वाइल्ड ऑलिव यानी जंगली जैतून के तेल से युक्त आहार धमनी से जुड़े रक्त चाप (आर्टेरियल हाइपरटेंशन- एएचटी) को कम करने में मदद मिलती है। स्पेन की यूनिवर्सिटी ऑफ सेविल के वैज्ञानिकों ने अध्ययन के बाद यह दावा किया है। यहां के फिजियोलॉजी विभाग के एक कार्डियोवस्क्युलर फिजियोपैथलॉजी समूह के शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन को अंजाम को दिया था। इसमें उन्हें पता चला है कि जंगली जैतून का तेल हाइपरटेंशन को कम करने में एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल की अपेक्षा काफी ज्यादा सहायक है।
शोध समूह में शामिल अमेरिका के दो फार्मेसी के प्रोफेसर कार्मेन मेरिया और अलफोन्सो मेट बरेरो पिछले 20 सालों से एक साथ मिलकर आर्टेरियल हाइपरटेंशन के डेवलपेमेंट में शामिल फिजियोपैथलॉजिकल मकैनिज्म की जांच-पड़ताल व अध्ययन कर रहे हैं। इस दौरान इन विशेषज्ञों को ऐसे प्राकृतिक उत्पादों में खास रुचि रही है, जो इस बीमारी के कारण धमनी को हुई क्षति की भरपाई में मददगार होते हैं। जंगील जैतून का तेल, जिसे स्पेन में 'आसेबुश' कहते हैं, भी ऐसा ही एक नेचुरल प्रॉडक्ट है जो जंगली पेड़ों का एक विशेष प्रकार है। स्पेन में ये बहुतायत में मिलते हैं। यहां के एंडेलुसिया इलाके में 90 लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में ये जंगली पेड़ पाए जाते हैं।
हालांकि मेडिकल क्षेत्र में इसका कंपोजीशन और थेरप्यूटिक आधारित डेटा काफी कम है कि इलाज के मामले में जंगली जैतून की तेल क्या-क्या क्षमताएं हैं। ज्यादातर अध्ययन मुख्य रूप से जैतून के पेड़ के पत्तों और एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल की कंपोजीशन और फार्माकोलॉजिकल प्रभावों पर केंद्रित हैं। ऐसे में सेविल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने नया अध्ययन करने का फैसला किया। इसके तहत उन्होंने चूहों को जंगली जैतून के तेल से बना आहार खिलाया। परिणाम में सामने आया कि इस प्रकार की डाइट से इन हाइपरटेंसिव जानवरों का ब्लड प्रेशर तेजी से कम (यानी संतुलित) हुआ था। वहीं, जिन चूहों को एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल वाली डाइट दी गई थी, उनके हाइपरटेंशन में यह प्रभाव अपेक्षाकृत कम दिखाई दिया।
इसी दौरान यह भी सामने आया कि जंगली जैतून के तेल वाली डाइट से चूहों में आर्टेरियल हाइपरटेंशन से पैदा होने वाले ऑक्युलर ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस में भी कमी हो गई थी। यहां भी वाइल्ड ऑलिव, एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑइल से 21 यानी ज्यादा से बेहतर साबित हुआ। इसके अलावा, ऑक्सिटेडिव स्ट्रेस से जुड़े सिस्टम को रेग्युलेट करने के मामले में भी जंगली जैतून आधारित डाइट प्रतियोगी ऑलिव ऑइल से ज्यादा असरदार दिखा है।
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अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने हाइपरटेंसिव रेटिना की मोर्फोलॉजी (आकृति विज्ञान) में होने वाले वेरिएशंस का विशेष रूप से अध्ययन किया है। उन्होंने पाया है कि हाइपरटेंशन के प्रभाव में होने वाले ये बदलाव जंगली जैतून के तेल वाले आहार की वजह से रुक गए थे। एएचटी के चलते रेटिना की मोर्फोलॉजी (रेटिना में पतली-पतली लेयर होना) में बदलाव हो जाता है। नए अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि इस कंडीशन को जंगली जैतून से बनी डाइट से बेहतर तरीके से काउंटर किया जा सकता है। सेविल यूनिवर्सिटी के तहत कार्डियोवस्क्युलर फिजियोपैथलॉजी रिसर्च ग्रुप इन परिणामों से इतना उत्साहित है कि उसने आर्टेरियल हाइपरटेंशन से जुड़े रेटिनल डैमेज के उपचार और उससे जुड़ी अन्य रेटिनल रोग निदानों के पेटेंट के लिए स्पेन के पेटेंट एंड ट्रेडमार्क कार्यालय में अप्लाई भी कर दिया है।