हाल ही में अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने कहा कि नए शोध से पता चलता है कि मोबाइल फोन कैंसर का कारण नहीं बनते हैं। लेकिन शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि उनके शोध में मोबाइल फोन विकिरण के "स्पष्ट सबूत" पाए गए हैं। लेकिन ये इंसानों में नहीं बल्कि  चूहे में ट्यूमर पैदा करते हैं। एफडीए का बयान दशकों के लंबे अध्ययन के बाद आया था जिसमें 3,000 से अधिक चूहे शामिल थे।

अमेरिका के नेशनल टॉक्सिकोलॉजी प्रोग्राम (एनटीपी) के साथ मिलकर शोधकर्ताओं ने सैकड़ों प्रयोगों के बाद पाया कि नर चूहों में मोबाइल फोन विकिरण और मस्तिष्क ट्यूमर के बीच एक लिंक था।

लेकिन यह शुरुआती मोबाइल फोन में इस्तेमाल की जाने वाली पुरानी तकनीक पर निर्भर था। एनटीपी ने शुरुआत में चूहों में विकिरण और ट्यूमर के बीच "स्पष्ट सबूत" की सूचना दी, लेकिन बाद में रिपोर्ट के ड्राफ्ट में सीधी भाषा का प्रयोग कम किया था।

एफडीए और एनटीपी के विशेषज्ञ इस बात से सहमत हैं कि "इन निष्कर्षों को सीधे इंसानों के द्वारा मोबाइल फोन के उपयोग के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।" शोध से नहीं जुड़े अन्य मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि मानव स्वास्थ्य के ऊपर मोबाइल फोन और अन्य मोबाइल डिवाइस के बार-बार और नियमित उपयोग से खतरे होते हैं।

हालांकि, वे कहते हैं कि नया शोध यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं है कि सेल फोन मस्तिष्क में कैंसर ट्यूमर और अन्य प्रकार के कैंसर का कारण बनता है या नहीं।

  1. क्यों माना जाता है कि मोबाइल फोन कैंसर या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है?
  2. मोबाइल फोन से कैंसर के विषय में विज्ञान क्या कहता है?
  3. मोबाइल के उपयोग से कैंसर के खतरे के बारे में विशेषज्ञ संगठन क्या कहते हैं?
  4. मोबाइल फोन के रेडिएशन से बचने के उपाय

आखिर लोग चिंतित क्यों हैं कि सेल फोन (जिसे "मोबाइल" या "वायरलेस" टेलीफोन भी कहा जाता है) कुछ प्रकार के कैंसर या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है? इसके निम्नलिखित तीन मुख्य कारण हैं:

मोबाइल फोन उनके एंटीना से रेडियोफ्रीक्वेंसी विकिरण (रेडियो तरंगें) उत्सर्जित करते हैं। एंटीना के नजदीक रहने वाले शरीर के अंग इस ऊर्जा को अवशोषित कर सकते हैं।

मोबाइल फोन उपयोगकर्ताओं की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। अमरीका की सेलुलर दूरसंचार और इंटरनेट एसोसिएशन के अनुसार, 2017 में पूरे विश्व में 5 अरब से अधिक सेल फोन उपयोगकर्ता हैं।

समय के साथ, प्रति दिन मोबाइल फोन कॉल की संख्या, प्रत्येक कॉल की लंबाई, सेल फोन का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या और उपयोग के समय में वृद्धि हुई है। मोबाइल फोन प्रौद्योगिकी में बदलाव से विकिरण एक्सपोजर के स्तर में बदलाव आ रहा है।

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कई एपिडेमीओलॉजिकल अध्ययनों ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि मोबाइल फोन उत्सर्जन किसी प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ाता है या नहीं। अब तक इन अध्ययनों के परिणाम अनिश्चित हैं। अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट का कहना है, "बहुत कम अध्ययनों में मोबाइल फोन के उपयोग और मस्तिष्क ट्यूमर से जुड़े जोखिमों के कुछ सबूत दिखते हैं, लेकिन अधिकांश अध्ययनों में कोई सबूत नहीं मिला है।"

शोधकर्ता इस बात पर सहमत हैं कि वर्तमान में इसके कोई सबूत नहीं है कि गैर-आयनीकरण विकिरण व्यक्ति में कैंसर के जोखिम को बढ़ाता है। शोध से पता चलता है कि इससे ऐसी कोई डीएनए क्षति नहीं होती जो कैंसर का कारण बन सकती है।

2011 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक घटक, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी) ने मोबाइल फोन के उपयोग पर सभी उपलब्ध सबूतों की समीक्षा करने के लिए एक विशेषज्ञ कार्यकारी समूह नियुक्त किया। इस वर्किंग ग्रुप ने इंसानों पर किए गए अध्ययनों से मिले सीमित सबूत तथा रेडियोफ्रीक्वेंसी विकिरण, चूहों में कैंसर और मैकेनिकल अध्ययन के सीमित सबूतों के आधार पर मोबाइल फोन उपयोग को “मानवों के लिए संभावित कैंसरजन्य” के रूप में वर्गीकृत किया है।

2011 में, अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (एसीएस) ने कहा कि आईएआरसी के वर्गीकरण का मतलब यह है कि रेडियोफ्रीक्वेंसी विकिरण से जुड़े कुछ कैंसर जोखिम हो सकते हैं, लेकिन इसके अब तक कोई पर्याप्त सबूत नहीं हैं और आगे जांच की जरूरत है।

अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनवायरमेंटल हेल्थ साईंसेस (एनआईईएचएस) का कहना है कि मौजूदा वैज्ञानिक साक्ष्य मोबाइल फोन के उपयोग को निश्चित रूप से किसी भी प्रतिकूल स्वास्थ्य समस्या के साथ नहीं जोड़ पाए हैं, लेकिन अधिक शोध की आवश्यकता है।

2015 में, उभरते और नई पहचान वाले स्वास्थ्य जोखिमों पर बने यूरोपीय आयोग की वैज्ञानिक समिति ने एक निष्कर्ष निकाला। समिति ने कहा कि मोबाइल फोन के विकिरण एक्सपोजर पर हुए  अध्ययन मस्तिष्क के ट्यूमर, सिर, गर्दन या अन्य क्षेत्रों में कैंसर के बढ़ते जोखिम को नहीं दिखाते हैं। समिति ने यह भी कहा कि अध्ययन बचपन में होने वाले कैंसर सहित अन्य घातक बीमारियों के जोखिम में भी वृद्धि के संकेत नहीं देते हैं।

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अमेरिका के खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने निम्नलिखित कुछ कदम सुझाए हैं जिनको संबंधित मोबाइल फोन उपयोगकर्ता रेडियोफ्रीक्वेंसी विकिरण के संपर्क में कमी लाने के लिए उठा सकते हैं:

  • मोबाइल फोन का उपयोग बातचीत के लिए बहुत कम करें या तब ही उपयोग करें जब लैंडलाइन फोन उपलब्ध न हो ।
  • वायर्ड ईयर फोन का उपयोग करें। जो फोन और उपयोगकर्ता के सिर के बीच अधिक दूरी रखते हैं।

ईयर फोन सिर की रेडियोफ्रीक्वेंसी विकिरण एक्सपोजर की मात्रा कम करते हैं क्योंकि एंटीना, जो ऊर्जा का स्रोत है, सिर के पास नहीं रहता है। यद्यपि इसका समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है कि मोबाइल फोन से आपको कोई स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। लेकिन आपको सीट बेल्ट पहने की तरह ही विकिरण एक्सपोजर को सीमित करने के लिए ये उपाय करने चाहिए।

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