सुनने के लिए कान की मशीन का उपयोग करने वालों लोगों के लिए यह खबर अच्छी है। एक शोध से पता चला है कि सुनने की मशीन (हियरिंग एड) का इस्तेमाल करने से व्यक्ति के मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार हो सकता है। बढ़ती उम्र के साथ मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। इसके कारण याददाश्त कमजोर होने लगती है। मगर शोधकर्ताओं ने पाया है कि कान की मशीन मस्तिष्क की इस क्षमता को प्रभावित होने से रोकती है, जिससे दिमाग की कोशिकाओं में सुधार होता है और याददाश्त बेहतर होती है।

स्वास्थ्य के क्षेत्र से जुड़ी जानी-मानी पत्रिका 'जर्नल ऑफ क्लीनिकल मेडिसिन' में छपी रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया की मेलबर्न यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह रिसर्च की है। रिपोर्ट में शोधकर्ताओं के हवाले से बताया गया है कि जांच में उन्हें इस बात के प्रमाण मिले हैं कि हियरिंग एड मशीन के इस्तेमाल से मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार की गुंजाइश है।

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कैसे की गई रिसर्च?
रिसर्च के तहत शोधकर्ताओं ने 62 से 82 साल की उम्र के कम से कम 100 बुजुर्गों की जांच की। उन्होंने सभी को हियरिंग मशीन मुहैया कराई और 18 महीने बाद उनकी सुनने की क्षमता, याददाश्त, बोलने के तरीके, शारीरिक गतिविधियों समेत कई चीजों का मूल्याकंन किया। इसमें शोधकर्ताओं ने पाया कि कान में लगाई गई मशीन से बुजुर्गों की बोलने और सुनने की क्षमता में सुधार हुआ था। इतना ही नहीं, इन लोगों ने अपने जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन महसूस किया।

बढ़ती उम्र के साथ याददाश्त में कमी, सुनने की समस्या से जोड़ी जाती है। मेडिकल क्षेत्र की रिपोर्टों की मानें तो 55 साल की उम्र के 32 प्रतिशत और 70 साल के 70 प्रतिशत लोगों में यह समस्या पाई जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सुनने की क्षमता बाधित होने से डिमेंशिया बढ़ने का खतरा अधिक होता है। इसी स्थिति में एक प्रकार से याददाश्त कम होती है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया है कि कान की मशीन के जरिये इस परेशानी को दूर करने में मदद (कम या ज्यादा) मिल सकती है। 

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में सुधार ज्यादा
रिपोर्ट के मुताबिक शोध में शामिल करीब 97.3 प्रतिशत लोगों में मानसिक रूप से स्थिरता और सुधार दिखाई दिया। इनकी सोच बेहतर हुई, जिससे उनमें योजना बनाने, कुछ जानकारी इकट्ठा करने और किसी काम को शुरू करने की दक्षता दिखाई दी। महिलाओं में विशेष रूप से याददाश्त से जुड़ा बेहतर सुधार देखा गया। वे कठिन सवालों के जवाब देने और अहम फैसले लेने में भी सक्षम दिखाई दीं।

(और पढ़ें- याददाश्त कमजोर होने का कारण और बचाव)

विशेषज्ञों की राय
मेलबर्न विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर और अध्ययनकर्ता जूलिया सेरंट का कहना है कि याददाश्त को अन्य तरीकों से भी कुछ हद तक बेहतर किया जा सकता है। लेकिन आमतौर पर बुजुर्गों में याददाश्त को लेकर सुधार की गुंजाइश कम होती है। हालांकि, बावजूद इसके सुनने की क्षमता को बेहतर बनाकर मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार किया जा सकता है।

यहां ध्यान देने वाली बात है कि भूलने की बीमारी (डिमेंशिया) और कमजोर याददाश्त का कोई सफल इलाज अब तक उपलब्ध नहीं है। लेकिन इस शोध के बाद वैज्ञानिक एक सकारात्मक निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने कान की मशीन के जरिये सुनने की क्षमता को बेहतर करके याददाश्त में सुधार की संभावना को तलाश लिया है। हालांकि अभी इस रिसर्च से जुड़े कुछ ट्रायल होने बाकी हैं।

याददाश्त कमजोर होने के लक्षण
उम्र की वजह से याददाश्त कम होना एक जाना पहचाना कारण है। लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है कि उम्र के साथ आपकी मेमोरी कमजोर हो जाएं। मस्तिष्क कोशिकाओं की मरम्मत में हमारा शरीर कम प्रभावी होता है। मस्तिष्क कोशिकाएं याद करने के लिए जिम्मेदार होती हैं, लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है ये कमजोर हो जाती हैं। इसके कुछ लक्षण हो सकते हैं, जैसे-

  • घर में कोई सामान कहीं रखकर भूल जाना
  • समस्याओं के बीच उलझे रहना
  • घर का काम करने में दिक्कत महसूस होना
  • वक्त और जगह को लेकर परेशानी होना
  • रिश्तेदारों की तस्वीरों को पहचानने में दिक्कत
  • बोलने और लिखने में आने वाली समस्या
  • चीजों को इधर से उधर रख देना
  • फैसले लेने की क्षमता प्रभावित होना
  • सोशल गतिविधियों में भाग ना लेना
  • मनोदशा और व्यक्तिगत रूप से होने वाला बदलाव

याददाश्त बढ़ाने के लिए क्या करें?
किसी को भूलने की बीमारी (कमजोर याददाश्त या अल्जाइमर) हो या ना हो, मगर हेल्दी डाइट लेना हर किसी के लिए जरूरी है। एक संतुलित आहार आपकी याददाश्त बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकता है। इसलिए निम्न बातों का ध्यान रखें-

क्या है डॉक्टर की राय?
myUpchar से जुड़ी डॉक्टर शहनाज जफर का कहना है कि याददाश्त कमजोर होने का एक प्रमुख कारण बढ़ती उम्र हो सकती है। हालांकि, इसके अलावा कोई हेड और ब्रेन इंजरी (सिर की चोट) भी इसकी एक वजह बन सकती है। साथ ही अन्य कई बीमारियां जैसे डायबिटीज और हाई बीपी (उच्च रक्तचाप) से ग्रस्त होने के कारण भी मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

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आदतों में लाएं बदलाव
डॉक्टर शहनाज के मुताबिक याददाश्त बढ़ाने के लिए वैसे तो कोई स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन अपनी कुछ आदतों में बदलाव करते हुए इसे बेहतर बनाया जा सकता है। जैसे-

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