हाल ही में अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कहा कि नए शोध से पता चलता है कि मोबाइल फोन कैंसर का कारण नहीं बनते हैं। लेकिन शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि उनके शोध में मोबाइल फोन विकिरण के "स्पष्ट सबूत" पाए गए हैं। लेकिन ये इंसानों में नहीं बल्कि चूहे में ट्यूमर पैदा करते हैं। एफडीए का बयान दशकों के लंबे अध्ययन के बाद आया था जिसमें 3,000 से अधिक चूहे शामिल थे।
अमेरिका के नेशनल टॉक्सिकोलॉजी प्रोग्राम (एनटीपी) के साथ मिलकर शोधकर्ताओं ने सैकड़ों प्रयोगों के बाद पाया कि नर चूहों में मोबाइल फोन विकिरण और मस्तिष्क ट्यूमर के बीच एक लिंक था।
लेकिन यह शुरुआती मोबाइल फोन में इस्तेमाल की जाने वाली पुरानी तकनीक पर निर्भर था। एनटीपी ने शुरुआत में चूहों में विकिरण और ट्यूमर के बीच "स्पष्ट सबूत" की सूचना दी, लेकिन बाद में रिपोर्ट के ड्राफ्ट में सीधी भाषा का प्रयोग कम किया था।
एफडीए और एनटीपी के विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि "इन निष्कर्षों को सीधे इंसानों के द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।" शोध से नहीं जुड़े अन्य मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि मानव स्वास्थ्य के ऊपर मोबाइल फोन और अन्य मोबाइल डिवाइस के बार-बार और नियमित उपयोग से खतरे होते हैं।
हालांकि, वे कहते हैं कि नया शोध यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं है कि सेल फोन मस्तिष्क में कैंसर ट्यूमर और अन्य प्रकार के कैंसर का कारण बनता है या नहीं।