साल के सबसे बड़े त्योहारों में से एक नवरात्रि के दौरान देवी मां की पूजा के साथ ही बड़ी संख्या में लोग 9 दिन का उपवास भी रखते हैं। लेकिन यह उपवास तभी तक स्वस्थ अभ्यास माना जा सकता है जब तक आप खुद को पूरी तरह से भूखा न रखें। सभी लोगों का उपवास करने का तरीका अलग-अलग हो सकता है। कोई उपवास के दौरान सिर्फ फलाहार करते हैं यानी फलों का सेवन, पानी और फ्रूट जूस आदि तो कुछ लोग सिर्फ मीठी चीजें खाते हैं, नमक का सेवन नहीं करते तो वहीं कुछ लोग अपने खाने में सामान्य सफेद नमक की जगह सेंधा नमक डालते हैं और व्रत वाला अनाज जैसे- कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, समक चावल आदि का सेवन करते हैं। इसके अलावा कुछ लोग इन 9 दिनों के दौरान प्याज-लहसुन जैसी चीजों का सेवन नहीं करते और सिर्फ सात्विक डाइट ही खाते हैं।
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सबसे स्वस्थ आहारों में से एक है नवरात्रि डाइट
उपवास का तरीका चाहे जो हो, अपनी डाइट में बदलाव करने का मकसद सिर्फ यही है कि व्यक्ति अपने शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध और डिटॉक्स (अंदर से साफ करना) कर पाए। यहां तक कि अगर आप नवरात्रि के दौरान औपचारिक रूप से उपवास नहीं भी रख रहे हैं तब भी आपको नवरात्रि डाइट प्लान को आजमाने के बारे में जरूर सोचना चाहिए क्योंकि यह वास्तव में सबसे स्वस्थ आहारों में से एक है और वजन घटाने में मदद करने के साथ ही आपको अंदर से हेल्दी और ऊर्जा से भरपूर बनाने में मदद कर सकता है। नवरात्रि आहार केवल कोई साधारण शाकाहारी या प्लांट बेस्ड डाइट नहीं है, बल्कि यह सत्त्व के आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर आधारित सात्विक डाइट है जिसके कई स्वास्थ्य लाभ हैं।
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शरीर को डिटॉक्स करने के लिए सात्विक आहार
आयुर्वेद के मुताबिक आहार 3 प्रकार का होता है- सात्विक, तामसिक और राजसिक। सात्विक का अर्थ है शुद्ध, पवित्रता से भरपूर, ऊर्जावान और शांति देने वाला, राजस या राजसिक का अर्थ है- जोश और विलासिता का सुझाव देने वाला और तमस या तामसिक का अर्थ है- सुस्ती और नकारात्मकता को बढ़ाने वाला। नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान पूरी तरह से सात्विक आहार अपनाया जाता है। तामसिक और राजसिक खाद्य और पेय पदार्थों का सेवन बंद करने से शरीर में विषाक्त पदार्थों, संतृप्त वसा और अन्य हानिकारक पदार्थों की उपस्थिति अपने आप कम हो जाती है।
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