गर्भावस्था के दौरान उपवास पर काफी शोध किये गए हैं, लेकिन वैज्ञानिक अभी तक किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए हैं। इसका कारण यह है कि महिलाएं उपवास से जो उम्मीद रखती हैं उसका प्रभाव बच्चे के जन्म तक पता नहीं चल पाता और इसीलिए अभी तक कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं निकल पाया है।

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उपवास, किसी महिला की धर्म के प्रति निष्ठा या व्यक्तिगत मान्यताओं पर निर्भर करते हैं। शिवरात्रि, तीज, करवाचौथ, रमज़ान, रोज़े आदि कुछ ऐसे त्यौहार हैं जिनमें उपवास रखना बहुत आम है और ये निश्चित तौर पर गर्भावस्था के नौ महीनों के दौरान कम से कम एक बार आते हैं। यदि आपकी गर्भावस्था सामान्य चल रही है, और आपको उपवास करने से ऊर्जा मिलती है, तो आप अपने धर्म के अनुसार व्रत रख सकती हैं।

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यदि आप रमज़ान, रोज़ा या नवरात्रि के दौरान उपवास करना चाहती हैं, तो आपको अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि ये लंबे समय तक चलने वाले उपवास हैं। उपवास मौसम से भी प्रभावित होता है। जैसे गर्मियों में उपवास करने से डिहाइड्रेशन हो सकता है। इस लेख में आपको गर्भावस्था के दौरान व्रत करने के तरीके और कुछ बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया गया है।

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  1. क्या प्रेगनेंसी में व्रत रखना सुरक्षित है? - Is fasting safe during pregnancy in Hindi
  2. पहली तिमाही में व्रत - Fasting during first trimester in Hindi
  3. तीसरी तिमाही में व्रत - Fasting in third trimester of pregnancy in Hindi
  4. प्रेग्नेंसी में व्रत रखने के लिए कुछ टिप्स - Tips for fasting during pregnancy in Hindi
  5. प्रेग्नेंसी में रमजान का व्रत रखे या नहीं - Ramadan fasting in pregnancy in Hindi
  6. प्रेग्नेंसी में व्रत के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां - Fasting warning signs during pregnancy in Hindi
  7. रोज़ व्रत करने की जगह अपनाएं ये वैकल्पिक तरीके - Alternatives for daily fasting during pregnancy in Hindi
  8. सारांश

यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है कि प्रेग्नेंसी में उपवास करना सुरक्षित है या नहीं। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि उपवास आपके और आपके बच्चे के लिए सुरक्षित है, लेकिन यह भी साबित नहीं हो पाया है कि भ्रूण को इससे कोई नुकसान पहुंचता है। एक अध्ययन के अनुसार जो महिलाएं प्रेगनेंसी में उपवास करती थीं उनके बच्चों पर बहुत कम या कोई भी प्रभाव नहीं देखा गया है। कुछ अन्य अध्ययनों से पता चलता है कि उपवास करने वाली माताओं के बच्चों में बाद के जीवन में कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, यदि आपकी गर्भावस्था अच्छी तरह से चल रही है और आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है साथ ही साथ अगर उपवास करने से आपको ऊर्जा मिलती है तो यह हानिकारक तो नहीं है। लेकिन गर्मियों में उपवास करना, जब दिन लंबे और मौसम अधिक गर्म और नम होते हैं, ऐसे में निर्जलीकरण की संभावना को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता। इससे थकावट, सिरदर्द, चक्कर आना और एसिडिटी आदि की समस्या हो सकती है।

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अध्ययनों से पता चला है कि अगर महिलाओं के पहली तिमाही के दौरान उपवास करने से जन्म के समय बच्चे का वजन कम हो सकता है, लेकिन यह अंतर उन शिशुओं की तुलना में बहुत कम होता है जिनकी माताएं उपवास नहीं रखती थीं। कुछ बच्चे बहुत पतले और छोटे पैदा होते हैं, लेकिन इसमें भी बहुत कम अंतर होता है। चूंकि पहली तिमाही का समय थोड़ा नाजुक होता है, इसलिए उपवास करने से पहले अपने सलाहकार या डॉक्टर से बात ज़रूर करें, और कोई भी समस्या होने पर तुरंत उनके पास जाएं।

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हालांकि काफी हद तक तीसरी तिमाही में उपवास करना सुरक्षित माना जाता है, लेकिन फिर भी इस दौरान उपवास करने से पहले डॉक्टर से ज़रूर बात करें। प्रेग्नेंसी में तीसरी तिमाही वह समय होता है जब बच्चा सबसे ज्यादा बढ़ता है, और उसे ठीक से विकसित होने के लिए बहुत से आवश्यक विटामिन और खनिज पदार्थों की ज़रूरत होती है। आपके डॉक्टर पहले आपकी जांच करेंगे और फिर उन्हें उसके अनुसार सुझाव देना चाहिए। जिन महिलाओं को डायबिटीज है और गर्भवती हैं उनको उपवास करने के लिए मना किया जाता है।

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यदि आप गर्भवती हैं और उपवास करना चाहती हैं, तो निम्न चीज़ों को ध्यान में रखें:

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  1. कैफीन मूत्रवर्धक (diuretic) है जिससे निर्जलीकरण हो सकता है, इसलिए चाय और कॉफी का सेवन न करें। इस दौरान बहुत सारा पानी और ताजे फलों का रस पिएं।
  2. उन खाद्य पदार्थों का सेवन बिलकुल न करें जिनमें शुगर बहुत अधिक मात्रा में होती हो, उनकी जगह ताज़े फल खाएं।
  3. कुछ धर्मों में उपवास के दौरान विशेष रूप से फलों, जूस और दूध जैसे खाद्य पदार्थों को खाने की अनुमति दी जाती है, नियमित अंतराल पर पानी या जूस पीती रहें। नारियल पानी भी पोषक तत्वों का एक अच्छा स्रोत है।
  4. अगर बाहर का मौसम गर्म है या बहुत तेज़ धूप है, तो घर के अंदर रहें और दिन के समय आराम करें। किसी भी तरह का व्यायाम या मेहनत वाला काम न करें।
  5. शांत रहें और किसी तरह का तनाव न लें। जो गर्भवती महिलाएं उपवास करती हैं उनमें उन गर्भवती महिलाओं की तुलना में जो व्रत नहीं रखतीं, तनाव का स्तर अधिक पाया जाता है।
  6. ऐसा कोई काम न करें जिससे आपको थकान हो। लंबी दूरी तक पैदल न चलें। दूसरों से मदद लेने में संकोच न करें।
  7. मित्रों और परिवारीजनों से सुझाव लें जो गर्भवती होने पर उपवास कर चुकी हों।
  8. रमजान जैसे कुछ उपवासों में सूर्योदय से सूर्यास्त तक खाने या पीने की इजाजत नहीं होती है, अगर आप इस तरह के शारीरिक तनाव लेने जा रही हैं तो ऐसे मामलों में अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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यदि माता या बच्चे के जीवन को कोई खतरा है तो इस्लामी कानून गर्भवती महिलाओं को उपवास न करने की अनुमति देता है। हालांकि, आप न करने वाले उपवासों के लिए तयारी कर सकती हैं, जैसे फिदया (Fidyah) आदि करके। फिदया जिसका मतलब है कि अगर आप उपवास नहीं कर रही हैं तो हर दिन एक गरीब व्यक्ति को खाना खिलाएं या किसी फ़ूड बैंक (Food bank) में दान करें। डॉक्टर से अपनी और अपने बच्चे की सेहत के बारे में बात करके, आप ही ये निर्णय सही से ले सकती हैं कि आपको उपवास रखना है या नहीं। ढ़ेर सारी मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और खनिजों वाला स्वस्थ और पौष्टिक इफ्तार (शाम का भोजन) और सुहूर (सूरज उगने से पहले का भोजन) आपमें और आपके बच्चे में आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत पूरी करेगा।

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यदि गर्भावस्था में उपवास के दौरान निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस हों तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें -

  1. यदि आपका वजन कम हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। गर्भावस्था में वजन घटना ठीक नहीं है। (और पढ़ें - प्रेग्नेंट होने के उपाय)
  2. डिहाइड्रेशन को भी अनदेखा नहीं करना चाहिए।
  3. कुछ दिनों तक अपच और कब्ज की समस्या होने पर भी डॉक्टर को सूचित करें। (और पढ़ें - गर्भावस्था में कब्ज)
  4. सिरदर्द, बुखार, मतली, चक्कर आना, सुस्ती आदि के लिए भी चिकित्सकीय सहायता लेनी चाहिए। (और पढ़ें - गर्भावस्था में बुखार)
  5. अगर आपको बच्चे की गतिविधियों में कमी महसूस हो रही हो या प्रसव पीड़ा का अनुभव हो रहा हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

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उपवास के विकल्प के तौर पर निम्नलिखित चीज़ों पर गौर किया जा सकता है:

  1. अगर संभव हो तो रोज़ाना उपवास करने के बजाए पहले और आखिरी दिन उपवास कर लें।
  2. अगर संभव हो तो दैनिक उपवास के बजाय, वैकल्पिक दिनों या साप्ताहिक रूप से भी उपवास किया जा सकता है।
  3. जिस प्रकार कुछ उपवासों में कुछ भी खाने की अनुमति नहीं होती है तो ऐसा उपवास न करके आप गर्भावस्था के दौरान केवल मांसाहारी, मीठे या नमकीन खाद्य पदार्थों को न खाएं, अर्थात इनके स्थान पर आप फल आदि खाएं। ये कम से कम कुछ भी न खाने पीने से तो बेहतर ही है।
  4. संस्थाओं में दान पुण्य करें, धार्मिक स्थानों पर राशन का सामान दान करें। कुछ ऐसी चीज़ों से परहेज़ करें जो आपको बहुत पसंद हों जैसे, खरीदारी करना या फिल्में देखना आदि।

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धार्मिक समुदायों का भी यही कहना है कि यदि आप फिट हैं तो उपवास करने लायक हैं केवल तब ही उपवास करें और यदि आप ठीक नहीं हैं तो आपको उपवास नहीं करना चाहिए। हालांकि आप इस बात का निर्णय स्वयं कर सकती हैं कि इस समय आप कितना मजबूत और स्वस्थ महसूस करती हैं और आपके और आपके बच्चे के लिए क्या सही है।

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प्रेगनेंसी में व्रत रखना या नहीं रखना एक व्यक्तिगत और स्वास्थ्य से संबंधित निर्णय है, जिसे डॉक्टर की सलाह पर आधारित करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे दोनों को पर्याप्त पोषण की आवश्यकता होती है, इसलिए व्रत रखने से शरीर में कमजोरी या पोषक तत्वों की कमी हो सकती है। अगर व्रत रखना जरूरी हो, तो संतुलित आहार जैसे फल, ड्राई फ्रूट्स और पर्याप्त मात्रा में पानी लेना जरूरी है। लंबे समय तक भूखा रहने से चक्कर आना, कमजोरी, और शुगर लेवल गिरने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए, व्रत रखने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना और अपनी सेहत को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है।

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