सेप्सिस एक बहुत ही घातक स्थिति है। सेप्सिस हार्ट अटैक, फेफड़ों के कैंसर या स्तन कैंसर से भी अधिक खतरनाक ब्लड इंफेक्शन की समस्या है। व्यक्ति एक दिन बहुत स्वस्थ, तो अगले ही दिन सेप्सिस की वजह से उसकी मृत्यु भी हो सकती है। सेप्सिस से गंभीर रूप से ग्रस्त व्यक्ति की मौत 12 घंटों के अंदर ही हो सकती है। गंभीर सेप्सिस यानि कि सेप्टिक शॉक 40 से 50 प्रतिशत लोगों में घातक है। सेप्टिक शॉक इतना घातक है कि संक्रमण के लिए शरीर में इम्यून सिस्टम जो प्रतिक्रिया करता है, वह शरीर के अन्य अंगों के सिस्टम को डैमेज कर सकता है। सेप्सिस के कारण शरीर में बहुत सारे अंगों की विफलता या ब्लड प्रेशर के बहुत कम होने से व्यक्ति मर भी सकता है। इस स्थित में आपको बिना देरी किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए। हो सकता है कि डॉक्टर आपको अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहें।
सेप्सिस का पता शरीर में इसके लक्षणों के बगैर नहीं लगाया सकता है, जिसमें सांस लेने में दिक्कत, निमोनिया, यूरिन इंफेक्शन और शरीर के तापमान में बदलाव आना शामिल हैं। अगर किसी व्यक्ति को पहली बार यह संक्रमण हुआ है, तो संभव है कि सेप्सिस व्यक्ति के शरीर में हो सकता है और उसे इसका पता भी न हो।
कुछ प्रकार के बैक्टीरिया की वजह से खून में इंफेक्शन हो सकता है, जिसके कारण सेप्सिस हो सकता है। खून में बैक्टीरिया की वजह से गंभीर संक्रमण होता है जिसे ब्लड पोइज़निंग भी कहते हैं। सेप्सिस संक्रमण के प्रति शरीर अक्सर घातक प्रतिक्रिया करता है। बैक्टीरियल संक्रमण सेप्सिस का सबसे आम कारण है। सेप्सिस की वजह से दुनिया भर में लगभग एक तिहाई लोगों की मृत्यु हो जाती है।
सेप्सिस किसी भी समय और किसी भी व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है, लेकिन कुछ लोगों में दूसरों की तुलना में सेप्सिस के जोखिम अधिक होते हैं। जब आपको कोई संक्रमण होता है, तो इसके ठीक होने के बाद भी आपमें इसका खतरा बना रहता है। 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में सेप्सिस के जोखिम अधिक होते हैं।
सेप्सिस के अधिकांश मामलों में यह बैक्टीरियल संक्रमण की वजह से होता है। सेप्सिस को एक संक्रामक समस्या नहीं माना जाता है। अगर सेप्सिस का पता शुरू में ही लगा लिया जाता है और तभी इसका ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है, तो इसे जल्दी और पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। सेप्सिस के लिए इलाज में मरीज को अस्पताल में भर्ती करवाया जाता है, नसों में एंटीबायोटिक दी जाती है और थेरेपी की मदद से इलाज किया जाता है। इसके ट्रीटमेंट से सेप्सिस की वजह से शरीर के अंगों में हुई गड़बड़ी को ठीक होने में भी मदद मिलती है।
शोधकर्ताओं ने रिसर्च के माध्यम से पता लगाया कि सेप्सिस से ग्रस्त मरीजों में हृदय से जुड़ी समस्या होना आम है। शोधकर्ताओं की टीम ने रिसर्च में पाया कि सेप्सिस हिस्टोन प्रोटीन कोशिकाओं की क्षति के बाद रक्त प्रवाह में रिलीज होने पर हृदय की मांसपेशियों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
सेप्सिस से ग्रस्त मरीजों का ब्लड प्रेशर कम हो जाता है और उन्हें शरीर में सूजन भी हो जाती है जो मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे संज्ञानात्मक समस्या हो भी सकती है। इस स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए और इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हो जाना चाहिए। गंभीर सेप्सिस के शरीर पर बहुत घातक परिणाम हो सकते हैं, इसलिए इलाज में बिल्कुल भी देरी न करें।
गंभीर सेप्सिस के कारण लोग बहुत बीमार हो जाते हैं और इसकी वजह से शरीर के कई अंगों पर भी प्रभाव पड़ता है, जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है। सेप्सिस के लिए इलाज उपलब्ध है। अगर इस समस्या को जल्दी पहचान लिया जाता है और इसके लिए इलाज शुरू किया जाता है, तो इसे जल्दी और विकसित हुए बिना ठीक किया जा सकता है। सेप्सिस को ठीक करने के लिए इलाज की जरूरत होती है। अगर आप इसके लिए इलाज नहीं लेते हैं, तो यह गंभीर हो सकता है जो कि आपके स्वास्थ्य के बहुत घातक है, जिससे मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए आप तुरंत डॉक्टर से मिलें।
खून में संक्रमण की वजह से सेप्सिस हो जाता है। यह समस्या गंभीर होकर सेप्टिक शॉक का कारण भी बन सकती है। इसके लक्षणों में निमोनिया भी शामिल है। खून में बैक्टीरिया की वजह से गंभीर संक्रमण होता है, जिसे ब्लड पोइज़निंग कहते हैं। सेप्सिस संक्रमण के प्रति शरीर की प्रक्रिया घातक होती है। सेप्सिस के कारण लाखों लोगों की मौत हो जाती है। यह बहुत घातक है, जिसके के लिए तुरंत इलाज लेने की जरूरत होती है।