डॉक्टरों और उनके उपचार के तरीकों को लेकर मरीजों की बढ़ती शिकायतों को दूर करने के लिए महाराष्ट्र मेडिकल परिषद (एमएमसी) ने एक बड़ा फैसला लिया है। खबरों की मानें तो एमएमसी ऐसी व्यवस्था करने जा रही है जिससे डॉक्टरों पर लगने वाले आरोपों का बचाव उनके द्वारा रखे गए मरीजों के इलाज संबंधी रिकॉर्ड से ही हो पाएगा। दरअसल, हाल के समय में मरीजों और उनके रिश्तेदारों की ओर से डॉक्टरों के खिलाफ तमाम शिकायतें देखने को मिली हैं। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, इन समस्याओं को दूर करने के लिए डॉक्टर-मरीज के आपसी व्यवहार को यह नाम दिया गया है।

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बताया जा रहा है कि एमएमसी ने डॉक्टर और मरीज के आपसी व्यवहार या संबंध को अब से 'कंज्यूमर एंड सर्विस प्रोवाइडर' कहा जाएगा। मतलब अब मरीज उपभोक्ता होगा और डॉक्टर सर्विस प्रोवाइडर (सेवा प्रदाता)। इस फैसले के बाद से अगर डॉक्टर से मिली सर्विस या ट्रीटमेंट में कोई कमी निकलती है या उसकी तरफ से ठगी मरीज और परिजनों से किसी तरह की ठगी की जाती है, तो उसकी शिकायत इसी मानक के तहत की जाएगी। जांच के दौरान डॉक्टर को मरीज के इलाज से जुड़े रिकॉर्ड का कागजी प्रमाण देना होगा। अगर रिकॉर्ड के तहत इलाज में 'ठगी' या 'कमी' के आरोप सिद्ध नहीं होते, तो ही डॉक्टर अपना बचाव कर सकता है।

डॉक्टरों पर बेवजह टेस्ट करने का आरोप
एमएमसी के मुताबिक, कुछ मरीजों ने आरोप लगाया है कि डॉक्टर अनावश्यक जांच (डायग्नोसिस) को बढ़ावा देते हैं। इससे इलाज में बेवजह का खर्च होता है। वहीं, कई मरीजों ने नई पीढ़ी के डॉक्टरों के बारे में आरोप के लहजे में वे बार-बार टेस्ट कराने को तरजीह देते हैं, जबकि पहले के (वरिष्ठ) डॉक्टर अपनी बुद्धिमता और योग्यता का इस्तेमाल कर बेहतर इलाज करते थे।

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क्या मरीज का रिकॉर्ड रखते हैं डॉक्टर?
myUpchar से जुड़ीं डॉक्टर जैसमीन कौर के मुताबिक, डॉक्टर के पास मरीज का कोई रिकॉर्ड नहीं होता। वे बताती हैं मौजूदा समय में अगर कोई मरीज ओपीडी या क्लीनिक में इलाज के लिए आता है तो उसको क्या परेशानी थी, उसका सारा रिकॉर्ड पेपर में होता है। इस पेपर में उसकी दवाइयों और उसके इलाज से जुड़ी सारी जानकारी होती है और यह पेपर मरीज के पास ही रहता है। डॉक्टर का कहना है कि इलाज के दौरान अगर मरीज की गलती (या किसी भी कारण से) से पेपर खो जाता है तो ऐसे में दूसरा पेपर दिया जाता है। लेकिन उसका पहले का रिकॉर्ड नहीं रह रहता। हालांकि, अस्पताल में भर्ती मरीज का रिकॉर्ड डॉक्टर के पास होता है।

मरीज से जुड़े ट्रीटमेंट का रिकॉर्ड रखना कितना ज़रूरी?
डॉक्टर जैसमीन का कहना है कि ट्रीटमेंट से जुड़ी जानकारी होना बेहद जरूरी है। इस रिकॉर्ड के जरिए मरीज की बीमारी से जुड़ी दवाइयां और बाकी बचे कोर्स का पता चलता है। हालांकि हमारे देश में सुविधाओं की कमी है, इसलिए पेपर पर काम होता है, कंप्यूटर पर नहीं।

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डॉक्टर जैसमीन का मानना है कि मरीज का रिकॉर्ड डॉक्टर के पास होना चाहिए। वे कहती हैं, 'लेकिन हमारे देश में ऐसा नहीं होता। लगभग सभी विकसित देशों में ऐसी सुविधाएं होती हैं। वहां डॉक्टर के पास हर मरीज का रिकॉर्ड होता है। इसका फायदा यह होता है कि भविष्य में कभी अगर मरीज को दोबारा वैसी ही समस्या आती है तो डॉक्टर उसके रिकॉर्ड के आधार पर दवाओं का चयन कर सकता है। इससे मरीज का इलाज सही समय पर और बेहतर होगा।'

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