भारत में आज प्रत्येक आठ में से एक व्यक्ति हाइपरटेंशन (हाई ब्लड प्रेशर) की समस्या से ग्रस्त है। यह हमारे देश में स्ट्रोक और कोरोनरी धमनी में होने वाली समस्याओं से होने वाली मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है।
अब तक अगर सिस्टोलिक रीडिंग 120-139 मि.मी. एच.जी. या डायस्टोलिक रीडिंग 80-89 मि.मी. एच.जी. हो तो उसे प्री-हाइपरटेंशन (रक्तचाप का सामान्य स्तर से अधिक होना) होने का संकेत माना जाता था। लेकिन अब अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के नए दिशा निर्देशों के अनुसार जो सिस्टोलिक और डायस्टोलिक रीडिंग प्री-हाइपरटेंशन के लिए थी, वो अब हाई ब्लड प्रेशर का संकेत मानी जाएगी।
अब सिस्टोलिक रीडिंग 130 मि.मी एचजी या इससे ज्यादा, या डायस्टोलिक रीडिंग 80 मि.मी एचजी या इससे ज्यादा होने को हाइपरटेंशन माना जाएगा।
मेदांता के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. नरेश त्रेहान के अनुसार अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन द्वारा जारी किए नए दिशा-निर्देशों के अनुसार लोगों को तुरंत ही अपने ब्लड प्रेशर लेवल को नियंत्रित करने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि “इस बात की भी जानकारी रखें कि परिवार में किसी सदस्य को ब्लड प्रेशर की समस्या तो नहीं रही है। अगर आपके माता-पिता या कोई नज़दीकी रिश्तेदार हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त है तो आपको इस बीमारी का खतरा ज्यादा है।”
आधुनिक जीवनशैली, व्यायाम की कमी, तंबाकू का इस्तेमाल, मोटापा और जंक फूड का सेवन करना हाइपरटेंशन के प्रमुख कारणों में शामिल हैं। लोगों को ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करने वाली जीवनशैली के बारे में जागरूक करने की भी आवश्यकता है। हमें अपनी जीवनैशली में ऐसे बदलाव करने चाहिए जिससे ब्लड प्रेशर का खतरा कम हो।
मेदांता हार्ट इंस्टीट्यूट के क्लीनिकल एंड प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. आर.आर. कसलिवाल का कहना है कि “सभी उम्र के स्वस्थ वयस्कों को कम से कम ढाई घंटे मध्यम या सवा घंटे तीव्र व्यायाम करना चाहिए। तनाव को नियंत्रित करने के लिए योग भी करना चाहिए क्योंकि तनाव हाइपरटेंशन का प्रमुख कारण है। स्वस्थ और संतुलित आहार लें जिसमें ताजे फल एवं सब्जियां शामिल हों। साथी ही तले हुए भोजन और नमक के ज्यादा सेवन से भी बचें।”
स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे ब्लड प्रेशर की दवाओं से बचा या इनकी जरूरत को कम किया जा सकता है।
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