शरीर का सामान्य से कम तापमान हाइपोथर्मिया कहलाता है. यह समस्या बच्चों को भी हो सकती है. बच्चे को हाइपोथर्मिया होने पर सांस लेने में दिक्कत हो सकती है व त्वचा का रंग बदल सकता है. बच्चे को हाइपोथर्मिया होने के पीछे प्रमुख कारण प्रीमैच्योर बर्थ व हाइपोग्लाइसीमिया आदि को माना गया है. ऐसे में बच्चे को ज्यादा कपड़े पहनाने व शरीर को गर्माहट देने की सलाह दी जाती है.

आज इस लेख में आप बच्चों में हाइपोथर्मिया क्या है, इसके लक्षण, कारण व इलाज के बारे में जानेंगे -

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  1. बच्चों में हाइपोथर्मिया क्या है?
  2. बच्चों में हाइपोथर्मिया के लक्षण
  3. बच्चों में हाइपोथर्मिया के कारण
  4. बच्चों में हाइपोथर्मिया का इलाज
  5. सारांश
  6. बच्चों में हाइपोथर्मिया क्या है, लक्षण, कारण व उपचार के डॉक्टर

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (एएपी) के मुताबिक, बड़ों की तरह बच्चों के शरीर का तापमान भी सुबह व शाम के समय अलग-अलग हो सकता है. जब बच्चे के मुंह में थर्मामीटर लगाकर तापमान चेक किया जाता है, तो ये सुबह के समय 95.8 डिग्री फारेनहाइट (35.5°C) और दिन के अंत में 99.9 डिग्री फारेनहाइट (37.7°C) हो सकता है. हालांकि, बच्चों में ओरली चेक किए गए तापमान को सही नहीं माना गया है, क्योंकि वो अपनी जीभ के नीचे थर्मामीटर को होल्ड करके नहीं रख सकते हैं. इसलिए, बच्चों के गुदा मार्ग से लिया गया तापमान सही माना जाता है.

एएपी के अनुसार, रेक्टल थर्मामीटर से चेक करने पर बच्चे का तापमान सुबह 96.8 डिग्री फारेनहाइट (36 डिग्री सेल्सियस) से लेकर दिन के अंत तक 100.3 डिग्री फारेनहाइट (37.9 डिग्री सेल्सियस) तक हो सकता है. वहीं, अगर बच्चे के गुदा मार्ग से चेक किया गया तापमान 95 डिग्री फारेनहाइट (35 ° C) से नीचे चला जाता है, तो उस अवस्था को हाइपोथर्मिया माना जाता है. वहीं, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) ने बच्चों के बॉडी टेंपरेचर अलग वर्ग में बांटा है -

  • माइल्ड हाइपोथर्मिया तब होता है, जब बच्चे के शरीर का तापमान 96.8 डिग्री फारेनहाइट या 97.5 डिग्री फारेनहाइट या उससे कम हो.
  • मॉडरेट हाइपोथर्मिया तब होता है, जब बच्चे के शरीर का तापमान 89.6 डिग्री फारेनहाइट से 96.6 डिग्री फारेनहाइट या उससे कम हो.
  • गंभीर हाइपोथर्मिया तब होता है, जब बच्चे के शरीर का तापमान 89.6 डिग्री फारेनहाइट या उससे कम हो.

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छोटे बच्चों को हाइपोथर्मिया होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है. बड़ों की तरह छोटे बच्चे बताने में असमर्थ होते हैं कि उन्हें किसी तरह की समस्या है. ऐसे में कुछ लक्षणों के जरिए पहचाना जा सकता है कि बच्चे को हाइपोथर्मिया है -

हाइपोथर्मिया के गंभीर रूप लेने पर निम्न प्रकार के लक्षण नजर आ सकते हैं -

  • वजन कम होना
  • वजन न बढ़ना
  • ठीक से विकास न होना

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बच्चों में हाइपोथर्मिया के कई कारण हो सकते हैं. जैसे समय से पहले बच्चे का जन्म होना या बच्चे का जन्म के समय वजन कम होना. इसके अलावा, ठंडे वातावरण में बच्चे का जन्म होना इत्यादि. आइए, बच्चों में हाइपोथर्मिया के कारणों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

 

  1. प्रीमैच्योर बर्थ
  2. कोल्ड बर्थ एनवायरनमेंट
  3. हाइपोग्लाइसीमिया
  4. इंफेक्शन

प्रीमैच्योर बर्थ

2013 के शोध के अनुसार, जो बच्चे 28वें हफ्ते से पहले जन्म लेते हैं, उन्हें हाइपोथर्मिया होने की आशंका अधिक रहती है. वहीं, रिसर्च में ये भी बात सामने आई है कि लो बर्थ वेट भी हाइपोथर्मिया का एक ओर कारण है. जिन बच्चों का जन्म के समय वजन 1.5 किलोग्राम या उससे कम होता है, ऐसे 31 से 78 फीसदी बच्चों को पैदा होने के तुरंत बाद हाइपोथर्मिया होने का खतरा रहता है.

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कोल्ड बर्थ एनवायरनमेंट

कुछ बच्चों के पूरे 9 महीने बाद जन्म लेने पर भी हाइपोथर्मिया हो सकता है. ऐसा उनके ठंडे इलाके में जन्म लेने के कारण होता है.

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हाइपोग्लाइसीमिया

हाइपोग्लाइसीमिया वो अवस्था है, जब शरीर में बहुत कम ग्लूकोज या ब्लड शुगर सरर्कुलेट होता है. ग्लूकोज को बॉडी की एनर्जी के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ऐसी स्थिति में बच्चा जन्म के दौरान या बाद में हाइपोथर्मिया का शिकार हो सकता है.

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इंफेक्शन

कुछ गंभीर संक्रमणों के कारण भी बच्चों का बॉडी टेंपरेचर कम हो जाता है, जैसे -

  • मेनिनजाइटिस इंफेक्शन - मेनिनजाइटिस मेंब्रेन का इंफ्लेमेशन है, जो स्पा‍इनल कोर्ड के आसपास होती है. ये बच्चों में कई बार बुखार का कारण बनती है, लेकिन इसके कारण शरीर का तापमान बहुत गिर जाता है.
  • सेप्सिस इंफेक्शन - सेप्सिस ब्लड का खतरनाक बैक्टीरियल इंफेक्शन है. इसके कारण शिशु के शरीर का टेंपरेचर बहुत कम हो जाता है या कई बच्चों को बुखार हो जाता है.

ये दोनों ही इंफेक्शन बहुत गंभीर है और बच्चों के लिए जानलेवा हो सकते हैं. अगर किसी बच्चे में ऐसे लक्षण दिखें, जैसे - बच्चे की त्वचा चिपचिपी, धब्बेदार या रैशेज हैं, बच्चा ठीक से न खाएं, तेज-तेज सांस लें, रोते हुए घर्राहट होना, हाथ-पैर ठंडे पड़ना, तो इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत मेडिकल हेल्प लेना जरूरी है.

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बच्चों में लो बॉडी टेंपरेचर होना खतरनाक हो सकता है. कुछ मामलों में लो बॉडी टेंपरेचर के कारण मृत्यु तक हो सकती है, लेकिन ऐसा दुर्लभ मामलों में ही होता है. ऐसे में अगर पता चले कि बच्चा हाइपोथर्मिया से ग्रस्त है, तो बच्चे को अधिक कपड़े पहनाएं. आइए, बच्चे को हाइपोथर्मिया के इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं -

  1. कपड़ों की लेयर बढ़ाएं
  2. मेडिकल हेल्प लें
  3. प्रीमैच्योर बर्थ व लो बर्थ वेट होने पर टिप्स
  4. हाइपोग्लाइसीमिया होने पर इलाज
  5. कुछ अन्य उपाय

कपड़ों की लेयर बढ़ाएं

शरीर का टेंपरेचर बढ़ाने के लिए बच्चे को कपड़ों की अधिक लेयर पहनाएं. बॉडी का टेंपरेचर कम करने के लिए अपनी बॉडी हीट बच्चे को दें, बच्चे को अधिक ब्लैंकेट ओढ़ा दें.

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मेडिकल हेल्प लें

यदि कपड़ों की लेयर से बच्चे के शरीर का तापमान नहीं बढ़ रहा, तो तुरंत पीडियाट्रिक से संपर्क करें. डॉक्टर बच्चे को इमरजेंसी मेडिकल हेल्प दे सकते हैं. बच्चे को लगातार सीपीआर दें, क्योंकि हाइपोथर्मिया होने पर ब्रीदिंग की समस्या हो सकती है. अगर आप डॉक्टर तक नहीं पहुंच पा रहे हैं, तो अपने नजदीकी इमरजेंसी हेल्थ सेंटर में जाएं. बच्चे को जितनी जल्दी इलाज मिलेगा, उसे उतना गंभीर समस्याओं से बचाया जा सकता है.

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प्रीमैच्योर बर्थ व लो बर्थ वेट होने पर टिप्स

यदि किसी का बच्चा प्रीमैच्योर हुआ है या वजन कम है, तो हॉस्पिटल या नर्सरी में बच्चे को डिजाइंड बेसिनेट्स में रखा जाता है, जिसमें वॉर्मिंग लाइट्स होती है और हीटिड मैट्रेस होता है. बच्चे को पेरेंट्स से स्किन टू स्किन टच करवाया जाता है. जन्म के 12 घंटे तक बच्चे को नहीं नहलाया जाता. बच्चे को तुरंत गर्म कंबल में लपेटा जाता है और जन्म के तुरंत बाद सुखाया जाता है. जब बच्चा घर आ जाता है, तो बॉडी टेंपरेचर संतुलित बनाए रखने के लिए कुछ टिप्स अपना सकते हैं, जैसे - बच्चे को कंबल में लेटाएं रखें, ठंड से बचाने के लिए टोपी पहनाएं व कम से कम नहलाएं.

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हाइपोग्लाइसीमिया होने पर इलाज

बच्चे को हाइपोग्लाइसीमिया के कारण हाइपोथर्मिया से बचाने के लिए मां की डाइट में बदलाव किया जाता है. बच्चे का रेगुलर फीडिंग टाइम शेड्यूल किया जाता है.

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कुछ अन्य उपाय

अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है, तो उसे पीने के लिए कुछ गर्म तरल पदार्थ दे सकते हैं. इसके अलावा, हीट पैक या गर्म बोतल को टॉवल या कपड़े में लपेटकर बदन को गर्माहट दी जा सकती है.  

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बड़ों की तुलना में बच्चे हाइपोथर्मिया का शिकार जल्दी हो जाते हैं. यदि बच्चे के गुदा मार्ग से लिया गया तापमान 95 डिग्री फारेनहाइट से कम होता है, तो इसे हाइपोथर्मिया माना जाता है. यदि बच्चों में हाइपोथर्मिया के लक्षण दिखें, जैसे सांस लेने में तकलीफ होना, खाने में रुचि न होना या शरीर का टेंपरेचर गिरना, तो इस कंडीशन में बच्चे को तुरंत गर्माहट देने के लिए गर्म कपड़े पहनाएं या वॉर्म लिक्विड दें. अगर फिर भी टेंपरेचर नहीं बढ़ता, तो मेडिकल हेल्प लेनी चाहिए.

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