अगर कहें कि आज भूलने, उलझन और निर्णय लेने में दिक्कत यानि डिमेंशिया कुछ लोगों के जीवन का हिस्सा बन चुकी है तो कहना गलत नहीं होगा। हां, कुछ लोगों में ये बढ़ती उम्र की वजह से हो सकती है। जैसे कि वृद्धावस्था में और इसे एक अपवाद कह सकते हैं। हालांकि, इससे अलग हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कई चीजों को भूल जाते हैं। जैसे- पढ़ने के बाद किताब को कहीं रखकर भूल जाना। अखबार की 10 सुर्खियों या बड़ी खबरों में से 5 को भूल जाना। बाजार से जरूरी सामान खरीदते समय एक या दो चीजें भूल जाना। ये सामान्य हो सकता है।
मगर, कुछ लोगों में ये समस्या अब बीमारी में परिवर्तित हो चुकी है। जिसका एक प्रमुख कारण है आज की भाग-दौड़ और तनाव भरी जिंदगी। खैर इससे परे याददाश्त और निर्णय क्षमता को मजबूत करने के लिए डॉक्टर बेहतर डाइट और व्यायाम की सलाह देते हैं, क्योंकि डिमेंशिया की कोई दवा या इलाज नहीं है। इसलिए इससे ग्रसित अधिकांश लोगों में आज भी ये समस्या ज्यों-की-त्यों बनी हुई है, लेकिन एक रिसर्च के जरिए पता चला है कि कैसे आप डिमेंशिया से कुछ हद तक निजात पा सकते हैं।
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क्या कहती है रिसर्च?
कनाड़ा की मैकमास्टर यूनिवर्सिटी के अध्ययनकर्ताओं ने ये रिसर्च की है। इस शोध में यूनिवर्सिटी के काइनेसियोलॉजी विभाग में एक एसोसिएट प्रोफेसर और उनकी टीम शामिल थी। शोधकर्ताओं की टीम ने न्यूरोफिट लैब में रिसर्च के दौरान पाया कि अनुवांशिक गुणों के साथ शारीरिक गतिविधियों के कम होने (जैसे-आलस) से भूलने की बीमारी का जोखिम ज्यादा बढ़ता है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि व्यायाम को लेकर लोगों में कितनी गंभीरता है, ये बात मायने रखती है। खैर अध्ययनकर्ताओं ने डिमेंशिया को दूर करने और याददाश्त को बढ़ाने के लिए अपने शोध में बैठे रहने वाले कुछ वरिष्ठजनों को शामिल किया और नए एक्सरसाइज प्रोग्राम के जरिए इन लोगों में डिमेंशिया की स्थिति में महज 12 हफ्तों के अंदर सुधार हुआ।
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हालांकि, ये केवल उन लोगों के साथ था, जो तेज चलते थे। इसलिए ऐसे लोगों ने अपने शारीरिक व्यायाम में बेहतर कोशिश करते हुए सीधे तौर पर अपनी याददाश्त को बढ़ाया।
अध्ययनकर्ताओं का अगला कदम यह समझना है कि व्यायाम कैसे दिमाग या मस्तिष्क को सक्रिय कर सकता है। इसलिए अध्ययनकर्ताओं ने उम्र बढ़ने के साथ मेंटल हेल्थ पर व्यक्तिगत व्यायाम के नुस्खों को स्थापित किया है।
हेल्दी ब्रेन के लिए करें अभ्यास
बढ़ती उम्र के साथ हम सभी में भूलने की बीमारी (डिमेंशिया या मनोभ्रंश) का जोखिम भी बढ़ रहा है। ऐसा इसलिए है, बढ़ती उम्र के साथ कुछ बातें पहले से ही निर्धारित है। बढ़ती उम्र मनोभ्रंश के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है और कुछ जीन्स भी हमारे अंदर इस जोखिम को बढ़ाते हैं।
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सबसे बड़ा संशोधित जोखिम कारकों में से एक शारीरिक निष्क्रियता है। यह हमें एक स्वस्थ मस्तिष्क के लिए प्रशिक्षित करने का अवसर देता है।
इस तरह अध्ययन में 1,600 से अधिक वयस्कों के समूह में अनुवांशिक (जेनेटिक) और शारीरिक गतिविधि के आधार पर बातचीत कर जांच की गई। ये लोग कनेडियन स्टडी ऑफ हेल्थ एंड ऐजिंग का हिस्सा थे।
अध्ययनकर्ताओं को सैंपल के आधार पर पता चला कि लगभग 25 प्रतिशत लोगों में मनोभ्रंश के लिए एक अनुवांशिक जोखिम कारक था, लेकिन यह बहुमत के हिसाब से (लगभग 75 प्रतिशत) काफी कम था। इस तरह शोधकर्ताओं ने पाया कि 21 प्रतिशत लोगों में जेनेटिक रिस्क की वजह से उलझन, निर्णय लेने में असमर्थता और भूलने की बीमारी होने का खतरा था, इस समूह पर व्यायाम का कोई असर नहीं दिखा।
व्यायाम करना सबसे लाभदायक
अध्ययन से पता चलता है कि व्यायाम से कुछ ऐसा असर दिखाती है कि मस्तिष्क रीजेनरेट करने में मदद मिलती है। यह हिप्पोकैम्पस (मानव के मस्तिष्क का एक प्रमुख घटक, जो मेमोरी से जुड़ा हुआ है) में नए न्यूरॉन्स को बढ़ाता है और याददाश्त को बेहतर बनाता है।
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व्यायाम में पसीना आना जरूरी
इस रिसर्च से पता चलता है कि आपको अपने व्यायाम की तीव्रता यानी तेजी बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है। आप रोजाना पैदल चलकर (ऊंचे रास्ते पर चलना) और अपनी गति को बढ़ाकर भी डिमेंशिया की समस्या को कम कर सकते हैं।