बच्चा जब छोटा होता है तो वो पूरी तरह से माता पिता पर आश्रित रहता है लेकिन जब वो बड़ा होने लगता है तो वो धीरे धीरे बोलने बताने लगता है और अपने कुछ काम भी खुद करने लगता है जैसे सू सू, पॉटी आदि लेकिन उसे सू सू, पॉटी कहां करनी है यह बताने और सिखाने की जिम्मेदारी आपकी होती है।
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छोटे बच्चों को जितना प्यार, दुलार करने की जरूरत होती है, जितना उनका ख्याल रखने की जरूरत होती है उतनी ही ज्यादा जरूरत होती है उन्हें अच्छी आदतें सिखाने की भी। बच्चों को जो चीजें बचपन में सीखा दी जाती हैं वो उन्हें हमेशा याद रहती हैं। उन्हीं अच्छी आदतों में से एक है अगर आपका बच्चा सू सू और पॉटी आने पर पहले ही बता दे, इसके लिए जरूरी है बच्चे को पॉटी ट्रेनिंग (टॉयलेट ट्रेनिंग) देना। ज्यादातर अभिभावक बच्चे को विशेष प्रकारकी आवाजें निकाल कर सू सू करवाते हैं।
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हमारा लेख भी इसी विषय पर है। इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि पॉटी ट्रेनिंग क्या है? बच्चों को टॉयलेट ट्रेनिंग कब देनी चाहिए और कब तक देनी चाहिए? बच्चों को टॉयलेट ट्रेनिंग देने के लिए खुद को कैसे तैयार करें?