बॉलीवुड की फिल्मों ‘बाला’ और ‘उजड़ा चमन’ को देखने के बाद देश में गंजापन तथा बालों का झड़ना अचानक चर्चा का विषय बन गए। आमतौर पर बालों का झड़ना वयस्कों की बीमारी माना जाता है, लेकिन यह बच्चों में भी होता है। बालों के पतलेपन और बाल्ड स्पॉट्स से इसकी शुरुआत होती है। शुरुआती कारण फंगल इन्फेक्शन या बैक्टीरियल इन्फेक्शन होते हैं। शारीरिक कमजोरी और तनाव के कारण भी बच्चों में बाल झड़ने की शुरुआत होती है। नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इनफोर्मेशन (एनसीबीआई) में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, भारत और अन्य विकासशील देशों में बच्चों में बालों की समस्या का महत्वपूर्ण कारण है आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्वों की कमी। संकेत नजर आने पर बच्चों को बाल रोग विशेषज्ञ या त्वचा विशेषज्ञ से जांच करवानी चाहिए। अच्छी बात यह है कि समय रहते उपचार मिले तो बालों का यह झड़ना रोका जा सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, बालों का झड़ना आनुवंशिक भी होता है। शुरू से उचित देखभाल की जाए और इलाज लिया जाए तो समस्या से निजात पाया जा सकता है।
(और पढ़ें - बाल पतले क्यों होते है)
बच्चों में बालों से जुड़ी समस्याएं
रिंगवर्म : रिंगवर्म यानी दाद त्वचा का एक आम रोग है, जो फफूंद के संक्रमण (फंगल इन्फेक्शन) के कारण होता है। इसके कारण खोपड़ी में जगह-जगह लाल, अंगूठी के आकार के दाने बनना शुरू हो जाते हैं। इसे टिनिया कैपिटिस कहा जाता है। बच्चों की देखभाल करते समय नजर रखें कि वह सिर में खरोंच या खुजली तो नहीं कर रहे हैं। कुछ बच्चे खुजली को दूर करने के लिए बाल खिंचना शुरू कर सकते हैं। इस स्थिति में बालों का झड़ना आमतौर पर सिर्फ एक या दो स्थानों में होता है। डॉक्टर खोपड़ी के लिए एंटिफंगल क्रीम लिख सकता है। जब दाद ठीक हो जाता है, तो बाल फिर उगना शुरू हो जाते हैं।
एलोपेसिया एरीटा : यह बालों के झड़ने का एक प्रकार है, जिसमें बालों के रोम पर हमला होता है। इसके कारण बच्चा पूरी तरह गंजा भी हो सकता है या बाल बहुत पतले हो सकते हैं। कुछ बच्चों में भौहें और पलकों के बाल भी गिर जाते हैं। खोपड़ी में गंजेपन के धब्बे होते हैं जो आमतौर पर चिकने और त्वचा के रंग के होते हैं। यूं तो इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन डॉक्टर लक्षण देखने के बाद कुछ दवाएं देते हैं। डॉक्टर ऑफ-लेबल ड्रग्स लिख सकते हैं जो शरीर के रोम छिद्रों पर हमला करने से रोकने में मदद कर सकते हैं। इससे फायदा होता है, लेकिन कभी-कभी दवा बंद करने पर बालों का झड़ना फिर शुरू हो जाता है। इसलिए उपचार लंबे समय तक जारी रखने की आवश्यकता हो सकती है।
(और पढ़ें - आपके लिए myUpchar बीमा प्लस पॉलिसी क्यों है बेहतर)
बाल खींचना या मरोड़ना : जो बच्चे अपने बालों को लगातार खींचते या घुमाते हैं, वे बालों के रोम को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे बाल गिरना शुरू हो सकते हैं। कुछ बच्चे चिंता में ऐसा करते हैं। डॉक्टर इसे ट्रिकोटिलोमेनिया कहते हैं। जब बालों का खींचना या मरोड़ना बंद कर दिया जाता है, तो ये वापस आ जाते हैं। बाल खींचना एक प्रकार का ओबसेसिव कम्पल्सरी डिसऑर्डर है, इसलिए कारण समझना इलाज के लिए जरूरी है।
ट्रैक्शन एलोपेसिया : ट्रैक्शन एलोपेसिया बालों के झड़ने का एक प्रकार है, जो तब होता है जब खोपड़ी लंबे समय तक खिंचाव महसूस करती है, जैसे लंबे समय तक बहुत तंग पोनीटेल बनाना। खोपड़ी पर लाल धब्बों के साथ खुजली हो सकती है। जैसे ही बालों में खींचाव कम होता है, ये वापस उग आते हैं। यदि इस प्रकार के बालों के झड़ने के साथ खोपड़ी में संक्रमण हो गया है, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाएं दे सकता है।
(और पढ़ें - बाल झड़ने से रोकने की होम्योपैथिक दवा)
बच्चों के बाल झड़ने के अन्य कारण
- शारीरिक चोट
- भावनात्मक तनाव
- बुखार या संक्रमण
- जनरल ऐनेस्थीसिया के साथ सर्जरी
- कुछ दवाइयां, जैसे एक्ने मेडिसिन एक्यूटेन
- विटामिन और पोषण असंतुलन, जैसे बहुत अधिक विटामिन ए
- डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए
- बच्चे को खोपड़ी में खुजली, कभी-कभी दर्द की शिकायत
- भौहों या पलकों के बाल गायब होना
- सिर पर गंजेपन जैसे धब्बे दिखाई देना
- बच्चे के सामान्य से ज्यादा बाल झड़ना
- बच्चे को बीमारी के बाद या नई दवा लेने पर बाल झड़ना
- खोपड़ी की चोट या जलन के कारण बाल झड़ना
बालों का झड़ना बच्चों में असामान्य नहीं है। इसके कई कारण हो सकते हैं जैसे - संक्रमण, तनाव और बालों को खींचा जाना। इनमें से अधिकांश कारणों का इलाज है। जैसे ही कोई लक्षण नजर आएं, किसी एक्सपर्ट को जरूर दिखाएं।
(और पढ़ें - जानें क्यों होते हैं उम्र से पहले बाल सफेद)