यौन शक्ति या सेक्शुअल परफॉर्मेंस बढ़ाने के लिए वियाग्रा का इस्तेमाल आंखों की रौशनी के लिए हानिकारक हो सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, वियाग्रा लेने वाले लोगों की आंखों की दृष्टि (विजन) नीली हो सकती है, यानी उन्हें हर चीज नीली दिखाई देना शुरू हो सकता है। तुर्की स्थित दुन्यागोज अदाना अस्पताल में कुछ पुरुषों पर किए गए एक विश्लेषण से यह तथ्य सामने आया है।

दरअसल, 'फ्रंटियर्स इन न्यूरोलॉजी' नामक पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल में ऐसे 17 पुरुषों के मामले सामने आए हैं, जिन्हें सिल्डेनाफिल लेने के बाद 24 घंटों से अधिक समय तक देखने में समस्या हुई। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इन लोगों को आंखों से जुड़ी कोई भी समस्या नहीं थी। रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा सिल्डेनाफिल के प्रभाव की वजह से हो रहा था। पत्रिका की मानें तो कुछ लोगों को वियाग्रा का इस्तेमाल करने की वजह से देखने संबंधी ऐसी समस्या हो सकती है, जिसमें व्यक्ति को चीजें धुंधली और नीली दिखाई दें।   

इसके अलावा, ऐसे लोगों को रौशनी में देखने में भी दिक्कत हो सकती है। साथ ही, रंगों को समझने में समस्या हो सकती है। रिपोर्ट में इस समस्या को 'सायनोप्सिया' बताया गया है। आंखों से जुड़ी इस समस्या में व्यक्ति को आम तौर पर सब कुछ नीले रंग का दिखाई देने लगता देता है। हालांकि यह समस्या लाल और हरे रंग को पहचानने में भी हो सकती है।

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क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
सिल्डेनाफिल से किसी को लगातार देखने संबंधी समस्या होना दुर्लभ है। मेडिकल विशेषज्ञों के मुताबिक, इसे लेने के बाद आमतौर पर व्यक्ति तीन से पांच घंटों के बाद सामान्य हो जाता है। तुर्की में दुन्यागोज अदाना अस्पताल के डॉक्टर कनियट करार्सलन ने कहा कि सिल्डेनाफिल के दुष्प्रभाव अस्थायी हैं और बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोगो को आंख और देखने संबंधी समस्या का सामना लगातार करना पड़ सकता है। रिपोर्ट में जिन 17 लोगों का जिक्र है, वे समस्या उत्पन्न होने के 21 दिनों बाद ठीक हो गए थे। लेकिन एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल अमेरिका के मैसाचुसेट्स में एक व्यक्ति ने तरल सिल्डेनाफिल की पूरी बोतल पी ली थी। इसके बाद कम से कम दो महीने तक उसकी आंखों की रौशनी चली गई थी।  

क्या है सिल्डेनाफिल?
सिल्डेनाफिल, वियाग्रा में पाया जाने वाला एक तत्व है। दरअसल, वियाग्रा इसी का औपचारिक नाम है। सिल्डेनाफिल, फोस्फोडाइस्टेरेज 5 (पीडीई 5) नामक एक एंजाइम को रोककर स्तंभन दोष का इलाज करता है। यह एंजाइम लिंग में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करने में भूमिका निभाता है। सिल्डेनाफिल एक और एंजाइम फोस्फोडाइस्टेरेज 6 को भी जो आंखों की रेटिना की कोशिकाओं में पाया जाता है। ये कोशिकाएं आंखों के पीछे होती हैं और प्रकाश के प्रति संवेदनशील होती हैं। ताजा रिपोर्ट से पहले 'लाइव साइंस' नामक वेबसाइट ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि सिल्डेनाफिल का हाई डोज रेटिनल कोशिका के लिए घातक है।

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यह बात अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाई है कि कुछ लोगों को सिल्डेनाफिल से होने वाले दुष्प्रभाव बाकी पुरुषों की तुलना में अधिक क्यों हैं। डॉक्टर कनियट करार्सलन ने कहा कि ऐसा हो सकता है कि उन व्यक्तियों के शरीर ने दवा को अच्छे से अवशोषित नहीं किया होगा जिससे उनके रक्त में दवा का स्तर उच्च हो सकता है। ऐसा वियाग्रा को अक्सर लेने वाले पुरुषों में देखा नहीं जाता है। बहरहाल, डॉक्टर करार्सलन ने कहा कि स्तंभन दोष वाले पुरुषों को कम डोज (50 मिलीग्राम) में इस दवा का इस्तेमाल करना चाहिए। साथ ही, दवा को डॉक्टर की राय लेने के बाद ही लेना चाहिए।

क्या है स्तंभन दोष?
संभोग के दौरान लिंग के उत्तेजित न होने या लिंग की उत्तेजना को बनाए न रख पाने की समस्या को स्तंभन दोष कहा जाता है। सेक्स विशेषज्ञ इसे यौन अपविकास से जुड़ा मामला बताते हैं। यह शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक नपुंसकता का परिणाम होता है जो नकारात्मक मानसिक विचारों और अनुभवों की वजह से होती है। डॉक्टर बताते हैं कि कभी-कभी लिंग में इरेक्शन न ला पाना असामान्य नहीं है, लेकिन ऐसा लगातार होना स्तंभन दोष का लक्षण है।

बहुत से पुरुषों को स्तंभन दोष की समस्या रहती है। वे इसके निदान के लिए बतौर दवा वियाग्रा का सेवन करते हैं। इस दवा में सिल्डेनाफिल नामक तत्व सक्रिय होता है। वैसे तो इसे एक सुरक्षित तत्व माना जाता है, लेकिन कभी-कभी इस दवा के कुछ अलग तरह के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। दृष्टि में बदलाव आना और नीले रंग की धुंधलाहट इनमें से एक है।

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