वैसे तो दुनियाभर में कई गंभीर बीमारियां हैं, जो खतरनाक भी हैं और जानलेवा भी। जैसे- कैंसर और हृदय रोग। मगर इनके अलावा सेप्सिस (ब्लड इंफेक्शन) एक ऐसी बीमारी है, जिसके कारण साल 2017 में सबसे अधिक लोगों की मौत हुई। एक रिसर्च के मुताबिक सेप्सिस उन पांच बीमारियों में से एक रही, जिसके कारण लोग काल के गाल में समा गए।
क्या कहती है रिसर्च?
लैंसेट में प्रकाशित इस रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के सिएटल में वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह रिसर्च की। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 195 देशों के मेडिकल रिकॉर्ड को देखा और 10.9 करोड़ लोगों की मृत्यु के रिकॉर्ड का बारीकी से विश्लेषण किया। रिसर्च के समय अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि साल 2017 में 1.1 लोगों ने सेप्सिस की वजह से अपनी जान गंवाई।
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क्या है सेप्सिस?
सेप्सिस, एक प्रकार का ब्लड इंफेक्शन है। इसे सेप्टिसीमिया के नाम से भी जाना जाता है। यह किसी संक्रमण (इंफेक्शन) की वजह से होने वाली एक बेहद हानिकारक स्थिति होती है। सेप्सिस तब होता है, जब संक्रमण से निपटने के लिए खून में घुलने वाले कैमिकल पूरे शरीर में जलन और सूजन फैलाने लगते हैं। सेप्सिस के चलते व्यक्ति के शरीर में कई सारे बदलाव शुरू हो जाते, यहां तक कि शरीर के भीतर मौजूद कई अंग प्रणाली को हानि पहुंचती है और वह अंग काम करना तक बंद कर देते हैं।
सेप्सिस अगर सेप्टिक शॉक का रूप लेता है (बहुत ज्यादा फैला हुआ संक्रमण, जिससे कई अंग काम करना बंद कर देते हैं और रक्तचाप गिर जाता है), तो ब्लड प्रेशर एकाएक कम होने लगता है, जिससे मौत तक हो सकती है। इसलिए इसे साइलेंट किलर भी कहते हैं, क्योंकि सेप्सिस की पहचान (diagnose) करना थोड़ा मुश्किल होता है।
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कैसे की गई रिसर्च?
रिसर्च के दौरान निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं को स्टेटिकल (सांख्यिकीय) और इन्फ्रेंशियल मॉडल (अनुमानित) का इस्तेमाल करना था। इसके अलावा, पिछले अध्ययनों के जरिए ऐसे विकसित देशों का विशलेषण किया गया, जहां सेप्सिस के मामले बहुत कम पाए जाते हैं। लैंसेट अध्ययन के डेटा से पता चलता है कि 85 प्रतिशत सेप्सिस के मामले विकासशील देशों में पाए जाते हैं और इनमें भी सबसे अधिक सहारा से जुड़ने वाले दक्षिणी अफ्रीकी देशों से थे।
इस रिसर्च से पता चलता है कि साल 1990 और 2017 के बीच सेप्सिस से मरने वाले लोगों की संख्या आधी हो गई। इसकी एक प्रमुख वजह टीकाकरण, स्वच्छता, जीवाणुरोधी वह दवाएं थी, जिनका सेवन लोगों ने किया। बावजूद इसके सेप्सिस से होने वाली मौतों का आंकड़ा काफी अधिक था। आंकड़े बताते हैं कि कैंसर की तुलना में सेप्सिस की वजह से एक करोड़ से अधिक (11 मिलियन) लोगों की मौत हुई।
सेप्सिस के लक्षण
सेप्सिस के लक्षणों की पहचान करना थोड़ा कठिन होता है। बावजूद इसके कई ऐसे संकेत हैं जो सप्सिस के लक्षणों बताते हैं, जैसे-
- सांस लेने में कठिनाई महसूस होना
- मानसिक स्थिति में बदलाव आना
- प्लेटलेट्स की संख्या कम होना
- दिल की असामान्य रूप से पंपिंग
- पेट में दर्द होना
- मूत्र कम आना
कैसे इतनी मौत का कारण बना सेप्सिस?
रिपोर्ट में बताया गया है कि विश्वभर में डायरिया रोग, सेप्सिस के फैलने का बड़ा कारण है। इसके साथ सड़क हादसों में लगने वाली चोट की वजह से भी सेप्सिस की समस्या आती है। मगर मातृ संबंधी विकार (मां से मिलने वाली बीमारी, जो गैर-संक्रामक थी) सेप्सिस की सबसे बड़ी वजह हैं। इसके कारण 5 साल से छोटे बच्चों की सबसे अधिक मौत हुई।
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कुल मिलाकर देखें तो पिछले कुछ सालों में सेप्सिस के गंभीर परिणाम देखने को मिले हैं। इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु इसकी भयावहता को दर्शाती है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखकर इस संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। इसके लिए आप नियमित रूप से टीकाकरण कराते हैं। इसके अलावा स्वच्छता बरकार रखते हुए रोजाना नहाएं। साथ ही इम्यूनिटी को मजबूत बनाएं, जिससे संक्रमण फैलने का खतरा कम होगा।