लिवर बायोप्सी टेस्ट में डॉक्टर जांच के लिए लिवर के एक छोटे टुकड़े को निकालता है. लिवर बायोप्सी टेस्ट कई तरह से किया जाता है, जिसमें से परक्यूटेनियस (percutaneous) लिवर बायोप्सी, ट्रांसजुगुलर (transjugular) लिवर बायोप्सी और लेप्रोस्कोपिक लिवर बायोप्सी, तीन मुख्य हैं. इस टेस्ट के जरिए यह पता लगाया जाता है कि लिवर में कहीं कोई रोग या डैमेज तो नहीं है. लिवर बायोप्सी टेस्ट की कीमत इस पर निर्भर करती है कि किस तरह की बायोप्सी कराई जा रही है.

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि लिवर बायोप्सी टेस्ट क्या है, साथ ही इसकी प्रक्रिया, रिजल्ट और कीमत क्या है -

(और पढ़ें - लिवर रोग का आयुर्वेदिक इलाज)

  1. लिवर बायोप्सी टेस्ट क्या है?
  2. लिवर बायोप्सी टेस्ट की प्रक्रिया
  3. लिवर बायोप्सी टेस्ट का रिजल्ट
  4. लिवर बायोप्सी टेस्ट की कीमत
  5. सारांश
लिवर बायोप्सी टेस्ट क्या है, प्रक्रिया, रिजल्ट व कीमत के डॉक्टर

लिवर बायोप्सी टेस्ट ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें लिवर से एक छोटे टुकड़े को निकाला जाता है. डॉक्टर इसकी सलाह तभी देता है, जब ब्लड टेस्ट या इमेजिंग स्टडीज से लिवर में किसी तरह की बीमारी के बारे में पता चलता है. लिवर बायोप्सी टेस्ट के जरिए लिवर रोग की गंभीरता का भी पता चलता है. लिवर बायोप्सी टेस्ट कराने की सलाह डॉक्टर निम्न स्थितियों में भी दे सकते हैं -

  • अल्कोहलिक लिवर रोग
  • ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस
  • क्रोनिक हेपेटाइटिस (बी या सी)
  • हेमोक्रोमैटोसिस (खून में ज्यादा आयरन का होना)
  • नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज 
  • प्राइमरी बिलियरी सिरोसिस
  • प्राइमेरी स्कलेरोसिंग कोलाइटिस
  • विल्सनस डिजीज (शरीर में कॉपर का ज्यादा मात्रा का होना)  

(और पढ़ें - लिवर रोग का होम्योपैथिक इलाज)

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लिवर बायोप्सी टेस्ट को हॉस्पिटल में किया जाता है. बायोप्सी से पहले आईवी लाइन अमूमन बांह की नस में लगाई जाती है, ताकि जरूरत पड़ने पर दवा दी जा सके. प्रक्रिया के दौरान रिलैक्स होने के लिए सेडेटिव भी दी जाती है. लिवर बायोप्सी टेस्ट को कई तरह से किया जाता है, जिसमें परक्यूटेनियस लिवर बायोप्सी, ट्रांसजुगुलर लिवर बायोप्सी और लेप्रोस्कोपिक लिवर बायोप्सी मुख्य हैं -

परक्यूटेनियस लिवर बायोप्सी टेस्ट

इस प्रक्रिया में डॉक्टर पेट पर थपकी लगाकर या फिर अल्ट्रासाउंड इमेज का इस्तेमाल करके लिवर का पता करता है. कुछ स्थितियों में बायोप्सी के दौरान लिवर में सूई डालने के लिए अल्ट्रासाउंड की मदद ली जाती है. 

लिवर बायोप्सी टेस्ट से पहले उस जगह को सुन्न कर दिया जाता है, जहां सूई को डालने की तैयारी की जाती है. इसके बाद डॉक्टर रिब के नीचे छोटा चीरा लगता है और वहां से बायोप्सी सूई को डालता है. इस बायोप्सी में महज कुछ सेकंड ही लगते हैं. सूई बहुत तेजी से लिवर के अंदर जाती और फिर बाहर आती है. इस समय व्यक्ति को सांस रोकने के लिए कहा जाता है.

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ट्रांसजुगुलर लिवर बायोप्सी टेस्ट

इस प्रक्रिया में एक्स-रे टेबल पर पीठ के बल लेटना होता है. डॉक्टर गर्दन के एक ओर सुन्न करने वाली दवा लगाता है, छोटा चीर लगाने के बाद जुगुलर नस में फ्लेक्सिबल प्लास्टिक ट्यूब को डाला जाता है. यह ट्यूब जुगुलर नस में जाते हुए लिवर की बड़ी नस (हेप्टिक नस) में जाती है.

इस समय डॉक्टर ट्यूब में एक कॉन्ट्रास्ट डाई को डालता है और कई एक्स-रे इमेज लेता है. यही डाई इमेज में नजर आती है, जिससे डॉक्टर हेप्टिक नस को देख पाता है. ट्यूब में बायोप्सी सूई को डाला जाता है और लिवर सैम्पल लिया जाता है. इसके कैथेटर को हटा दिया जाता है और गर्दन पर हुए चीरे पर बैंडेज लगा दी जाती है. 

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लेप्रोस्कोपिक बायोप्सी टेस्ट

लेप्रोस्कोपिक बायोप्सी के दौरान जनरल एनेस्थेसिया दिया जाता है. ऑपरेटिंग टेबल पर पीठ के बल लिटाने के बाद डॉक्टर पेट में एक या अधिक भी छोटे चीरे लगा सकता है. चीरे के जरिए स्पेशल टूल्स अंदर डाले जाते हैं, जिसमें एक छोटा कैमरा भी शामिल होता है. इसकी मदद से ही ऑपरेटिंग रूम में मॉनिटर पर इमेज देखे जाते हैं. वीडियो इमेज की मदद से डॉक्टर टूल को लिवर में जाने के लिए गाइड करता है. इसके बद टूल्स को हट दिया जाता है और चीरे पर टांके लगा दिए जाते हैं.

बायोप्सी के बाद मरीज को रीकवरी रूम में ले जाया जाता है, जहां ब्लड प्रेशर, पल्स और सांस पर ध्यान दिया जाता है. दो से चार घंटे आराम करने के लिए कहा जाता है. अगर ट्रांसजुगुलर लिवर बायोप्सी टेस्ट है, तो लंबा समय भी आराम करने के लिए कहा जा सकता है. एक सप्ताह तक 4 किलो से ऊपर के वजन को उठाने के लिए मना किया जाता है. एक सप्ताह के बाद आम रूटीन को अपनाया जा सकता है.

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लिवर बायोप्सी टेस्ट के बाद लिवर टिश्यू को लेबोरेटरी में टेस्ट के लिए भेजा जाता है, जिसे पैथोलॉजिस्ट द्वारा जांचा जाता है. पैथोलॉजिस्ट लिवर डैमेज की जांच करता है. लिवर बायोप्सी टेस्ट रिपोर्ट कुछ दिनों में पैथोलॉजी लैब से आ जाती है. इसके बाद फॉलो-अप होता है और डॉक्टर रिजल्ट को डीटेल में समझाता है. संभव है कि लिवर से संबंधित कोई रोग हो या फिर पहले से हुए लिवर रोग के स्टेज के बारे में बताया जाता है. इसी के आधार पर डॉक्टर इलाज के बारे में भी बताते हैं.

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लिवर बायोप्सी टेस्ट की कीमत में बहुत अंतर रहता है. औसतन लिवर बायोप्सी टेस्ट की शुरुआत करीब 5,000 रुपये से शुरू होती है. यह कीमत राज्य, अस्पताल व टेस्ट सेंटर के अनुसार कम या ज्यादा हाे सकती है.

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लिवर बायोप्सी टेस्ट के जरिए लिवर में सूई डालकर टिश्यू सैंपल लिया जाता है ताकि लिवर में किसी भी तरह के डैमेज या रोग का पता लगाया जा सके. इसकी प्रक्रिया के तहत डॉक्टर द्वारा लिवर के एक छोटे टुकड़े को निकाला जाता है. लिवर बायोप्सी टेस्ट की प्रक्रिया अलग-अलग होती है, जो इस बात पर निर्भर करती है कि किस तरह की बायोप्सी की जा रही है. लिवर बायोप्सी टेस्ट के बाद लिवर के टिशू सैम्पल को लेबोरेटरी में जांच के लिए भेजा जाता है, जिसका परिणाम आने में कुछ दिन लगते हैं. रिपोर्ट आने के बाद ही डॉक्टर इलाज शुरू करते हैं. 

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