प्राचीन समय से ही हिन्दू धर्म में नामकरण की प्रक्रिया का चलन प्रचलित है। हिन्दू धर्म में लड़के का ऐसा नाम रखने पर जोर दिया जाता है जिसका कोई मतलब हो। हिन्दू धर्म के आधार पर लड़के के लिए उत्तम नाम चुने जाने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। दैनिक जीवन में लड़के का नाम ही उसे एक अलग पहचान देता है। हिन्दू धर्म में नामकरण की प्रक्रिया इसी उद्देश्य से शुरु की गई थी कि व्यक्ति को दूसरों से अलग पहचान दी जा सके। केवल भारत ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी रहने वाले हिन्दू धर्म के लोग पिछले चार दशकों से नामकरण की प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। हिन्दू धर्म के अनुसार लड़के का नाम सुंदर और अर्थपूर्ण होना चाहिए जिससे उसे समाज में मान-सम्मान मिले एवं दूसरों पर उसका अच्छा प्रभाव पड़े। हिन्दू धर्म में माना जाता है कि लड़के के नाम से उसका स्वभाव तय होता है। उसका व्यवहार अच्छा है या बुरा, स्वभाव से वह मिलनसार है या नहीं, वाणी में उसकी कटुता है या मिठास है, इन सब बातों का पता लड़के के नाम के पहले अक्षर यानी ऊ अक्षर से लगाया जा सकता है। जो लोग हिन्दू धर्म से जुड़े होते हैं और नाम ऊ से शुरू होता है, वे लोग जिंदगी में सफल जरूर होते हैं। यही नहीं वे अपने जीवन में आए उतार-चढ़ाव या चुनौतियों से भयभीत नहीं होते। इसके उलट उसका डटकर सामना करते हैं। हिन्दू धर्म में शिशु के जन्म के बाद नामकरण होता है। माता-पिता अधिकतर लड़के का ऐसा नाम रखना चाहते हैं जिसका कोई अर्थ हो क्योंकि इसका सीधा असर उसके व्यक्तित्व और भविष्य पर पड़ेगा।