बदन दर्द को आयुर्वेद में अंग-मर्द भी कहा जाता है। किसी बीमारी के लक्षण के रूप में बदन दर्द की समस्या हो सकती है लेकिन बदन दर्द कई बीमारियों के लक्षण या पूरे शरीर में दर्द के रूप में सामने आ सकता है। थकान, बहुत ज्यादा काम करने और असंतुलित आहार के कारण भी बदन दर्द हो सकता है। बदन दर्द के कारण को दूर कर के इस समस्या से राहत पाई जा सकती है।
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आयुर्वेद द्वारा अंग-मर्द में दोष की भूमिका और इस समस्या के संपूर्ण उपचार का उल्लेख किया गया है।
अंग-मर्द के लिए आयुर्वेदिक उपचार में स्नेहन (शुद्धिकरण), स्वेदन (पसीना निकालने की विधि), वमन (औषधियों से उल्टी लाने की विधि), विरेचन (दस्त) और रक्तमोक्षण (दूषित खून निकालने की विधि) की सलाह दी जाती है। आयुर्वेद में बदन दर्द को नियंत्रित करने के लिए बृहती, अरंडी, इला (इलायची), यष्टिमधु (मुलेठी), कंटकारी, बाला, कपिकच्छु, पुनर्नवादि मंडूर, आनंद भैरव रस और वसंत कुसुमाकर औषधि एवं जड़ी बूटियों का इस्तेमाल किया जाता है।
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