप होने का खतरा 11 प्रतिशत और उससे मरने का खतरा 45 प्रतिशत अधिक पाया गया
- महिलाओं में एसपीसी विकसित होने का खतरा दस प्रतिशत और इससे मरने का खतरा 33 प्रतिशत अधिक था
- (कंठ से जुड़े) लैरिंक्स कैंसर और हॉजकिन लिम्फोमा (लसीका तंत्र का कैंसर) को मात देने वाले पुरुषों में एपीसी डेवलेप होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है
- पित्त के कैंसर से बचने वाले पुरुषों में एसपीसी से मरने का खतरा सबसे अधिक पाया गया है
- जो महिलाएं कंठ और खाने की नली के कैंसर को सर्वाइव कर जाती हैं, उनमें किसी दूसरे कैंसर से डॉयग्नॉस होने का खतरा ज्यादा पाया गया है
- इनमें से कंठ के कैंसर को मात देने वाली महिलाएं एसपीसी से मरने के ज्यादा खतरे में होती हैं
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अध्ययन के परिणामों की मानें तो स्मोकिंग से संबंधित पहले कैंसर से बचने वाले लोगों में स्मोकिंग से ही जुड़ा एसपीसी होने का खतरा सामान्य रूप से अधिक होता है। उनमें चार प्रकार के कॉमन एसपीसी हो सकते हैं- फेफड़े, मूत्राशय (यूरीनरी ब्लेडर), ओरल कैविटी और भोजन नलिका। एसपीसी के 26 प्रतिशत से 45 प्रतिशत मामले और मौतें इन्हीं चार प्रकार के सेकेंडरी कैंसर से जुड़े पाए गए हैं। वहीं, 31 प्रतिशत से 33 प्रतिशत मौतें अकेले लंग कैंसर के बाद होने वाले एसपीसी से संबद्ध पाई गई हैं। इसी तरह, मोटापे के कारण होने वाले कैंसर से बचने वाले लोगों में इसी बीमारी से जुड़े एसपीसी डेवलेप होना का खतरा अधिक होता है।