यह बात तो हम सभी जानते हैं कि अकेलापन और सामाजिक अलगाव का व्यक्ति की मानसिक ही नहीं, बल्कि शारीरिक सेहत पर भी बुरा असर पड़ता है, लेकिन बुजुर्गों में इसका असर कुछ ज्यादा देखने को मिलता है। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के शोधकर्ताओं का दावा है कि सामाजिक अलगाव का पुरुषों और महिलाओं की सेहत पर अलग-अलग तरह से प्रभाव पड़ता है। इसमें महिलाओं में उच्च रक्तचाप का अधिक जोखिम भी शामिल है।

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आज इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे कि अकेलापन किस तरह से महिलाओं में हाई बीपी का कारण बन सकता है -

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  1. हृदय रोग का अहम जोखिम कारक है उच्च रक्तचाप
  2. सामाजिक अलगाव मृत्यु के लिए सबसे बड़ा ज्ञात जोखिम कारक
  3. विधवाओं में उच्च रक्तचाप की प्रबल आशंका
  4. पुरुषों में इससे ठीक उलट थी तस्वीर
  5. वृद्ध महिलाओं को सामाजिक रूप से सक्रिय बनाना जरूरी
  6. सारांश
  7. महिलाओ में हाइपरटेंशन के खतरे को बढ़ाता है अकेलापन - स्टडी के डॉक्टर

हाल ही में जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन नाम की पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया कि मध्यम आयु वर्ग और बुजुर्ग महिलाएं जिनमें सामाजिक संबंधों की कमी थी, उनमें पुरुषों की तुलना में हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित होने का जोखिम अधिक था। आपको बता दें कि हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप की समस्या, हृदय रोग के लिए जिम्मेदार सबसे अहम जोखिम कारक है जो महिलाओं में मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में से एक है। साथ ही उच्च रक्तचाप स्ट्रोक का भी एक अहम रिस्क फैक्टर है।

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यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (यूबीसी) के फैकल्टी ऑफ फार्मासूटिकल साइंसेज में असिस्टेंट प्रफेसर और इस स्टडी के प्रमुख अनुसंधानकर्ता अन्नालिज्न कॉन्कलिन कहते हैं, "अधिक उम्र के वयस्कों में, सामाजिक अलगाव मृत्यु के लिए सबसे बड़ा ज्ञात जोखिम कारक है, जो धूम्रपान के जोखिम के बराबर है। लेकिन इस बारे में कम ही जानकारी उपलब्ध है कि सामाजिक अलगाव पुरुषों और महिलाओं को अलग तरह से कैसे प्रभावित करता है, या फिर यह लंबी उम्र के बायोमार्कर को कैसे प्रभावित करता है। हमारे शोध से संकेत मिलता है कि महिलाओं को, उच्च रक्तचाप होने की संभावना विशेष रूप से तब अधिक होती है जब वे मध्य आयु और वृद्धावस्था में अलगाव का अनुभव करती हैं।"

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कनाडा में एजिंग पर हुई एक लॉन्जिट्यूडनल स्टडी के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए, इस स्टडी के शोधकर्ताओं ने 45 से 85 साल के बीच के 28 हजार 238 वयस्कों के सामाजिक संबंधों का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन महिलाओं का कोई पार्टनर नहीं था, जो एक महीने में 3 से कम सामाजिक गतिविधियों में शामिल थीं, या फिर जिनका सामाजिक नेटवर्क छोटा था (85 से कम संपर्क), उनमें उच्च रक्तचाप होने की आशंका अधिक थी। औसत सिस्टॉलिक रक्तचाप विधवाओं में, अकेले रहने वाली महिलाओं में और सामाजिक रूप से निष्क्रिय महिलाओं में सबसे अधिक था। रक्तचाप में सबसे बड़ा अंतर विधवा और विवाहित महिलाओं के बीच था। सभी श्रेणियों में विधवाओं में उच्च रक्तचाप की प्रबल आशंका पाई गई।

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स्टडी में शामिल पुरुषों के बीच, तस्वीर काफी अलग थी। जो पुरुष सिंगल थे, दूसरों के साथ घर साझा कर रहे थे और जिनका सामाजिक नेटवर्क काफी बड़ा था उनमें सबसे अधिक रक्तचाप था, जबकि जिन पुरुषों का सोशल नेटवर्क छोटा था और जो अकेले रह रहे थे उनका रक्तचाप कम था। आंकड़ों के इन्हीं सेम सेट का उपयोग करते हुए अनुसंधानकर्ता अन्नालिज्न कॉन्कलिन ने इससे पहले जो रिसर्च की थी उसमें उन्होंने पाया था कि जो महिलाएं सिंगल, विधवा, तलाकशुदा या पार्टनर से अलग रह रहीं थीं, उनमें पेट के आसपास और सामान्य मोटापे का खतरा अधिक था जबकि पुरुषों के मोटे होने की आशंका कम थी अगर वे अकेले रहते थे और उनका एक छोटा सामाजिक नेटवर्क था। 

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कॉन्कलिन आगे कहते हैं, "पिछले शोध को ध्यान में रखते हमारे नए शोध के नतीजे इस बात को रेखांकित करते हैं कि सामाजिक अलगाव किस तरह से पुरुषों और महिलाओं में स्वास्थ्य को अलग-अलग तरह से प्रभावित करता है। ऐसे समय में जब कोविड-19 ने हमारे सामाजिक संबंधों और परस्पर क्रियाओं को सीमित करने के लिए मजबूर कर दिया है। ऐसे में हेल्थकेयर और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वालों को वृद्ध महिलाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि वे सामाजिक रूप से सक्रिय होने के नए तरीके खोज पाएं।"

इस स्टडी के जरिए वैज्ञानिकाें के यह बताने का प्रयास किया है कि अकेलापन सिर्फ मानसिक परेशानी का कारण नहीं बनता, बल्कि हाई बीपी को भी जन्म दे सकता है। हाई बीपी होने पर इसका सीधा असर हृदय पर पड़ता है, जिससे कई तरह के हृदय रोग हो सकते हैं। इसलिए, जरूरी है कि परिवार, दोस्तों व परिचितों के साथ समय बिताया जाए। साथ ही नियमित रूप से योग, मेडिटेशन व एक्सरसाइज करने से भी मानसिक रोग, हाई बीपी व हृदय रोग से बचा जा सकता है।

Dr. Farhan Shikoh

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