अगर आपके पैर मोटे हैं यानी पैरों में फैट की मात्रा अधिक है तो यह आपके शरीर में ब्लड फ्लो के लिए बेहतर हो सकता है। नई रिसर्च की मानें तो जिन लोगों के शरीर में पैरों में फैट टीशू की मात्रा अधिक होती है उन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर होने का खतरा कम होता है। इस तरह से यह मानव शरीर के अन्य हिस्सों में मौजूद फैट को पैर में मौजूद फैट या चर्बी से अलग करता है। 

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  1. पैरों में फैट अधिक तो हाई बीपी का खतरा कम
  2. कमर की चर्बी सेहत के लिए हानिकारक है, पैर की चर्बी के लिए ऐसा नहीं कह सकते
  3. लेग फैट के संबंध में 3 तरह के हाई बीपी की जांच की
  4. तीनों तरह के हाई ब्लड प्रेशर होने की आशंका कम
  5. जांघ की परिधि लेना उपयोगी तरीका हो सकता है
  6. 60 साल से अधिक के लोगों में हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम अधिक
पैरों में मौजूद फैट हाई ब्लड प्रेशर के खतरे को कम कर सकता है, स्टडी का दावा के डॉक्टर

इस नई स्टडी की मानें तो जिन वयस्कों के पैरों में वसा ऊत्तक या फैट टीशू का पर्सेंटेज अधिक होता है उनमें हाई ब्लड प्रेशर होने का खतरा कम था उन लोगों की तुलना में जिनके पैरों में फैट टीशू का पर्सेंटेज कम था। कुछ हद तक आयु, लिंग, नस्ल और जातियता, शिक्षा, धूम्रपानशराब का उपयोगकोलेस्ट्रॉल का स्तर और कमर के आसपास जमा फैट जैसे कारकों को समायोजित करने के बाद भी अनुसंधान के निष्कर्ष सही थे।

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अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के हाइपरटेंशन 2020 साइंटिफिक वर्चुअल सेशन के दौरान 10 से 13 सितंबर 2020 के बीच इस नई रिसर्च को प्रेजेंट किया गया। उच्च रक्तचाप के अनुसंधान में हालिया प्रगति पर ध्यान केंद्रित करने वाले नैदानिक ​​और बुनियादी शोधकर्ताओं के लिए यह बैठक एक प्रमुख वैश्विक आदान-प्रदान है।

अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित रटगर्स न्यू जर्सी मेडिकल स्कूल में फोर्थ ईयर मेडिकल स्टूडेंट और इस स्टडी के मुख्य अनुसंधानकर्ता आयुष विसारिया कहते हैं, "आखिरकार, हमने इस अध्ययन में जो उल्लेख किया है, वह इस बात की निरंतर चर्चा है कि आपके शरीर में कितना फैट है इससे ज्यादा अहमियत इस बात की है वह फैट कहां स्थित है। हम विश्वासपूर्वक यह बात तो जानते हैं कि आपकी कमर के आसपास मौजूद फैट स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, लेकिन पैर की चर्बी के लिए भी हम ऐसा नहीं कह सकते। अगर आपके पैरों के आसपास चर्बी है, तो यह संभवत: बुरी चीज नहीं है और हमारे निष्कर्षों के अनुसार उच्च रक्तचाप से आपकी रक्षा करने में मदद कर सकता है।" 

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इस स्टडी के लिए अनुसंधानकर्ताओं ने 2011 से 2016 के बीच राष्ट्रीय स्वास्थ्य और पोषण परीक्षण सर्वेक्षण में शामिल करीब 6 हजार वयस्कों के पैरों में मौजूद फैट टीशू के प्रतिशत के संबंध में 3 प्रकार के उच्च रक्तचाप की दर की जांच की। स्टडी में शामिल प्रतिभागियों की औसत आयु 37 साल थी और इसमें से लगभग आधी प्रतिभागी महिलाएं थीं और करीब 24 प्रतिशत प्रतिभागियों में उच्च रक्तचाप था जिसे 130/80 एमएमएचजी से अधिक के रूप में परिभाषित किया गया था।

विशेष एक्स-रे स्कैन ने पैरों में फैट टीशू को मापा और इन उपायों की तुलना शरीर में मौजूद ओवरऑल फैट टीशू के साथ की गई। जांचकर्ताओं ने प्रतिभागियों को पैरों में मौजूद वसा के उच्च या निम्न प्रतिशत की मौजूदगी के रूप में वर्गीकृत किया, जिसमें पुरुषों के लिए उच्च वसा 34 प्रतिशत या अधिक और महिलाओं के लिए 39 प्रतिशत या अधिक था।

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जिन प्रतिभागियों के पैरों में मौजूद फैट का पर्सेंटेज अधिक था उनमें सभी प्रकार के हाई ब्लड प्रेशर होने की आशंका कम थी उन लोगों की तुलना में जिनके पैरों में फैट का पर्सेंटेज कम था। विश्लेषण में पाया गया:

  • जिन लोगों के पैरों में फैट का पर्सेंटेज कम था उन लोगों की तुलना में जिन प्रतिभागियों के पैरों में लेग फैट का प्रतिशत अधिक था उन्हें उस तरह का हाई ब्लड प्रेशर होने की आशंका 61 प्रतिशत कम थी जिसमें सिस्टोलिक और डाइसिस्टोलिक दोनों नंबर्स बढ़ जाते हैं।
  • इसके अतिरिक्त, पैरों में उच्च फैट वाले प्रतिभागियों को डायस्टॉलिक हाई ब्लड प्रेशर (ब्लड प्रेशर रीडिंग में दूसरा नंबर जो हार्ट बीट के बीच का प्रेशर मापता है) का खतरा 53 प्रतिशत कम था और सिस्टोलिक हाई ब्लड प्रेशर (ब्लड प्रेशर रीडिंग का पहला नंबर जो उस प्रेशर को मापता है जब दिल धड़कता है) होने का खतरा 39 प्रतिशत कम था।

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मुख्य अनुसंधानकर्ता आयुष विसारिया आगे कहते हैं, "अगर इन परिणामों की पुष्टि बड़े, अधिक मजबूत अध्ययनों और जांघ परिधि जैसे आसानी से उपलब्ध माप के तरीकों का उपयोग करके की जाती है, तो इसमें निश्चित तौर पर मरीज की देखभाल को प्रभावित करने की क्षमता है। जैसे पेट की चर्बी का अनुमान लगाने के लिए कमर की परिधि का उपयोग किया जाता है, उसी तरह से जांघ की परिधि लेना भी एक उपयोगी तरीका हो सकता है। हालांकि ऐसा करना थोड़ा जटिल हो सकता है और व्यापक रूप से अमेरिका की आबादी में इसका अध्ययन भी नहीं किया गया है।"

हालांकि इस स्टडी की कुछ निश्चित सीमाएं या लिमिटेशन्स भी हैं जो स्टडी के परिणामों को प्रभावित कर सकती हैं। पहला- स्टडी में शामिल सभी प्रतिभागी 60 वर्ष से कम आयु के थे, इसलिए स्टडी के परिणाम उन बुजुर्ग वयस्कों पर लागू नहीं हो सकते हैं, जिन्हें आमतौर पर उच्च रक्तचाप के लिए अधिक जोखिम में माना जाता है। दूसरा- प्रतिभागियों के एक बड़े ग्रुप की आवश्यकता है इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिए कि पैरों में वसा ऊतक की अलग-अलग मात्रा का उच्च रक्तचाप के प्रभावों पर क्या असर होता है।

Dr. Farhan Shikoh

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