विटामिन डी सप्लीमेंट लेने से गंभीर एटॉपिक डर्मेटाइटिस या एक्जिमा के लक्षणों को हल्का किया जा सकता है। यह बीमारी आमतौर पर बच्चों से जोड़कर देखी जाती है। खबर के मुताबिक, हाल में इस बीमारी के लक्षणों पर विटामिन डी सप्लिमेंटेशन के प्रभाव को जानने के लिए एक रैंडमाइज्ड कंट्रोल ट्रायल किया गया था। इसके परिणामों को फार्माकोलॉजी रिसर्च एंड पर्सपेक्टिव्स नामक मेडिकल जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

पत्रिका में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, सिवियर एटॉपिक डर्मेटाइटिस के मरीजों पर किए गए इस अध्ययन के परिणामों के आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा है कि इस इन्फ्लेमेटरी स्किन कंडीशन से पीड़ित जिन मरीजों ने ट्रायल को पूरा किया और 12 हफ्तों तक प्रतिदिन विटामिन डी का सेवन किया, उनमें इस बीमारी के लक्षण कम हो गए थे। अध्ययन में कुल 86 मरीजों का शामिल किया गया था। इनमें से कुछ को विटामिन डी सप्लीमेंट दिए गए तो ट्रीटमेंट के प्रभावों की तुलना के लिए कुछ प्रतिभागियों को प्लसीबो ड्रग का सेवन कराया गया। इस दौरान किए गए विश्लेषण में मिले परिणामों पर अध्ययन के लेखकों ने कहा है, 'विटामिन डी सप्लीमेंट एक प्रभावशाली एजवेंट ट्रीटमेंट हो सकता है, जो सिवियर एटॉपिक डर्मेटाइटिस के क्लिनिकल प्रभावों को सुधारता है।'

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इससे पहले भी अन्य अध्ययनों में कहा गया है कि शरीर में विटामिन डी के स्टेटस और एक्जिमा के प्रभावों में आपसी संबंध है। इनमें बताया गया कि विटामिन डी की कम सघनता एपोटिक डर्मेटाइटिस के बढ़ते मामलों से जुड़ी हुई है, विशेषकर बच्चों के मामलों में। इन अध्ययनों के हवाले से जानकार बताते हैं कि एक्जिमा के पैथोजेनेसिस (रोगजनन) में विटामिन डी की भूमिका अहम हो जाती है, क्योंकि यह इम्यून सिस्टम और स्किन बेरियर के संचालन में नियंत्रक की तरह काम करता है।

क्या है एटॉपिक डर्मेटाइटिस?
एटॉपिक डर्मेटाइटिस एक प्रकार का एक्जिमा है। इस स्थिति में मरीज की त्वचा लाल हो जाती है और काफी खुजली होने लगती है। बच्चों में यह कंडीशन अधिक देखी जाती है। हालांकि यह किसी भी आयु में हो सकता है। जानकारों के मुताबिक, एटॉपिक डर्मेटाइटिस लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है। यह समय-समय पर गंभीर हो जाती है, जो अस्थमा या 'हे फीवर' के साथ हो सकता है। मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं मिला है। लेकिन ट्रीटमेंट की मदद से और स्वयं से देखभाल कर खुजली से छुटकारा पाया जा सकता है। इससे बीमारी से जुड़े नए प्रकोपों से बचा जा सकता है। त्वचा के लिए कठोर होने वाले साबुनों का इस्तेमाल न करके, त्वचा को नियमित रूप से मॉइस्चराइज कर आदि के जरिये ऐसा किया जा सकता है।

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