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WHO समेत दुनियाभर के कई हेल्थकेयर संस्थानों का यही कहना है कि पोल्ट्री उत्पाद और अंडे को अगर आप अच्छी तरह से पका लेते हैं और इन्हें पकाने के दौरान सुरक्षा और सफाई के सभी नियमों का पालन करते हैं तो बर्ड फ्लू के दौरान भी आप चिकन और अंडा खा सकते हैं। ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) का कहना है कि बर्ड फ्लू के सभी स्ट्रेन 70 डिग्री सेल्सियस (158 डिग्री फैरेनहाइट) के तापमान पर मर जाते हैं अगर उन्हें 30 मिनट तक पकाया जाए। इसके अलावा एम्स ने पोल्ट्री और अंडों को छूने के बाद हाथ और शरीर के बाकी हिस्से जो इसके संपर्क में आए हों उसे अच्छी तरह से साबुन पानी से धोने की भी सलाह दी है।
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भारत में अब तक इंसानों में बर्ड फ्लू होने का एक भी मामला सामने नहीं आया है। बावजूद इसके अगर आप अपनी और परिवार के सदस्यों की खातिर अतिरिक्त सतर्कता बरतना चाहते हैं तो बर्ड फ्लू प्रकोप के दौरान चिकन, बत्तख, कलहंस (गीज) या टर्की जैसे पक्षी का मांस या उनके अंडों का सेवन करने से बचें। आप चाहें तो ऐसे समय में जब बर्ड फ्लू का प्रकोप देखने को मिल रहा है ऐनिमल बेस्ड प्रोटीन जैसे- मटन-चिकन की जगह प्रोटीन के प्लांट बेस्ड सोर्स जैसे- सोया, दाल और फलियां, अनाज, सूखे मेवे और बीज, डेयरी उत्पाद जैसे- पनीर, दूध, दही आदि का सेवन कर सकते हैं। यहां ध्यान देना जरूरी है कि बर्ड फ्लू प्रकोप के दौरान प्लांट बेस्ड प्रोटीन वाली इन चीजों की कीमत भी बढ़ सकती है।
इतना ही नहीं, एम्स ने चिकन या पोल्ट्री वाले इन पक्षियों के बीट या गोबर का खाद के रूप में भी इस्तेमाल न करने का सुझाव दिया है। अगर सभी तरह की सतर्कता बरतने के बावजूद किसी व्यक्ति में बर्ड फ्लू के लक्षण नजर आते हैं तो उन्हें तुरंत अपने डॉक्टर और स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क करना चाहिए।