यदि आपको हाई बीपी की समस्या है, तो इसका मतलब है कि आपके हृदय पर खून पंप करने के लिए ज्‍यादा दबाव पड़ रहा है। इसकी वजह से आपकी रक्त वाहिकाओं और अन्य अंगों पर दबाव पड़ सकता है जिससे हार्ट अटैक, किडनी से संबंधित समस्या या स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

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उम्र, आनुवंशिकता, वर्ग और यहां तक ​​कि तनावपूर्ण जीवनशैली व स्वास्थ्य की स्थिति जैसे कारक हाई बीपी के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, लेकिन इस बीमारी से बचना संभव है। व्यायाम, आहार में परिवर्तन, धूम्रपान और शराब का सेवन कम करके तथा पर्याप्त नींद लेकर ब्‍लड प्रेशर को संतुलित बनाए रखने में मदद मिल सकती है। साथ ही डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं के सेवन से हाई बीपी को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है।

आज इस लेख में आप जानेंगे कि हाई बीपी की दवा कब और किस प्रकार लेना सही होता है -

  1. अपनी दवा के प्रभाव के बारे में जानें
  2. दवाओं को समय पर लेने की आदत डालें
  3. तनावपूर्ण स्थिति से बचने के लिए सही योजना बनाएं
  4. अपने स्वास्थ्य और बीपी के बारे में डॉक्टर को बताते रहें
  5. डॉक्टर को दें ये जानकारी
  6. सारांश
अपनी हाई बीपी की दवाएं कैसे लें? के डॉक्टर

हाई बीपी के प्रभावों को कम करने के लिए कई दवाएं उपलब्‍ध हैं और आपको बता दें कि इसकी प्रत्येक दवा के हानिकारक प्रभाव भी होते हैं। बेहतर होगा कि आप डॉक्‍टर द्वारा दी गई दवा के बारे में पूरी जानकारी प्राप्‍त कर लें। बिना किसी झिझक के अपने डॉक्टर से दवा के ब्रांड और वो किस सॉल्‍ट से बनी है, उसकी खुराक और उसके सेवन की समयावधि के बारे में पूछें। 

इसके अलावा दवा के हानिकारक प्रभाव और अन्य किसी दवा या एल्‍कोहोलिक बेवरेज के साथ इसके रिएक्शन की संभावना के बारे में भी डॉक्‍टर से पता करें। हाइपरटेंशन के मरीज अपने डॉक्‍टर से यह भी पूछें कि क्या दी गई दवा आपकी दैनिक दिनचर्या और गतिविधियों जैसे ड्राइविंग या भारी उपकरणों को चलाने की आपकी क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है या नहीं।

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यदि बढ़ती उम्र की वजह से आप जरूरी चीजों को भूलने लगे हैं या हाल ही में हुई किसी बीमारी या ऑपरेशन से उबर रहे हैं, तो आपके लिए हाई बीपी की अलग-अलग दवाओं का नाम और उन्‍हें लेने का समय याद रख पाना मुश्किल हो सकता है। अगर आप इसे अपनी रोजमर्रा की दिनचर्या का हिस्सा बना लें तो इस परेशानी को आसानी से दूर किया जा सकता है। निम्‍न उपायों की मदद से आप अपनी इस परेशानी को दूर कर सकते हैं:

  • अपनी दवाओं को नियमित रूप से निश्चित समय पर लेने के लिए इन्हें अपने दैनिक कार्यों (जैसे कि ब्रश करना, चाय या कॉफी लेने का समय इत्यादि) के साथ जोड़ दें।
  • जिस तारीख से आपने दवा लेनी शुरु की है उसे एक चार्ट बनाकर मार्क करना शुरु कर दें ताकि आपको पता चल सके कि आपकी दवाएं कितना असर कर रही हैं। इस दवाओं के असर करने या ना करने के बारे में आप अपने डॉक्‍टर से भी बात कर सकते हैं। 
  • समय पर दवा लेने के लिए अपने मोबाइल फोन या टैबलेट पर ऐप के जरिए अलार्म सेट कर लें या घर या ऑफिस में अपने आसपास कैलेंडर, बाथरूम के शीशे या किचन कैबिनेट पर स्टिकी नोट्स चिपका दें।
  • इसके अलावा अगर आप हमेशा एक ही जगह पर दवा रखते हैं तो इससे बार-बार दवाई ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती है। बेड की साइड टेबल या रसोई की शेल्फ जैसी जगहों पर अपनी दवाई रख सकते हैं। बाजार में कुछ विशेष प्रकार के बॉक्स भी उपलब्‍ध हैं जिनमें दिन के हिसाब से अलग-अलग खांचे बने होते हैं। ये बॉक्स दवा और उन्‍हें लेने के समय से जुड़ी उलझन को दूर करने में मदद करते हैं।
  • अपने लिए रिमाइंडर सेट करने के लिए अपने परिवार और दोस्तों की भी मदद ले सकते हैं।

अगर आपके पास अपनी दवाओं की एक सूची हो और दवाओं का बॉक्स या याद रखने के लिए अलार्म की व्यवस्था हो, तो इससे आपको निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं। इससे आपका तनाव या चिंता का स्‍तर भी कम होगा।

  • आप हर दिन एक निश्चित समय पर अपनी हाई बीपी की दवा ले सकते हैं।
  • आप को पहले ही पता चल जाएगा कि आपकी दवा कब खत्म होने वाली है और उसके खत्‍म होने से पहले ही आप उन्‍हें खरीद सकते हैं।
  • घर से दूर यात्रा करने पर भी आपको कोई दिक्‍कत नहीं होती है। यदि आप हवाई जहाज से यात्रा कर रहे हैं, तो अपनी दवा और डॉक्टर के पर्चे को अपने पास ही रखें।

यदि संभव हो तो नियमित रूप से अपना बीपी चैक करें। अगर आप डॉक्टर को अपनी स्थिति के बारे में अपडेट देते रहते हैं तो वह आपके ब्‍लड प्रेशर में आने वाले बदलाव के बारे में आपको समय पर बता सकते हैं। इसके अलावा काम या निजी समस्‍या के सेहत पर पड़ रहे असर के बारे में भी डॉक्‍टर आपको सूचित कर सकते हैं। इसकी मदद से डॉक्‍टर समय पर आपके लिए सही दवा निर्धारित कर पाएंगें और जरूरत पड़ने पर दवा में बदलाव भी कर पाएंगे।

आपको अपने डॉक्टर को निम्नलिखित चीजों की भी अपडेट देने की जरूरत है:

  • अगर आप किसी अन्‍य बीमारी की दवा या वैकल्पिक दवा (जैसे आयुर्वेदिक जड़ी बूटी) ले रहे हैं तो उसके बारे में डॉक्‍टर को जरूर बताएं।
  • शराब के सेवन से संबंधित मुद्दों के बारे में बताएं।
  • अगर आपकी नौकरी में कोई बदलाव होता है, जैसे यदि आप पूरे दिन बैठे रहकर काम करते हैं या आपको लगातार घूमना पड़ता है, तो उसके बारे में भी डॉक्‍टर को बताना जरूरी है।

यदि सही ढंग से इलाज किया जाए तो हाई बीपी को ठीक किया जा सकता है। समय पर बीपी की दवा लेकर, संतुलित वजन बनाए रखने के लिए स्‍वस्‍थ आहार और व्यायाम एवं पर्याप्त नींद लेने जैसे उपायों की मदद से हृदय और रक्त वाहिकाओं पर पड़ रहे दबाव को कम किया जा सकता है।

Dr. Farhan Shikoh

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