मूत्र पथ में पथरी होना एक आम चिकित्सा समस्या है। मूत्र पथ में पथरी वाले लगभग आधे मरीजों को 10 वर्षों के भीतर यह समस्या दोबारा हो जाती है। किडनी से पथरी को हटाने के लिए पथरी के आकार और स्थान के आधार पर आपके डॉक्टर आपको लिथोट्रिप्सी नामक उपचार की सलाह दे सकते हैं।

लिथोट्रिप्सी तकनीक का एक प्रमुख रूप से उपयोग किया जाने वाला प्रकार है, एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्ल्यूएल) नामक प्रक्रिया है। इसमें अल्ट्रासाउंड (उच्च आवृत्ति वाली ध्वनि तरंगों) का उपयोग किया जाता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि किडनी में पथरी कहाँ है।

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अल्ट्रासाउंड शॉक वेव मशीन की मदद से पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिए उपयोग की जाती हैं, ताकि ये टुकड़े आपके मूत्र के साथ शरीर से बाहर निकल सके। लिथोट्रिप्सी उपचार के दौरान रोगी को असहज महसूस हो सकता है, इसलिए आमतौर पर दर्द कम करने वाली दवा देने के बाद इसे किया जाता है।

अपनी किडनी की पथरी का सफलतापूर्वक इलाज करने के लिए आपको लिथोट्रिप्सी के एक से अधिक सत्रों की आवश्यकता हो सकती है। ईएसडब्लूएल तकनीक 20 मिमी (0.8in) डायमीटर तक के आकार की पथरी के लिए 99% तक प्रभावी होती है। आपकी किडनी की पथरी के इलाज के लिए लिथोट्रिप्सी की कौनसी तकनीक उचित होगी इसका निर्धारण आपके डॉक्टर जाँच के बाद करते हैं। 

इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि लिथोट्रिप्सी क्या है, लिथोट्रिप्सी मशीन क्या है और लिथोट्रिप्सी तकनीक कैसे उपयोग की जाती है। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि लिथोट्रिप्सी की लागत क्या है और इसके क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं।

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  1. लिथोट्रिप्सी क्या है - Lithotripsy kya hai in hindi
  2. लिथोट्रिप्सी मशीन - Lithotripsy machine in hindi
  3. लिथोट्रिप्सी कैसे होती है - Lithotripsy procedure in hindi
  4. लिथोट्रिप्सी के फायदे - Lithotripsy benefits in hindi
  5. लिथोट्रिप्सी साइड इफ़ेक्ट - Lithotripsy side effects in hindi
  6. लिथोट्रिप्सी कॉस्ट इन इंडिया - Lithotripsy cost in india in hindi

लिथोट्रिप्सी तकनीक में किडनी की पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने के लिए ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। इन ध्वनि तरंगों को हाई एनर्जी शॉक वेव या तरंग भी कहा जाता है। लिथोट्रिप्सी का सबसे आम रूप एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्लूएल) है। "एक्स्ट्राकोर्पोरियल" का मतलब “शरीर के बाहर” है।

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हाई एनर्जी शॉक वेव्स का उपयोग करके किडनी या मूत्रमार्ग (किडनी से मूत्राशय तक जाने वाली ट्यूब) में पथरी का इलाज करने के लिए बिना सर्जरी के इलाज की तकनीक जिसमें में पथरी को "पथरी की धूल" या छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ा जाता है जो मूत्र मार्ग में से आसानी से बाहर निकल जाते हैं। यदि बड़े टुकड़े बचे रहते हैं, तो एक और उपचार किया जा सकता है। इस उपचार को एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्लूएल) के नाम से जाना जाता है।

ईएसडब्लूएल तकनीक 1980 के दशक के शुरू से ही उपयोग में रही है। यह तकनीक बहुत जल्दी ही किडनी की बड़ी पथरी के लिए पसंद के इलाज के रूप में बदल गयी। ईएसडब्ल्यूएल एक बिना चिर-फाड़ वाली प्रक्रिया है, जिसका मतलब है कि इसमें सर्जरी की कोई आवश्यकता नहीं होती है। आम तौर पर इस प्रकार की उपचार तकनीकी सर्जरी वाली उपचार प्रक्रियाओं की तुलना में अधिक सुरक्षित और आसान होती हैं।

"लिथोट्रिप्सी" शब्द ग्रीक शब्द "लिथो" (पत्थर) और "ट्रिप्सिस" (घर्षण या रगड़) को जोड़ कर बनाया गया है। किडनी की पथरी को हटाने के लिए कई प्रकार की लिथोट्रिप्सी प्रक्रियाएं होती हैं -

  • एक्स्ट्राकोर्पोरियल शॉक वेव लिथोट्रिप्सी (ईएसडब्ल्यूएल) - लिथोट्रिप्सी थेरेपी की एक ऐसी तकनीक है, जिसमें रोगी के शरीर में  किसी प्रकार की चीर-फाड़ नहीं करनी पड़ती है।लिथोट्रिप्सी की यह तकनीक इतनी अधिक पसंद की जाती है कि कई बार ईएसडब्ल्यूएल को लिथोट्रिप्सी का पर्यायवाची समझ लिया जाता है। 
  • लेजर लिथोट्रिप्सी - इस तकनीक में किडनी की पथरी को तोड़ने के लिए लेजर का उपयोग किया जाता है।
  • परक्यूटेनियस लिथोट्रिप्सी (Percutaneous lithotripsy) - इस प्रक्रिया में रोगी के शरीर में किडनी स्टोन या पथरी निकालने के लिए बगल में एक छेद किया जाता है।
  • एंडोस्कोपिक लिथोट्रिप्सी - इस प्रक्रिया में किडनी की पथरी तक पहुँचने के लिए एंडोस्कोपी नामक तकनीक का उपयोग किया जाता है, उसके बाद शॉक वेव प्रक्रिया से उन्हें तोड़ा जाता हैं। इसलिए इसे एंडोस्कोपिक लिथोट्रिप्सी कहा जाता है।

लिथोट्रिप्सी का इस्तेमाल उस व्यक्ति पर किया जा सकता है जिसको किडनी की पथरी के कारण मूत्र प्रवाह में दर्द है या मूत्र प्रवाह अवरुद्ध हो रहा है। इस तकनीक से इलाज की सफलता की संभावना का पता करने के लिए सर्जरी से पहले पथरी की कठोरता और गहराई को सीटी स्कैन से मापा जाता है।

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किडनी की पथरी का इलाज एसडब्ल्यूएल तकनीक से सफलतापूर्वक किया जा सकता है या नहीं ये पथरी के आकार और उनकी संख्या, स्थिति और प्रकार पर निर्भर करता है। 4 मिमी (0.16 इंच) और 2 सेमी (0.8 इंच) व्यास के बीच के आकार की पथरी का इलाज ईएसडब्लूएल से किया जा सकता है। हालाँकि, एसडब्ल्यूएल तकनीक उन रोगियों के लिए उपयुक्त नहीं होती है जो मोटापे से ग्रस्त हैं या जो लोग रक्त पतला करने की दवा ले रहे हैं। ऐसे रोगियों के लिए लिथोट्रिप्सी की अन्य तकनीकों की मदद ली जा सकती है।

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लिथोट्रिप्सी मशीन को लिथोट्रिप्टर कहा जाता है। लिथोट्रिप्टर एक ऐसी मशीन है जिसमें एक्स-रे या अल्ट्रासाउंड द्वारा पथरी को देखने की क्षमता होती है। इस मशीन की मदद से दबाव तरंगों को पथरी या स्टोन पर केंद्रित करके उन्हें कई छोटे-छोटे टुकड़ो में तोड़ दिया जाता है।

इस मशीन से निकलने वाली ऊर्जा तरंगें पथरी पर सही ढंग से केंद्रित होती हैं और शरीर के ऊतकों के बीच से उन्हें नुकसान पहुँचाए बिना गुजरती हैं, इन तरंगों की ऊर्जा पथरी को तोड़ कर आमतौर पर उसे 'रेत' या 'बजरी' जैसे कणों में बदल देने के लिए फैल जाती है, जो बाद में पेशाब के साथ हल्के दर्द के साथ या बिना किसी दर्द के शरीर से बाहर निकल जाती है।

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लिथोट्रिप्सी तकनीक से इलाज शुरू करने से पहले आपको डॉक्टर को किसी भी प्रकार के नुस्खे वाली दवाओं, ओवर-द-काउंटर दवाओं या पूरक आहार के बारे में बताना चाहिए। क्योंकि कुछ दवाएं, जैसे कि एस्पिरिन (बफरिन), इबुप्रोफेन (एडविल), और वार्फ़रिन (कौमाडिन) या अन्य रक्त पतला करने वाली दवाएं इत्यादि आपके खून के थक्के ज़माने की क्षमता में हस्तक्षेप कर सकती हैं।

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इस प्रक्रिया से इलाज के लिए जनरल एनेस्थीसिया की आवश्यकता होती है और उपचार में लगभग लगभग 1 घंटा लगता है। आप उसी दिन घर जा सकते हैं और छह हफ्ते बाद वापस आपको क्लिनिक आना होता है। इलाज के बाद दर्द के लिए दवाएं आपको छुट्टी देने से पहले दी जाएंगी।

लिथोट्रिप्सी प्रक्रिया को निम्नलखित चरणों में किया जाता है -

  • प्रक्रिया शुरू में सबसे पहले रोगी को बेहोशी के लिए जनरल एनेस्थेटिक दिया जाता है।
  • शरीर के इलाज किये जाने वाले हिस्से के नीचे एक पानी से भरा कुशन या झिल्ली रखा जाती है।
  • डॉक्टर और तकनीशियन अल्ट्रासाउंड तरंगों या एक्स-किरणों का उपयोग करके किडनी की पथरी की सटीक स्थिति का पता लगाते हैं।
  • उच्च ऊर्जा वाली ध्वनि तरंगें आपके शरीर से बिना किसी नुकसान के गुजरती हैं और पथरी को छोटे टुकड़ों में तोड़ देती हैं।
  • ये छोटे टुकड़े एक बड़ी पथरी की तुलना में मूत्र पथ के माध्यम से शरीर के बाहर आसानी से निकल जाते हैं।
  • यदि आपको एक बड़ी पथरी है तो आपका सर्जन स्टेंट का भी उपयोग कर सकता है। स्टेंट लचीले प्लास्टिक जाल की एक छोटी ट्यूब है जो पेशाब की नली को खुला रखती है। इससे छोटे पत्थर के टुकड़े इस नली को अवरुद्ध किए बिना बाहर निकल जाते हैं।

प्रक्रिया पूरी होने के बाद, घर भेजने से पहले आप लगभग दो घंटे क्लिनिक या हॉस्पिटल में ही व्यतीत करेंगे। कुछ मामलों में, आपको रात भर के लिए भी अस्पताल में भर्ती रखा जा सकता है। प्रक्रिया के बाद घर पर आराम करने के लिए एक से दो दिन बिताने की योजना बनाएं।

लिथोट्रिप्सी के बाद कई हफ्तों तक भरपूर पानी पीना चाहिए, यह आपकी किडनी के अंदर बचे हुए पथरी के टुकड़ों को बाहर निकालने में मदद करेगा।

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लिथोट्रिप्सी उपचार के फायदे निम्नलिखित हैं -

  • एसडब्ल्यूएल उपचार के तीन महीने बाद लगभग 70-80% रोगी पथरी से मुक्त हो जाते हैं।
  • सफलता की यह दर उन रोगियों के लिए सबसे अधिक प्रतीत होती है जिनके किडनी की पथरी मूत्र पथ के ऊपरी भाग (किडनियों और ऊपरी मूत्र नली, किडनी से मूत्राशय तक मूत्र ले जाने वाली ट्यूब) में पाई जाती है।
  • इस प्रक्रिया से इलाज में समय भी अधिक नहीं लगता है और केवल 30 से 9 0 मिनट तक इलाज चलता है।
  • लिथोट्रिप्सी प्रक्रिया के बाद ठीक होने का समय भी आमतौर पर 1 से 3 दिन होता है इसके विपरीत सर्जरी करवाने के बाद एक रोगी को ठीक होने में 6 सप्ताह तक लग सकते हैं।
  • आप को इस इलाज से कितना फायदा मिलता है यह आपकी पथरी की संख्या, उसके आकार और आपके मूत्र तंत्र में वे कहां पर हैं, इस पर निर्भर करता है। ज्यादातर समय, लिथोट्रिप्सी सभी पथरियों को हटा देती है।

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लिथोट्रिप्सी प्रक्रिया अधिकांश समय सुरक्षित होती है। किंतु संभावित परेशानियों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें।

लिथोट्रिप्सी तकनीक से होने वाले साइड इफ़ेक्ट निम्नलिखित हैं -

लिथोट्रिप्सी प्रक्रियाएं बहुत बड़ी या अधिक कठोर पथरियों का इलाज नहीं कर सकती हैं। ईएसडब्लूएल मोटापे वाले व्यक्ति को कोई लाभ नहीं पहुंचाती है। डॉक्टर गर्भावस्था में महिलाओं के लिए लिथोट्रिप्सी प्रक्रियाओं की सिफारिश नहीं करते हैं क्योंकि वे भ्रूण के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं।

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भारत में लिथोट्रिप्सी प्रक्रिया की लागत इसके प्रकार, पूर्ण उपचार के लिए जरुरी सत्र और आप कौन से शहर में रहते हैं इसके आधार पर अलग-अलग हो सकती है।

लिथोट्रिप्सी के लिए लागत आपके शहर और आपके द्वारा इलाज के लिए चुने गए क्लिनिक या हॉस्पिटल तथा तकनीक के हिसाब से 6,000 रुपये से 1,00,000 रुपये तक प्रति सत्र हो सकती है।

ईएसडब्लूएल प्रक्रिया की सामान्य लागत 15,000 से 35,000 रुपये के बीच हो सकती है। तो वही लेजर और होल्मियम लेजर तकनीक से लिथोट्रिप्सी थेरेपी की कॉस्ट 50,000 से 80,000 रुपये तक हो सकती है।

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नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

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