ब्रोंकाइटिस फेफड़ों में बड़ी श्वांस नालियों के भीतरी भाग जिसे ब्रोंकाई कहा जाता है, के सूजन की बीमारी है। इस दौरान सूजन के कारण सामान्य से अधिक बलगम बनता है, जिससे फेफड़ों में वायु प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, इसके कारण फेफड़े क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।

ब्रोंकाइटिस को मैनेज करने के लिए डॉक्टर से उपचार करवाना ज़रूरी होता है। लेकिन इसमें एक बड़ा हाथ सही जीवनशैली का भी होता है। और सही जीवनशैली का एक बड़ा हिस्सा है सही खान-पान। तो इस लेख में बताया गया है कि अगर आपको ब्रोंकाइटिस की है तो आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं। आइए जानते हैं ब्रोंकाइटिस के लिए भारतीय डाइट और आहार।

(और पढ़ें - ब्रोंकाइटिस के घरेलू उपाय)

 
  1. ब्रोंकाइटिस में क्या खाना चाहिए - What to eat in bronchitis in Hindi
  2. ब्रोंकाइटिस के लिए भारतीय डाइट चार्ट - Indian diet chart for bronchitis in Hindi
  3. ब्रोंकाइटिस में क्या नहीं खाना चाहिए और परहेज - What not to eat in Bronchitis in Hindi
  4. ब्रोंकाइटिस के लिए आयुर्वेदिक डाइट टिप्स - Ayurvedic diet tips for bronchitis in Hindi
  5. ब्रोंकाइटिस डाइट और डाइट चार्ट के डॉक्टर

उपरोक्त लक्षणों के अनुसार, आहार में कुछ बदलाव करके उन लक्षणों पर नियंत्रण पाया जा सकता है, आइए जानते हैं कैसे :

1. ऊर्जा से भरपूर भोजन करें

हमारे शरीर को ऊर्जा हमारे भोजन में मौजूद पोषक तत्वों यानी कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं फैट से मिलती है और उसी पर हमारे शरीर के विषाक्त पदार्थ जैसे कि कार्बन डाई ऑक्साइड भी निर्भर करते हैं। जब हम सांस बाहर की ओर छोड़ते है, तब शरीर से कार्बन डाई ऑक्साइड को बाहर निकाल पाते हैं। इस समस्या के दौरान जैसा कि सांस लेने में तकलीफ होती है, बहुत सारी मात्रा में कार्बन डाई ऑक्साइड शरीर में इकट्ठा हो जाती है, जिससे आप काफी थका हुआ एवं कमजोर महसूस करने लगते हैं। ऐसे में बुखार, कमजोरी एवं सांस की तकलीफ के कारण शरीर में ऊर्जा की आवश्यकता काफी बढ़ जाती है एवं ज्यादा ऊर्जा वाले आहार का सेवन करके स्थिति को सुधारा जा सकता है। ऐसे में अपने स्नैक्स के समय घर के बने लड्डू, चिक्की, खीर, पनीर, सैंडविच, कस्टर्ड आदि का सेवन कर सकते हैं।

2. पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करें

पूरे दिन थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पानी पीते रहें। इस पानी को आप 6-8 गिलास तक पीने की कोशिश करें। यह फेफड़ों में इकट्ठा हुए म्यूकस को पतला करने एवं निकालने में मदद करता है। कैफीन युक्त पेय पदार्थ शरीर में पानी की मात्रा कम कर देते हैं, उनके सेवन से बचें। इसके लिए कार्बोनेटेड ड्रिंक्स (कोल्ड ड्रिंक्स) जैसे कि चॉकलेट का सेवन ना करें। यह आपकी दवाओं के कार्य को प्रभावित कर सकते हैं।

(और पढ़ें - पानी कैसे पीना चाहिए)

3. ज्यादा प्रोटीन वाले आहार लें

बुखार एवं सांस में तकलीफ के कारण, शरीर में मांसपेशियों की कमी एवं ऊर्जा में भी कमी देखी जाती है। ऐसे में प्रोटीन से भरपूर आहार ऊर्जा की मात्रा को ठीक बनाए रखने एवं मांसपेशियों को दोबारा से बनाने मदद कर सकते हैं। ऐसे में अपने हर आहार में एक प्रोटीन वाली वस्तु अवश्य लें। जैसे कि नाश्ते में अंडा, लंच में दाल, डिनर में पानी एवं स्नैक्स में सूखे मेवे का सेवन कर सकते हैं।

(और पढ़ें - प्रोटीन युक्त भारतीय आहार)

4. एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर हो डाइट

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर डाइट शरीर को इन्फेक्शन से लड़ने के लिए मजबूत बनाते हैं। इस समस्या के दौरान इन्फेक्शन बढ़ने पर, अस्पताल जाने की भी नौबत आ जाती है। इसी कारण से, डाइट में एंटीऑक्सीडेंट का होना आवश्यक है। इसके लिए विटामिन ए, विटामिन ई, ओमेगा3 फैटी एसिड एवं जिंक आदि से भरपूर भोजन करें। सभी रंग के फलों एवं सब्जियों का सेवन करें, इसके साथ ही अंडे, वसा युक्त मछली, सूखे मेवे आदि का सेवन कर सकते है।

5. नमक का उपयोग नियंत्रित मात्रा में करें

ज्यादा मात्रा में नमक का उपयोग, शरीर में पानी का संग्रहण बढ़ा देता है (जो कि इस समस्या के दौरान काफी ज्यादा देखी जाती है), जिससे सांस लेने में तकलीफ बढ़ जाती है। कुछ आसान उपायों से आप अपने नमक/सोडियम की मात्रा को नियंत्रित कर सकते हैं, जैसे कि : 

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खाने में ऊपर से नमक की जगह, हर्ब्स जैसे कि ऑरेगैनो, काली मिर्च आदि का सेवन कर सकते हैं

  • खाने में ऊपर से नमक ना लें
  • खाने में अचार, पापड़, नमकीन के सेवन से परहेज करें
  • न्यूट्रिशन लेबल पढ़कर ही पैकेट वाली चीजें खरीदें, लो सोडियम का ही उपयोग करें
  • नमक के सब्स्टीट्यूट को लेने से पहले, डॉक्टर से सलाह अवश्य लें

6. खट्टे फलों का उपयोग करें

खट्टे फल विटामिन सी का काफी अच्छा स्रोत होते हैं। ये इम्यूनिटी को बढ़ाने, इन्फेक्शन को खत्म करने का काम करते हैं। 1 से 2 खट्टे फलों (नींबू, संतरा, चकोतरा, आंवला आदि) का रोजाना सेवन करें।

(और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय)

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ऊपर बताये गए टिप्स के आलावा अगर आप एक नियमित डाइट चार्ट का पालन करते हैं तो ब्रोंकाइटिस को मैनेज करने में सहायते मिलेगी। ऐसा ही एक भारतीय आहार युक्त डाइट चार्ट ब्रोंकाइटिस पेशेंट्स के लिए यहाँ दिया गया है -

  • सुबह खाली पेट - गर्म पानी (1 गिलास) + बादाम (8-10) + अखरोट (4-6)
  • सुबह का नाश्ता - पनीर और मूंग दाल चीला (2) + हरी चटनी (2 चम्मच)
  • मध्य आहार -  सेब (1 छोटा) / हर्बल काढ़ा (1 कप)
  • दोपहर का खाना- चपाती (2) / चावल (1 कटोरी) + कढ़ी (1 कटोरी) + लौकी का कोफ्ता (1 कटोरी)
  • शाम की चाय - हल्दी की चाय (1 कप) + भूने मखाने (1 कटोरी) / उबले अंडे (2)
  • रात का खाना - वेजिटेबल सूप (1 कटोरी) + मिक्स्ड वेज पराठा (2) + पनीर की सब्जी / चिकन करी (1 कटोरी)
  • सोते समय -  हल्दी वाला दूध (1 कप)

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अगर आपको ब्रोंकाइटिस है तो आपको यह तो पता क्या खाना चाहिए, साथ ही यह भी पता होना चाहिए कि क्या नहीं खाना चाहिए।

यह कुछ चीज़ें हैं जिनसे आपको ब्रोंकाइटिस में परहेज करना चाहिए -

  • कैफीन युक्त पेय पदार्थो का सेवन ना करें, जैसे - कॉफी, चाय, सॉफ्ट ड्रिंक, एनर्जी ड्रिंक आदि
  • अपने आहार में चीनी व आसानी से ऊर्जा देने वाले कार्बोहाइड्रेट का कम से कम इस्तेमाल करें एवं प्रोटीन अच्छी मात्रा में लें
  • एक बारे में ज़्यादा न खाएं (छोटे-छोटे आहार लें, लम्बा गैप ना करें)
  • धूम्रपान की आदत इस बीमारी लक्षणों को बिगाड़ सकती है, इसे जल्द से जल्द छोड़ दें (और पढ़ें - सिगरेट छोड़ने के तरीके)
  • अल्कोहल के सेवन से शरीर में पानी की कमी हो सकती है, जिससे म्यूकस और ज्यादा गाढ़ा हो सकता है एवं बीमारी की स्थिति और खराब हो सकती है
  • हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करते रहें, जिससे भूख भी अच्छे से लगे
 

मॉडर्न विज्ञान के आलावा आयुर्वेद में भी ब्रोंकाइटिस जैसे श्वसन रोग से निपटने के लिए कई आहार सम्बंधित सुझाव दिए गए हैं। आप इन्हे अभी आज़माकर देखें, अवश्य लाभ होगा। 

1. अदरक एवं शहद

  • क्यों करें उपयोग - अदरक या सोंठ का सेवन, अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों के कारण ब्रोन्कियल ट्यूब की सूजन को कम करने में मदद करता है।
  • कैसे करें उपयोग - 2 इंच के अदरक को कद्दूकस करके गर्म कर लें एवं उसमें 1 चम्मच शहद डालकर गर्मागर्म ही सेवन करें।

(और पढ़ें - शहद और लहसुन के फायदे)

2. हल्दी की चाय 

  • क्यों करें उपयोग - हल्दी को प्राचीन काल से किसी भी संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। आज के समय में यह अपने एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर गुणों के लिए जानी जाती है, जो कि ब्रोंकाइटिस के दौरान हुई आंतरिक सूजन को कम करने मदद करती है. यदि इसका सेवन गर्म पेय की भांति करें, तो यह म्यूकस को भी पतला करके निकलने में मदद करती है।
  • कैसे करें उपयोग - 250 एमएल पानी एवं आधा चम्मच हल्दी पाउडर को साथ में उबालें एवं आधा रह जाने पर 1 चम्मच शहद मिलाकर गर्मागर्म चाय की तरह सेवन करें।

3. कच्चा लहसुन

  • क्यों करें उपयोग - लहसुन पुराने समय से दवा की तरह खांसी, जुकाम एवं म्यूकस को पतला करके निकालने के लिए जाना जाता है। कई स्टडीज से इसके एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल एवं एंटीफंगल गुणों के बारे में पता चला है।
  • कैसे करें उपयोग - 1 लहसुन की कली का सुबह खाली पेट गर्म पानी के साथ सेवन करें। इसके अलावा, पूरे दिन चटनी की तरह इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।

(और पढ़ें - खाली पेट लहसुन खाने के फायदे)

4. गिलोय काढ़ा

  • क्यों करें उपयोग - गिलोय को संस्कृत में अमृता नाम से भी जाना जाता है। यह औषधि, शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालने, रक्त को साफ करने एवं इंफेक्शन को कम करने के लिए जानी जाती है।
  • कैसे करें उपयोग - 250 एमएल पानी एवं 1 बड़ा चम्मच गिलोय पाउडर, आधा चम्मच हल्दी पाउडर, आधा चम्मच कूटी हुई काली मिर्च एवं आधे इंच कद्दूकस किए अदरक को उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो छानकर 1 चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करें।

5. हर्बल काढ़ा

  • क्यों करें उपयोग - कुछ मसाले एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर एवं अपने औषधीय गुणों लिए जाने जाते हैं, जो कि म्यूकस को पतला करने एवं इन्फेक्शन से लड़ने के लिए फायदेमंद साबित होते हैं।
  • कैसे करें उपयोग - 250 एमएल पानी आधा चम्मच हल्दी पाउडर, आधा चम्मच कूटी काली मिर्च एवं आधे इंच कद्दूकस किए अदरक एवं 7-10 तुलसी पत्तों को उबालें। जब पानी आधा रह जाए तो फिर छानकर 1 चम्मच शहद मिलाकर इसका सेवन करें।

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इनके आलावा यह कुछ अन्य डाइट टिप्स हैं ब्रोंकाइटिस पेशेंट्स के लिए -

  • इस समस्या के दौरान काफी थकान हो जाती है, ऐसे में अपने भोजन एवं अन्य कार्यों के लिए परिवार में किसी की मदद ले सकते है
  • अपने भोजन से पहले थोड़ा आराम कर लें, जिससे थकान ना हो एवं भोजन का पूरा आनंद उठा सकें (और पढ़ें - थकान दूर करने के उपाय)
  • अपनी ज्यादा ऊर्जा वाली डाइट को दिन के समय ही ले लें, जिससे पूरे दिन के लिए ऊर्जा बनी रहे

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