ब्लड प्रेशर का मतलब होता है खून के प्रवाह के कारण आर्टरी (धमनियों) पर बनने वाला प्रेशर। 120/80 mmHg के प्रेशर को नॉर्मल ब्लड प्रेशर कहा जाता है। हालांकि, 140/90 mmHg के प्रेशर को हाई ब्लड प्रेशर माना जाता है जो कि किडनी व दिमाग जैसे महत्वपूर्ण अंगों के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि व्यायाम न करना, मोटापा, धूम्रपान, शराब ज्यादा पीना और नमक ज्यादा खाने के कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है।
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हाई ब्लड प्रेशर के कुछ लक्षण हैं सिरदर्द, नज़र की समस्याएं, नाक से खून आना और सांस लेने में दिक्कत होना। ब्लड प्रेशर के स्तर को नार्मल करने और इसमें अचानक बदलाव से बचने के लिए हाई ब्लड प्रेशर का इलाज करना बहुत जरुरी है ताकि शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचने से बचाया जा सके।
होम्योपैथिक दवाओं को व्यक्ति के लक्षण, उसकी जीवनशैली और खान-पान के आधार पर चुना जाता है। इन दवाओं से न केवल ब्लड प्रेशर को सही रखने में मदद मिलती है, बल्कि बीपी में अचानक बदलाव से भी बचाव होता है। ये दवाएं तनाव कम करने में भी मदद करती हैं जो कि है ब्लड प्रेशर का मुख्य कारण है।
होम्योपैथी में हाई बीपी का इलाज करने के लिए उपयोग की जाने वाली मुख्य दवाएं, रऊवोल्फिया (Rauwolfia), फॉस्फोरस (Phosphorus), क्राटीगस (Crataegus), बेलाडोना (Belladonna) और ऑरम मेट (Aurum met), इत्यादि हैं। होम्योपैथिक डॉक्टर आपकी स्थिति, लक्षण और समस्या होने की संभावना के आधार पर आपके लिए उचित दवा चुनते हैं।
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