हैदराबाद स्थित भारतीय तकनीकी संस्थान (आईआईटीएच) के शोधकर्ताओं द्वारा खोजा गया एक ड्रग मॉलिक्यूल तंत्रिका तंत्र से जुड़ी गंभीर बीमारी ऐमियोट्रॉफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) के इलाज में काफी मदद कर सकता है। इस बीमारी का बेहतर इलाज ढूंढने में प्रयत्नशील वैज्ञानिकों ने एक ऐसी कोशिकीय प्रक्रिया (एंडोसाइटोसिस) का पता लगाया है, जिसकी क्षमता बढ़ाए जाने पर एएलएस की वजह से कमजोर हुई मांसपेशियों को ठीक करने में मदद मिल सकती है। रिपोर्टों के मुताबिक, भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा खोजे गया मॉलिक्यूल 'एआईएम4' इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। फिलहाल एएलएस के प्रभाव से निपटने के लिए डॉक्टर कुछ ही दवाओं पर निर्भर हैं। लेकिन 'एआईएम4' के बारे में जानने के बाद अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि अब इस बीमारी का उपचार पहले से बेहतर ढंग से हो सकेगा।
इस बीमारी का बेहतर इलाज तलाशने की कोशिश के तहत शोधकर्ताओं का पहला मकसद यह जानना था कि कैसे स्वस्थ कोशिकाएं, सेल्स में मौजूद हानिकारक तत्वों को पूरी तरह से नष्ट करती हैं। शोध के दौरान पता चला कि तंत्रिका तंत्र में मौजूद हानिकारक टीडीपी-43 प्रोटीनों की संख्या को एंडोसाइटोसिस के जरिए खत्म किया जा सकता है। इस काम में एंडोसाइटोसिस की क्षमता बढ़ा कर एआईएम4 अहम भूमिका निभा सकता है।
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क्या है एएलएस?
ऐमियोट्रॉफिक लेटरल स्क्लेरोसिस स्नायु तंत्र से जुड़ी ऐसी बीमारी है जो शरीर की मांसपेशियों को कमजोर कर देती है और शारीरिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करती है। इस बीमारी को 'लू गेहरिग डिजीज भी' कहा जाता है। मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक इस बीमारी के बारे में अभी तक ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी है। फिलहाल उपचार के तौर पर कुछ दवाइयां और थेरेपी उपलब्ध हैं, जिनसे बीमारी को बढ़ने से कुछ हद तक रोका जा सकता है। पूरा इलाज अभी तक नहीं खोजा जा सका है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि एएलएस के प्रमुख कारणों में से एक वंशाणुओं में आने वाला परिवर्तन है। इससे शरीर में मौजूद टीडीपी-43 नामक प्रोटीन का रूप द्रव के रूप में बदल कर कई चरणों में अलग हो जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक वंशाणु परिवर्तन के कारण इस प्रोटीन में हुआ यह बदलाव शरीर के लिए नुकसानदेह साबित होता है। इससे स्नायु कोशिकाएं विकृत हो जाती हैं। परिणामस्वरूप मांसपेशियां कमजोर होने लगती हैं। इनके लक्षणों में अंग में कमजोरी, बोलने में दिक्कत, मांसपेशियों में मरोड़ आदि शामिल हैं।
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विशेषज्ञों की राय
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह नई खोज एएलएस के इलाज को बेहतर बनाने में काफी मददगार साबित हो सकती है। लेकिन इसके लिए एंडोसाइटोसिस की क्षमता बढ़ाने के तरीके को आसान करने की जरूरत होगी। अगर इसमें कामयाबी मिली तो एआईएम4 के जरिये एंडोसाइटोसिस पर थोड़ा दबाव बना कर टीडीपी-43 के रूप में मस्तिष्क में जमा हुए हानिकारक तत्वों को नष्ट किया जा सकेगा, वह भी बिना किसी खतरे के। इस तरह से एएलएस के इलाज में अपनाई जा रही प्रक्रिया को और बेहतर किया जा सकता है, जिससे इलाज सही दिशा में और तेजी से होगा।
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एएलएस के कुछ लक्षण
- रोजाना की गतिविधियों को सामान्य रूप से करने में दिक्कत
- लड़खड़ना और गिरना
- टांग, पैर या टखनों में कमजोरी
- हाथ में कमजोरी
- अकड़न होना
- बोलने में दिक्कत
- निगलने में कठिनाई
- मांसपेशियों में ऐंठन
- बिना कारण रोना, हंसना या जम्हाई लेना
- चबाने में दिक्कत आदि।