जब कोई व्यक्ति गुस्से में होता है तो उसके लिए अपने जबड़ों को दबाना और दांत पीसना बेहद सामान्य प्रतिक्रिया होती है। लेकिन जब कोई व्यक्ति बिना इस बात का अहसास किए या फिर नियमित रूप से ऐसा करने लगे तो यह एक बीमारी होती है जिसे ब्रुक्सिज्म या दांत पीसना कहते हैं। कभी कभार दांत पीसने या जबड़ों को दबाने का सेहत पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता लेकिन अगर किसी व्यक्ति को ब्रुक्सिज्म की समस्या हो जाए तो इसकी वजह से दांतों का कमजोर होना, दांतों में फ्रैक्चर आना, दांत टूटने जैसी घटनाएं हो सकती हैं।
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दांत पीसने की वजह से चेहरे में हो सकती है विकृति
बार-बार दांत पीसने की वजह से जबड़ों की मांसपेशियां और जोड़ों में खराबी आने लगती है जिसकी वजह से व्यक्ति के लिए न सिर्फ भोजन को चबाना मुश्किल हो जाता है बल्कि इस कारण चेहरे में कई तरह की विकृतियां भी हो सकती हैं। इस बारे में कई अध्ययन हो चुके हैं जिसमें बताया गया है कि वयस्कों के साथ ही बच्चों में भी दांत पीसने की यह समस्या आमतौर पर तब शुरू होती है जब शरीर के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में बदलाव होने लगता है और यह बदलाव तनाव, चिंता, शराब का सेवन, धूम्रपान, ट्रॉमा, आनुवांशिकता, दवाइयां या फिर किसी बीमारी की वजह से हो सकता है।
कोविड-19 के तनाव और चिंता की वजह से दांत पीसने की घटनाएं बढ़ीं
जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में हाल ही में प्रकाशित एक नई स्टडी की मानें तो कोविड-19 महामारी के दौरान लोगों में दांत पीसने, जबड़े में दर्द और चेहरे में दर्द जैसी घटनाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि महामारी से जुड़े तनाव और चिंता की वजह से लोग घबरा रहे हैं और इसी कारण दिन के समय जबड़े दबाने और रात के समय दांत पीसने की घटनाएं बढ़ रही हैं। चूंकि बुक्सिज्म जबड़े की विकृति का कारण बन सकता है और मांसपेशियों में कमी और कमजोरी को बढ़ा सकता है, लिहाजा इस नई स्टडी में बताया गया है कि दांत पीसने की इन घटनाओं को रोकना बेहद जरूरी है, विशेष रूप से महामारी के दौरान।
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पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा दिख रहे लक्षण
इस स्टडी को इजरायल के टेल अवीव यूनिवर्सिटी (टीएयू) के अनुसंधानकर्ताओं ने किया और रिसर्च में यह भी पाया गया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में जबड़ा दबाने और दांत पीसने के ये लक्षण ज्यादा देखने को मिले और साथ ही में 35 से 55 साल के बीच के लोग इस समस्या से सबसे ज्यादा पीड़ित नजर आए। इस स्टडी में इजरायल और पोलैंड के 1800 लोगों को एक प्रश्नावली दी गई थी जिसका उन्हें जवाब देना था। इसी के आधार पर अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि महामारी से पहले जहां लोगों में इस तरह से लक्षण 35 प्रतिशत नजर आते थे वह महामारी के दौरान बढ़कर 47 प्रतिशत हो गए।
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कई लोग नींद में भी दांत पीसते हैं
दिन के समय जबड़े दबाने (जॉ क्लेन्चिंग) की घटनाएं जो पहले 17 प्रतिशत थी वह बढकर 32 प्रतिशत हो गई, रात के समय दांत पीसने की समस्या जो पहले 10 प्रतिशत थी वह बढ़कर 36 प्रतित हो गई। वैसे लोग जिनमें महामारी से पहले भी इस तरह के लक्षण दिखते थे उनकी बीमारी की गंभीरता में 15 प्रतिशत का इजाफा देखने को मिला। दरअसल, दांत पीसने से जुड़ी सबसे बड़ी समस्या ये है कि जब आप जगे होते हैं तब तो आपको पता होता है कि आपने ऐसा किया है लेकिन जब आप नींद में दांत पीसते हैं तो आपको इस बारे में पता भी नहीं होता। लिहाजा दांत पीसने से जुड़े निम्नलिखित लक्षणों की अनदेखी बिलकुल न करें:
- चेहरे के किसी हिस्से में दर्द महसूस होना
- सिरदर्द
- कान में दर्द
- जबड़े में अकड़न या दर्द महसूस होना
- नींद का बार-बार बाधित होना
- दांतों में संवेदनशीलता महसूस होना
- दांत गिरना
- दांत टूटना या दांतों के बीच की फिलिंग का क्षतिग्रस्त होना
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दांत पीसने (ब्रुक्सिज्म) की समस्या से कैसे बचें
अगर ब्रुक्सिज्म का समय पर इलाज न हो तो इसकी वजह से मुंह और दांत से संबंधित गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। मौजूदा समय में वैसे तो कोई विशिष्ट दवा मौजूद नहीं है जो दांत पीसने की घटना को रोक सके लेकिन दांत पीसने के कारकों और तनाव में कमी करके आप इसे मैनेज कर सकते हैं या फिर इससे बचाव भी कर सकते हैं:
- डेंटिस्ट आपके दांतों पर माउथ गार्ड या स्प्लिंट (खपच्ची) लगा सकते हैं ताकि आपके दांत और जबड़े की मांसपेशियां सुरक्षित रहें जब दांत पीसने की घटनाएं हों, खासकर तब जब आप सो रहे हों। (और पढ़ें - अगर ये चीजें खाएंगे तो दांत प्राकृतिक रूप से सफेद हो जाएंगे)
- दिन के समय या फिर जब आप होश में हैं उस वक्त दांत पीसने या जबड़ों को दबाने से जहां तक संभव हो खुद को रोकें।
- अगर ब्रुक्सिज्म की घटना के लिए आपका बढ़ता हुआ तनाव जिम्मेदार है तो जहां तक संभव हो तनाव को कंट्रोल करें, योग और मेडिटेशन करें, एक्सरसाइज प्रोग्राम शुरू करें या फिर डॉक्टर से बात करें ताकि स्ट्रेस को कंट्रोल करने के उपाय जान सकें।
- वैसे खाद्य या पेय पदार्थ जो आपके तनाव और चिंता के लेवल को बढ़ाते हों उनका सेवन करने से बचें जैसे- चाय, कॉफी, कोला या चॉकलेट आदि। ऐसा करने से भी आप दांत पीसने की घटनाओं में कमी कर पाएंगे।
- शराब के सेवन और धूम्रपान से भी बचें क्योंकि यह आपके केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करते हैं जिससे स्ट्रेस और ऐंग्जाइटी बढ़ती है और ब्रुक्सिज्म भी।
- 7 से 8 घंटे की चैन की नींद लें ताकि आपके शरीर को आराम मिले और मुंह में मौजूद चबाने वाली मांसपेशियां भी रिलैक्स हो सकें।
- नाखून चबाना, दांतों से नाखून काटना, दांत पर जोर लगाना या अन्य वस्तुओं को चबाने जैसी हानिकारक मौखिक आदतों को जहां तक संभव हो जल्द से जल्द छोड़ने का प्रयास करें।