हाइवे और शहर की प्रमुख सड़कों के आसपास घर या अन्य प्रकार की प्रॉपर्टी होना 'किस्मत की बात' मानी जाती है। ऐसी सड़कों के पास घर होने से कनेक्टिविटी तो बेहतर होती ही है, साथ में अन्य सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। प्रॉपर्टी बिजनेस में ऐसी संपत्तियों की कीमत हमेशा ज्यादा रहती है। यही वजह है कि हर कोई हाइवे के पास घर लेने की इच्छा रखता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि व्यस्त हाइवे या सड़क के पास घर होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है? शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन के आधार पर आगाह किया है कि हाइवे के पास घर लेना स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन में पता चला है कि हाइवे के पास रहने से भूलने की समस्या जैसी कई दिक्कतें हो सकती हैं। ऐसी समस्याओं को मेडिकल भाषा में डिमेन्शिया कहा जाता है जो एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है। इसके अलावा ऐसे लोगों को पार्किन्सन, अल्जाइमर और मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस) जैसे अन्य न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर भी हो सकते हैं।
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क्या कहता है अध्ययन?
जानी-मानी अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'एनवायरन्मेंटल हेल्थ' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा की ब्रिटिश कोलंबिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है। इसके तहत उन्होंने ब्रिटेन के मेट्रो वैंकूवर शहर के छह लाख 78 हजार लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े डेटा का विश्लेषण किया। शोध में शामिल इन सभी लोगों की उम्र 45 से 84 वर्ष थी। ये 1994 से 1998 के बीच वैंकूवर में रहे थे। इन चार सालों में लोगों के स्वास्थ्य में क्या बदलाव आए, यह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने 1999 से 2003 के बीच के हेल्थ डेटा का विश्लेषण किया। इसमें अनुमान लगाया गया कि घर से सड़क या हाइवे की दूरी, वायु और ध्वनि प्रदूषण के लिहाज कितनी जोखिम भरी है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि शहर की मुख्य सड़क से 50 मीटर और हाइवे से 150 मीटर से कम दूरी पर रहने से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर होने का खतरा बढ़ जाता है। वायु प्रदूषण की स्थिति में इसके बढ़ने की आशंका और अधिक हो जाती है। अध्ययन के परिणामस्वरूप में डिमेन्शिया के 13,170, पार्किन्सन के 4,021, अल्जाइमर के 1,277 और एमएस से संबंधित 658 मामले सामने आए।
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न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर क्या है?
तंत्रिका तंत्र से जुड़ा कोई भी विकार न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर कहलाता है। यह दिमाग, रीढ़ और नसों से जुड़ी समस्या है, जो व्यक्ति को कई तरह की शारीरिक समस्याएं दे सकती है। मसलन, मांसपेशी की कमजोरी, सतर्कता में कमी, आंशिक या पूर्ण लकवा आदि। न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर कई तरह के होते हैं। इनमें अल्जाइमर, डिमेन्शिया, पार्किन्सन, एपिलेप्सी काफी कॉमन हैं। ये डिसऑर्डर्स समय के साथ ज्यादा घातक हो सकते हैं। इनके क्या-क्या खतरे हो सकते हैं, इस बारे में अधिक जानकारी नहीं है। इस कारण कई डिसऑर्डर लाइलाज हैं।
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