यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से पेशाब के मार्ग में कुछ विशेष बदलाव किए जाते हैं। यह सर्जरी आमतौर पर उन लोगों के लिए की जाती है, जिनका किसी कारण से मूत्राशय क्षतिग्रस्त हो गया है या फिर पहले मूत्राशय निकालने की सर्जरी (ब्लैडर रिमूवल सर्जरी) हो चुकी है। मूत्र प्रणाली में कई अंग आते हैं जैसे गुर्दे, मूत्राशय, मूत्रवाहिनी और मूत्र मार्ग। किडनी रक्त को फिल्टर करके व्यर्थ द्रव (मूत्र) को मूत्रवाहिनी की मदद से मूत्राशय तक पहुंचाती है। इसके बाद मूत्राशय से मूत्रमार्ग की मदद से इसे शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। ब्लैडर कैंसर से ग्रस्त कुछ लोगों को मूत्राशय निकालने की सर्जरी करवानी पड़ती है। ऐसी स्थिति में पेशाब की नली को आंत के अंतिम हिस्से (सिग्मॉइड कॉलन) से जोड़ दिया जाता है, जिसकी सर्जरी प्रोसीजर को यूरेटेरोसिग्मॉइडोस्टॉमी कहा जाता है।
इस सर्जरी प्रोसीजर को पूरा करने में एक से तीन घंटे का समय लग सकता है। इस सर्जरी से कॉलन कैंसर और किडनी स्टोन होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके होने वाले जोखिमों को देखते हुए आजकल इस सर्जरी को बहुत ही दुर्लभ मामलों में किया जाता है। हालांकि, इसकी वैकल्पिक सर्जिकल प्रोसीजरों के मुकाबले, इसमें न तो कोई छिद्र किया जाता है और न ही जीवनभर पेशाब की थैली लगाकर रखनी पड़ती है। इस सर्जरी से जीवन स्तर में सुधार होता है और इसे अच्छी तरह से स्वीकार भी किया जाता है।
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