आयुर्वेद में प्राकृतिक तरीकों से बीमारियों को ठीक करने की कोशिश की जाती है. इसमें कई तरह की थेरेपीज होती हैं. इनमें पोडिकिजी ऐसी ही एक आयुर्वेदिक थेरेपी है, जिसके माध्यम से अर्थराइटिस, न्यूओरोलॉजिकल जटिलताएं, गठिया व शारीरिक सूजन जैसी समस्याओं का प्रभावी इलाज होता है. इस थेरेपी में जड़ी-बूटियों के मिश्रण पाउडर को गर्म करके कपास की थैलियों में भरकर शरीर के प्रभावित हिस्से पर प्रयोग किया जाता है.

पोडिकिजी थेरेपी के लिए विशेष औषधीय पाउडर का उपयोग किया जाता है और यह आयुर्वेदिक उपचार का एकमात्र रूप है, जिसे तेल के साथ या बिना तेल इस्तेमाल किए किया जा सकता है.

इस लेख में आप पोडिकिजी की प्रक्रिया, फायदे, नुकसान व सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. क्या है पोडिकिजी?
  2. पोडिकिजी की प्रक्रिया
  3. पोडिकिजी के फायदे
  4. पोडिकिजी के नुकसान
  5. पोडिकिजी में सावधानियां
  6. सारांश
  7. पोडिकिजी के डॉक्टर

पोडिकिजी एक आयुर्वेदिक मसाज थेरेपी है, जो शारीरिक दर्द को कम करने में मदद करती है और गठिया, मांसपेशियों में ऐंठन व न्यूओरोलॉजिकल जटिलताओं के कारण होने वाले दर्द और सूजन को कम करती है. इसे चूर्ण पिंड स्वेदन के नाम से भी जाना जाता है. पोडि का मतलब है पाउडर और किजी का अर्थ बैग होता है. इस तरह इसका शाब्दिक अर्थ हुआ पाउडर का बैग.

पोडिकिजी थेरेपी में कपास या कॉटन के बैगों में जड़ी-बूटियों से बने गर्म पाउडर को भरकर शरीर के प्रभावित हिस्से पर लगाया जाता है और मालिश की जाती है. पोडिकिजी थेरेपी का सबसे आवश्यक तत्व औषधीय पाउडर है.

चूरनाम (पाउडर) इस थेरेपी में मुख्य घटक है. रोगी व्यक्ति की वर्तमान रोग स्थिति के अनुसार इसे चुना जाता है. इस थेरेपी में कोट्टमचक्कड़ी, नागराड़ी, जटामायादी आदि चूर्ण उपयोग होते हैं.

पोडिकिजी को शरीर पर लगाने से पहले हर बार विशेष आयुर्वेदिक तेलों में डुबाया जाता है. उस तेल को व्यक्तिगत रूप से भी चुना जाता है, क्योंकि हर्बल मिश्रण पाउडर और अन्य अवयवों के साथ यह तेल मालिश प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव डालता है.

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पोडकिजी को क्रमवार करने का तरीका नीचे बताया गया है-

  • पोडिकिजी आयुर्वेदिक थेरेपी की प्रक्रिया में सबसे पहले किजी यानी मिश्रण पाउडर को तैयार किया जाता है. मुख्य पाउडर के साथ-साथ करक्यूमा, सेंधा नमक, लहसुननींबू आदि को लिया जाता है.
  • इसके बाद सबसे पहले जड़ी-बूटियों को एक पैन में थोड़े से तेल के साथ हल्का गर्म किया जाता है. फिर करीब 5 मिनट बाद जड़ी-बूटियों के मिश्रण को कपास या कॉटन के कपड़े में डालकर बैग यानी पोडि बनाकर तैयार किया जाता है.
  • जब पोडि यानी बैग का तापमान सहनीय सीमा में हो, तो जड़ी-बूटियों के मिश्रण पाउडर को थोड़े से तेल में डुबोकर और दर्द को कम करने के लिए शरीर के प्रभावित हिस्सों पर बैग को लगाया जाता है.
  • इन बैग्स को आपस में बदलकर समान तापमान बनाए रखा जाता है. ध्यान दें कि प्रक्रिया के दौरान पाउडर में एक सहनीय ताप स्तर होना चाहिए. प्रभावित हिस्से पर लगातार बैग लगाएं और साथ-साथ मसाज करें. पोडिकिजी थेरेपी के बाद व्यक्ति को गर्म पानी से स्नान करने की सलाह दी जाती है.
  • इस थेरेपी की अवधि 45 से 60 मिनट तक चलती है. इसका पूरा सेशन कोर्स 7 दिन से 3 हफ्ता तक चलता है, जिसे रोगी की स्थिति के अनुसार घटाया या बढ़ाया जा सकता है.

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पोडिकिजी थेरेपी के जरिए न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं, गठिया व सूजन जैसी समस्याओं का प्रभावी इलाज किया जाता है. इसके अलावा, इस थेरेपी के कई अन्य लाभ होते हैं. आइए, विस्तार से जानते हैं पोडिकिजी थेरेपी के फायदों के बारे में-

  • पोडिकिजी थेरेपी शरीर में रक्त की आपूर्ति को बढ़ाती है.
  • यह त्वचा के रंग को सुधारने में भी मदद करती है.
  • इस थेरेपी को लेने से शरीर के दर्द से राहत मिल सकती है. साथ ही यह मांसपेशियों को मजबूत करती है.
  • यह थेरेपी चिंता और तनाव से राहत के लिए भी एक प्रभावी उपचार हो सकती है.
  • इसमें डिटॉक्सिफाई गुण है, जो त्वचा के छिद्रों के माध्यम से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मददगार हो सकते हैं. इसके अलावा, यह थेरेपी त्वचा रोगों की प्रवृत्ति को कम करती है.

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पोडिकिजी आयुर्वेदिक थेरेपी को सुरक्षित और प्राकृतिक उपचार विकल्प माना जाता है, लेकिन कुछ अपवाद मामलों में इसके नुकसान हैं, जैसे- स्किन पर जलन, मांसपेशियों में अकड़न इत्यादि देखने को मिल सकते हैं. आइए, विस्तार से जानते हैं इसके नुकसान के बारे में -

  • कुछ लोगों को इस थेरेपी को लेने के बाद त्वचा में जलन महसूस हो सकती है.
  • कुछ स्थितियों में इससे मांसपेशियों में अकड़न आ सकती है.
  • इस थेरेपी से कुछ लोगों के शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है.
  • पुरानी चोट पर इस थेरेपी का इस्तेमाल करने से घाव हो सकते हैं.

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पोडिकिजी आयुर्वेदिक थेरेपी के दौरान कुछ सावधानियां अपनाने की आवश्यकता पड़ सकती है, ताकि कोई शारीरिक कष्ट न हो. इसलिए, निम्न सावधानियों का ध्यान रखें -

  • पोडिकिजी थेरेपी कोलेस्ट्रॉल की समस्या से ग्रस्त लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है.
  • पुरानी चोट पर इस थेरेपी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
  • स्किन एलर्जी होने पर यह थेरेपी को करवाने से बचें.
  • बुखार या चक्कर आ रहा हो, तो इस थेरेपी का उपयोग न करें.
  • पोडिकिजी थेरेपी के बाद आराम करें.

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पोडिकिजी आयुर्वेदिक थेरेपी से न्यूरोलॉजिकल जटिलताएं, गठिया व शारीरिक सूजन जैसी समस्याओं का प्रभावी इलाज होता है. इस थेरेपी में जड़ी-बूटियों के मिश्रण पाउडर को गर्म करके कपास की थैलियों में भरकर शरीर के प्रभावित हिस्से पर प्रयोग किया जाता है, जिससे दर्द और सूजन दूर करने में मदद मिलती है. हालांकि, कोलेस्ट्रॉल की समस्या से ग्रस्त व्यक्तियों और पुरानी चोट लगी होने पर इस थेरेपी से परहेज करें. इस थेरेपी का उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य लें.

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