डिस्केक्टोमी में केशरुका की टूटी हुई या खराब डिस्क को निकाला जाता है जिसे इंटरवर्टिब्रल डिस्क कहा जाता है यह दो केशरुकाओं के बीच एक तकिये की तरह काम करती है। इस सर्जरी की सलाह तब दी जाती है जब सभी इलाज के तरीके नाकाम हो जाएं, जब अत्यधिक न्यूरॉलजिकल क्षति हो, लगातार होने वाला तेज दर्द जो कि रीढ़ से अन्य भागों तक भी पहुंच जाए। जब गंभीर रूप से डिस्क क्षतिग्रस्त हो गई हो, जिसके कारण रीढ़ की नली या स्पाइनल कैनाल संकरी हो जाए, नसों के दबने की स्थिति में, रीढ़ की हड्डी के स्नायुबंधों, आंतरिक स्पेस, डिस्क के सख्त हो जाने की स्थिती और केशरुका खिसक जाए तो ऐसी स्थितियों में डिस्केक्टोमी की सलाह नहीं दी जाती है। कई लोगों को सर्जरी के बाद दबाव से आराम महसूस होता है और वे अपनी रोजाना की गतिविधियों पर लौट जाते हैं साथ ही उनका बोवेल और ब्लैडर पर भी नियंत्रण ठीक हो जाता है।